Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб " सुहाग की साड़ी " मुंशी प्रेमचंद की कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां в хорошем качестве

" सुहाग की साड़ी " मुंशी प्रेमचंद की कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां 7 дней назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



" सुहाग की साड़ी " मुंशी प्रेमचंद की कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

" सुहाग की साड़ी " मुंशी प्रेमचंद की कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां #hindistories _____________________________________________ 🔴 सुहाग की साड़ी यह कहना भूल है कि दाम्पत्य सुख के लिए स्त्री-पुरुष के स्वभाव में मेल होना आवश्यक है। श्रीमती गौरा और श्रीमान् कुँवर रतनसिंह में कोई बात न मिलती थी। गौरा उदार थी, रतनसिंह कौड़ी-कौड़ी को दाँतों से पकड़ते थे। वह हँसमुख थी, रतनसिंह चिंताशील थे। वह कुल-मर्यादा पर जान देती थी, रतनसिंह इसे आडम्बर समझते थे। उनके सामाजिक व्यवहार और विचार में भी घोर अंतर था। यहाँ उदारता की बाजी रतनसिंह के हाथ थी। गौरा को सहभोज से आपत्ति थी, विधवा-विवाह से घृणा और अछूतों के प्रश्न से विरोध। रतनसिंह इन सभी व्यवस्थाओं के अनुमोदक थे। राजनीतिक विषयों में यह विभिन्नता और भी जटिल थी ! गौरा वर्तमान स्थिति को अटल, अमर, अपरिहार्य समझती थी, इसलिए वह नरम-गरम, कांग्रेस, स्वराज्य, होमरूल सभी से विरक्त थी। कहती- "ये मुट्ठी भर पढ़े-लिखे आदमी क्या बना लेंगे, चने कहीं भाड़ फोड़ सकते हैं?" रतनसिंह पक्के आशावादी थे, राजनीतिक सभा की पहली पंक्तियों में बैठनेवाले, कर्मक्षेत्र में सबसे पहले कदम उठानेवाले, स्वदेशव्रतधारी और बहिष्कार के पूरे अनुयायी। इतनी विषमताओं पर भी उनका दाम्पत्य-जीवन सुखमय था। कभी-कभी उनमें मतभेद अवश्य हो जाता था, पर वे समीर के वे झोंके थे, जो स्थिर जल को हलकी-हलकी लहरों से आभूषित कर देते हैं; वे प्रचंड झोंके नहीं जिनसे सागर विप्लवक्षेत्र बन जाता है। थोड़ी-सी सदिच्छा सारी विषमताओं और मतभेदों का प्रतिकार कर देती थी। विदेशी कपड़ों की होलियाँ जलायी जा रही थीं। स्वयंसेवकों के जत्थे भिखारियों की भाँति द्वारों पर खड़े हो-हो कर विलायती कपड़ों की भिक्षा माँगते थे और ऐसा कदाचित् ही कोई द्वार था जहाँ उन्हें निराश होना पड़ता हो। खद्दर और गाढ़े के दिन फिर गये थे। नयनसुख, नयनदुख, मलमल और तनजेब तनबेध हो गये थे। रतनसिंह ने आकर गौरा से कहा-लाओ, अब सब विदेशी कपड़े संदूक से निकाल दो, दे दूँ। गौरा-अरे तो इसी घड़ी कोई साइत निकली जाती है, फिर कभी दे देना। रतन-वाह, लोग द्वार पर खड़े कोलाहल मचा रहे हैं और तुम................................................................. ............................... ......मेहतर का काम करते थे। कितने ही भीख मांगते थे। अब सब अपने धंधे में लग गये हैं। सच पूछो तो तुम्हारी सुहाग की साड़ी ने हमें सुहागिन बना दिया, नहीं तो हम सुहागिन होते हुए भी विधवाएँ थीं। सच कहती हूँ, सैकड़ों जबानों से नित्य यही दुआ निकलती है कि आपका सुहाग अमर हो, जिसने हमारी राँड़ जात को सुहाग दान दिया। रतनसिंह एक दूकान पर बैठकर कुछ कपड़े देखने लगे। गौरा का भावुक हृदय आनंद से पुलकित हो रहा था। उसकी सारी अमंगल कल्पनाएँ स्वप्नवत् विच्छिन्न होती जाती थीं। आँखें सजल हो गयी थीं और सुहाग की देवी अश्रुसंचित नेत्रों के सामने खड़ी आँचल फैला कर उसे आशीर्वाद दे रही थी। उसने रतनसिंह को भक्तिपूर्ण आँखों से देख कर कहा-मेरे लिए भी एक साड़ी ले लो। जब गौरा यहाँ से चली तो सड़क की बिजलियाँ जल चुकी थीं। सड़कों पर खूब प्रकाश था। उसका हृदय भी आनंद के प्रकाश से जगमगा रहा था। रतनसिंह ने पूछा-सीधे घर चलूँ? गौरा-नहीं, छावनी की तरफ होते चलो। रतन-बाजार खूब सजा हुआ था। गौरा-यह जमीन ले कर एक स्थायी बाजार बनवा दो। स्वदेशी कपड़ों की दूकानें हों और किसी से किराया न लिया जाय। रतन-बहुत खर्च पड़ेगा। गौरा-मकान बेच दो, रुपये ही रुपये हो जायेंगे। रतन-और रहें, पेड़ तले? गौरा-नहीं, गाँववाले मकान में। रतन-सोचूँगा। गौरा-(जरा देर में) इलाके-भर में खूब कपास की खेती कराओ, जो कपास बोये उसकी बेगार माफ कर दो। रतन-हाँ, तदबीर अच्छी है, दूनी उपज हो जायेगी। गौरा-(कुछ देर सोचने के बाद) लकड़ी बिना दाम दो तो कैसा हो? जो चाहे, चरखे बनवाने के लिए काट ले जाये। रतन-लूट मच जायेगी। गौरा-ऐसी बेईमानी कोई न करेगा। जब उसने गाडी से उतर कर घर में कदम रखा तो चित्त शुभ-कल्पनाओं से प्रफुल्लित हो रहा था। मानो कोई बछड़ा खूंटे से छूटकर किलोलें कर रहा हो। _____________________________________________ 🔴 मुख्य पृष्ठ: मुंशी प्रेमचंद, सम्पूर्ण हिन्दी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और गद्य रचनाएँ। 🔴 मुख्य पृष्ठ: संपूर्ण हिंदी कहानियां। _____________________________________________ 🔴 Music By Calvin Clavier from Pixabay _____________________________________________ #hindistories #kahaniya #story #audiobook #audiostory #कहानियां #premchand #kahani #hindikahaniya

Comments