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रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 58 - मथुरा नरेश द्वारा जरासंध के आज्ञा पत्र को ठुकराना 1 месяц назад


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रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 58 - मथुरा नरेश द्वारा जरासंध के आज्ञा पत्र को ठुकराना

Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 58 - Mathura king rejecting Jarasandha's order letter आक्रमण की पूर्व रात्रि जरासंध मथुरा के निकट अपना पड़ाव डालता है। अपने सैन्य शिविर में वह साथी राजाओं से मंत्रणा करते हुए वह पूरी मथुरा को तहस नहस कर देने की अपनी मंशा प्रकट करता है। मद्र नरेश शल्य जरासंध को परामर्श देता है कि वैभवशाली मथुरा का विनाश करने के स्थान पर आप इसे अपने राज्य में मिला लें और कंस की हत्या का प्रतिशोध कृष्ण और बलराम को सूली पर चढ़ा कर ले लें। बाणासुर भी शल्य के परामर्श का समर्थन करता है। इस परामर्श को मानकर जरासंध राजा शूरसेन के पास आज्ञा पत्र भेजता है कि यदि आप मथुरा में नरसंहार रोकना चाहते हैं तो मेरी अधीनता स्वीकार कर लें और कृष्ण व बलराम को मेरे सुपुर्द कर दें। इस पत्र को पाकर राजा शूरसेन परेशान होते हैं। उनके अनेक मंत्री परामर्श देते हैं कि हमें जरासंध की पराधीनता स्वीकार करने की बजाय युद्ध में प्राणोंत्सर्ग करना चाहिये। किन्तु एक मंत्री विकृतु का मत है कि अगर पूरी मथुरा को बचाने के लिये केवल कृष्ण और बलराम का बलिदान देना पड़ रहा है तो कृष्ण को यह बलिदान स्वीकार कर लेना चाहिये। अक्रूर इसका विरोध करते हैं और कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने ही मथुरा को कंस के अत्याचारों से मुक्त कराया था और अब कंस के स्थान पर दूसरे आततायी जरासंध की पराधीनता स्वीकार करना, कहाँ की बुद्धिमत्ता होगी। इसके बाद राजा शूरसेन जरासंध के पत्र का उत्तर यह लिखकर भेजते हैं कि यादव सिर कटा सकते हैं, पर झुका नहीं सकते हैं। जरासंध मथुरा पर आक्रमण का आदेश देता है और रणनीति बनाता है कि बीस कोस का सफर तय करके उसकी सेना संध्याकाल तक मथुरा के प्रवेशद्वार तक पहुँच जायेगी। वह अपने सहयोगी राजाओं की नियुक्ति नगर के चारों द्वारों को घेरने की योजना बनाता है। इसकी सूचना गुप्तचर अक्रूर तक पहुँचाते हैं। अक्रूर सुरक्षा के लिहाज से नगर के सभी प्रवेश द्वार बन्द करा देते हैं। शत्रुसेना का स्वागत करने के लिये बड़े-बड़े कढ़ावों में तेल खौलाया जाने लगता है। जरासंध की सेना मथुरा के निकट पहुँचती है। उसका मुकाबला करने के लिये नगर के परकोटे पर मथुरा के सैनिक तैयार खड़े हैं। नगर के सभी द्वार बन्द देखकर जरासंध अपने सेनानायक को बाहर से ही पूरे नगर में आग लगा देने का आदेश देता है। इस पर शल्य कहता है कि हमने नगर बचाने की योजना बनायी थी और आग लगाने से पूरा नगर भस्म हो जायेगा। शल्य मथुरावासियों को अपने राजा के विरुद्ध भड़काने की जुगत लगाता है। वह अपने सैनिकों से बाण फिंकवाता है जो नगर के अन्दर जा गिरते हैं। हर बाण में पत्र बँधा है जिसमें प्रजा के नाम सन्देश है कि यदि वो कंस की हत्या के लिये जिम्मेदार कृष्ण और बलराम को जरासंध के सुपुर्द कर दें तो मथुरावासियों को क्षमा कर दिया जायेगा अन्यथा मथुरा की निर्दोष प्रजा मारी जायेगी। इस पत्र से मथुरावासी दो भागों में विभक्त हो जाते हैं। एक पक्ष का मत है कि वह अपने तारणहार को, अपने भगवान को जरासंध जैसे दुष्ट राजा के हवाले कैसे कर सकते हैं। वहीं बहुमत इस पक्ष में है कि यदि कृष्ण भगवान हैं तो वह अपनी रक्षा स्वयं कर लेंगे। इस समय प्रजा को तो केवल अपने बाल बच्चों को बचाने की चिन्ता करनी चाहिये। बहुमत का निर्णय मथुरा की राजसभा में पहुँचता है। श्रीकृष्ण प्रजाजन की बात मान लेने को कहते हैं। वह कहते हैं कि यह समय भावुकता से नहीं, राजनीति से काम लेने का है। इसलिये जरासंध को सन्देश भेज दिया जाये कि अगले दिन प्रातः कृष्ण और बलराम उसके सामने समर्पण कर देंगे। बलराम सिर हिलाकर कृष्ण को अपनी सहमति देते हैं। यह रात्रिकाल है इसलिये एक जलते हुए बाण के जरिये पत्र भेजकर श्रीकृष्ण के समर्पण की सूचना जरासंध की छावनी तक पहुँचायी जाती है। जरासंध और उसके सहयोगी राजा बिना लड़े युद्ध जीत लेने का उत्सव मनाते हैं। अगली सुबह श्रीकृष्ण और बलराम को अपनी हिरासत में लेने के लिये जरासंध का रथ मथुरा के दक्षिण द्वार की तरफ बढ़ता है। उधर नगर के रास्तों पर श्रीकृष्ण और बलराम को जाता देखकर उनके भक्त रो-रोकर बेहाल हैं और उनसे रुकने की विनती करते हैं। वह अपने तारणहार पर अपनी मथुरा न्यौछावर करने को तैयार हैं किन्तु बलराम और श्रीकृष्ण के पग अपने कर्तव्य पथ की ओर बढ़ते रहते हैं। Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर Chief Asst. Director - Yogee Yogindar मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर Camera - Avinash Satoskar कैमरा - अविनाश सतोसकर Music - Ravindra Jain संगीत - रविंद्र जैन Lyrics - Ravindra Jain गीत - रविंद्र जैन Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव Cast / पात्र Sarvadaman D. Banerjee सर्वदमन डी. बनर्जी Swapnil Joshi स्वप्निल जोशी Ashok Kumar अशोक कुमार बालकृष्णन Deepak Deulkar दीपक डेओलकर Sanjeev Sharma संजीव शर्मा Pinky Parikh पिंकी पारिख Reshma Modi रेशमा मोदी Shweta Rastogi श्वेता रस्तोगी Paulomi Mukherjee पौलोमी मुखर्जी Sunil Pandey सुनील पांडेय Damini Kanwal दामिनी कँवल Sulakshana Khatri सूलक्षणा खत्री Shahnawaz Pradhan शाहनवाज़ प्रधान Vilas Raj विकास राज Sandeep Mohan संदीप मोहन In association with Divo - our YouTube Partner #shreekrishna #shreekrishnakatha #krishna

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