Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб शततमोऽध्यायः - वृत्रासुरसे त्रस्त देवताओंको महर्षि दधीचका अस्थिदान एवं वज्रका निर्माण в хорошем качестве

शततमोऽध्यायः - वृत्रासुरसे त्रस्त देवताओंको महर्षि दधीचका अस्थिदान एवं वज्रका निर्माण 5 дней назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



शततमोऽध्यायः - वृत्रासुरसे त्रस्त देवताओंको महर्षि दधीचका अस्थिदान एवं वज्रका निर्माण

शततमोऽध्यायः - वृत्रासुरसे त्रस्त देवताओंको महर्षि दधीचका अस्थिदान एवं वज्रका निर्माण युधिष्ठिरने कहा—द्विजश्रेष्ठ! मैं पुनः बुद्धिमान् महर्षि अगस्त्यजीके चरित्रका विस्तारपूर्वक वर्णन सुनना चाहता हूँ ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠। लोमशजीने कहा—महाराज! अमिततेजस्वी महर्षि अगस्त्यकी कथा दिव्य, अद्भुत और अलौकिक है। उनका प्रभाव महान् है। मैं उसका वर्णन करता हूँ, सुनो ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠। सत्ययुगकी बात है, दैत्योंके बहुत-से भयंकर दल थे जो कालकेय नामसे विख्यात थे। उनका स्वभाव अत्यन्त निर्दय था। वे युद्धमें उन्मत्त होकर लड़ते थे ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠। उन सबने एक दिन वृत्रासुरकी शरण ले उसकी अध्यक्षतामें नाना प्रकारके आयुधोंसे सुसज्जित हो महेन्द्र आदि देवताओंपर चारों ओरसे आक्रमण किया ⁠।⁠।⁠ ४ ⁠।⁠। तब समस्त देवता वृत्रासुरके वधके प्रयत्नमें लग गये। वे देवराज इन्द्रको आगे करके ब्रह्माजीके पास गये ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠। वहाँ पहुँचकर सब देवता हाथ जोड़कर खड़े हो गये। तब ब्रह्माजीने उनसे कहा—‘देवताओ! तुम जो कार्य सिद्ध करना चाहते हो वह सब मुझे मालूम है ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠। ‘मैं तुम्हें एक उपाय बता रहा हूँ, जिससे तुम वृत्रासुरका वध कर सकोगे। दधीच नामसे विख्यात जो उदारचेता महर्षि हैं, उनके पास जाकर तुम सब लोग एक साथ एक ही वर माँगो। वे बड़े धर्मात्मा हैं। अत्यन्त प्रसन्नमनसे तुम्हें मुँहमाँगी वस्तु देंगे ⁠।⁠।⁠ ७-८ ⁠।⁠। ‘जब वे वर देना स्वीकार कर लें तब विजयकी अभिलाषा रखनेवाले तुम सब लोग उनसे एक साथ यों कहना—‘महात्मन्! आप तीनों लोकोंके हितके लिये अपने शरीरकी हड्डियाँ प्रदान करें’ ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। ‘तुम्हारे माँगनेपर वे शरीर त्यागकर अपनी हड्डियाँ दे देंगे। उनकी उन हड्डियोंद्वारा तुमलोग सुदृढ़ एवं अत्यन्त भयंकर वज्रका निर्माण करो ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠। ‘उसकी आकृति षट्‌कोणके समान होगी। वह महान् एवं घोर शत्रुनाशक अस्त्र भयंकर गड़गड़ाहट पैदा करनेवाला होगा। उस वज्रके द्वारा इन्द्र निश्चय ही वृत्रासुरका वध कर डालेंगे ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠। ‘ये सब बातें मैंने तुम्हें बता दी हैं। अतः अब शीघ्रता करो।’ ब्रह्माजीके ऐसा करनेपर सब देवता उनकी आज्ञा ले भगवान् नारायणको आगे करके दधीचके आश्रमपर गये। वह आश्रम सरस्वती नदीके उस पार था। अनेक प्रकारके वृक्ष और लताएँ उसे घेरे हुए थीं ⁠।⁠।⁠ १२-१३ ⁠।⁠। ....

Comments