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" वैर का अंत " मुंशी प्रेमचंद की रोचक कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां 6 дней назад


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" वैर का अंत " मुंशी प्रेमचंद की रोचक कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

" वैर का अंत " मुंशी प्रेमचंद की रोचक कहानी | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां #hindistories ______________________________________________ 🔴 वैर का अंत रामेश्वरराय अपने बड़े भाई के शव को खाट से नीचे उतारते हुए भाई से बोले-तुम्हारे पास कुछ रुपये हों तो लाओ, दाह- क्रिया की फिक्र करें, मैं बिलकुल खाली हाथ हूँ। छोटे भाई का नाम विश्वेश्वरराय था। वह एक जमींदार के कारिंदा थे, आमदनी अच्छी थी। बोले, आधे रुपये मुझसे ले लो। आधे तुम निकालो। रामेश्वर-मेरे पास रुपये नहीं हैं। विश्वेश्वर-तो फिर इनके हिस्से का खेत रेहन रख दो। रामे.-तो जाओ, कोई महाजन ठीक करो। देर न लगे। विश्वेश्वरराय ने अपने एक मित्र से कुछ रुपये उधार लिये, उस वक्त का काम चला। पीछे फिर कुछ रुपये लिये, खेत की लिखा-पढ़ी कर दी। कुल पाँच बीघे जमीन थी। 300 रु. मिले। गाँव के लोगों का अनुमान है कि क्रिया-कर्म में मुश्किल से 100 रु. उठे होंगे। पर विश्वेश्वरराय ने षोड्शी के दिन 301 रु. का लेखा भाई के सामने रख दिया। रामेश्वरराय ने चकित हो कर पूछा-सब रुपये उठ गये ? विश्वे. क्या मैं इतना नीच हूँ कि करनी के रुपये भी कुछ उठा रखूँगा ? किसको यह धन पचेगा ? रामे.-नहीं, मैं तुम्हें बेईमान नहीं बनाता, खाली पूछता था। विश्वे. कुछ शक हो तो जिस बनिये से चीजें ली गयी हैं, उससे पूछ लो। साल भर के बाद एक दिन विश्वेश्वरराय ने भाई से कहा- रुपये हों तो लाओ, खेत छुड़ा लें। रामे.-मेरे पास रुपये कहाँ से आये। घर का हाल तुमसे छिपा थोड़े ही है। विश्वे. तो मैं सब रुपये देकर जमीन छोड़ाये लेता हूँ। जब तुम्हारे पास रुपये हों, आधा दे कर अपनी आधी जमीन मुझसे ले लेना। रामे.-अच्छी बात है, छुड़ा लो। 30 साल गुजर गये। विश्वेश्वरराय जमीन को भोगते रहे, उसे खाद गोबर से खूब सजाया। उन्होंने निश्चय कर लिया था कि यह जमीन न छोड़ेंगा। मेरा तो इस पर मौरूसी हक हो गया। अदालत से भी कोई नहीं ले सकता। रामेश्वरराय ने कई बार यत्न किया कि रुपये दे कर अपना हिस्सा ले लें; पर तीस साल में वे कभी 150 रु. जमा न कर सके। मगर रामेश्वरराय का लड़का जागेश्वर कुछ सँभल गया। वह गाड़ी लादने का काम करने लगा था और इस काम में उसे अच्छा नफा भी होता था। उसे अपने हिस्से की रात-दिन........................................ .......................................... ......जागेश्वर चला आया। उसके मन में कई बार यह बात आयी थी कि चाची को कुछ सहायता दिया करूँ, पर उनकी जली-कटी बातों से डरता था। आज से उसने एक नया ढंग निकाला है। लड़कों को खेलते देखता तो बुला लेता, कुछ खाने को दे देता। मजूरों को दोपहर की छुट्टी मिलती है। अब वह अवकाश के समय काम करके मजूरी के पैसे कुछ ज्यादा पा जाता। घर चलते समय खाने की कोई न कोई चीज लेता आता और अपने घरवालों की आँख बचा कर उन अनाथों को दे देता। धीरे-धीरे लड़के उससे इतने हिल- मिल गये कि उसे देखते ही 'भैया-भैया' कह कर दौड़ते, दिन भर उसकी राह देखा करते। पहले माता डरती थी कि कहीं मेरे लड़कों को बहला कर ये महाशय पुरानी अदावत तो नहीं निकालना चाहते हैं। वह लड़कों को जागेश्वर के पास जाने और उससे कुछ ले कर खाने से रोकती, पर लड़के शत्रु और मित्र को बूढ़ों से ज्यादा पहचानते हैं। लड़के माँ के मना करने की परवा न करते, यहाँ तक कि शनैः- शनैः माता को भी जागेश्वर की सहृदयता पर विश्वास आ गया। एक दिन रामेश्वर ने बेटे से कहा- तुम्हारे पास रुपये बढ़ गये हैं, तो चार पैसे जमा क्यों नहीं करते। लुटाते क्यों हो ? जागे. मैं तो एक-एक कौड़ी की किफायत करता हूँ ? रामे.-जिन्हें अपना समझ रहे हो, वे एक दिन तुम्हारे शत्रु होंगे। जागे. आदमी का धर्म भी तो कोई चीज है। पुराने वैर पर एक परिवार की भेंट नहीं कर सकता। मेरा बिगड़ता ही क्या है, यही न रोज घंटे-दो घंटे और मेहनत करनी पड़ती है। रामेश्वर ने मुँह फेर लिया। जागेश्वर घर में गया तो उसकी स्त्री ने कहा-अपने मन की ही करते हो, चाहे कोई कितना ही समझाये। पहले घर में आदमी दीया जलाता है। जागे. लेकिन यह तो उचित नहीं कि अपने घर में दीया की जगह मोमबत्तियाँ जलाये और मस्जिद को अँधेरा ही छोड़ दे। स्त्री-मैं तुम्हारे साथ क्या पड़ी, मानो कुएँ में गिर पड़ी। कौन सुख देते हो ? गहने उतार लिये, अब साँस भी नहीं लेते। जागे.-मुझे तुम्हारे गहने से भाइयों की जान ज्यादा प्यारी है। स्त्री ने मुँह फेर लिया और बोली-वैरी की संतान कभी अपनी नहीं होती। जागेश्वर ने बाहर जाते हुए उत्तर दिया-वैर का अंत वैरी के जीवन के साथ हो जाता है। ______________________________________________ मुख्य पृष्ठ: मुंशी प्रेमचंद, सम्पूर्ण हिन्दी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और गद्य रचनाएँ। मुख्य पृष्ठ: संपूर्ण हिंदी कहानियां। ______________________________________________ #hindistories #kahaniya #audiobook #कहानियां #kahani #story #premchand #hindikahaniya #audiostory

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