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" 1857 की क्रांति " / 1857 का विद्रोह क्यों हुआ और उसके क्या-क्या महत्वपूर्ण कारण थे? 4 года назад


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" 1857 की क्रांति " / 1857 का विद्रोह क्यों हुआ और उसके क्या-क्या महत्वपूर्ण कारण थे?

hiii friends .. welcome to my YouTube channel " Hindi Voice " There is an important place of 1857 revolution in the history of India's independence. There were many reasons for this revolution. But most scholars have reason to cause fat cartridges. Yet most discoveries have been proved that the fat cartridge was just a reason. 1857 The reasons for this rebellion were also responsible for social, political, economic, and religious reasons. Veleezli's subsidiary and Dalhousie's lip policy was a significant political cause of this revolution. Dalhousie had mixed Jaitpur, Sambhalpur, Jhansi, and Nagpur etc. in the British Empire. He descended the Nawab of Awad and had seized the pension of former Peshwa. Its alva Dalhousie seized the state titles of Nawabo of Tanjore and Karnataka and Dalhousie finished the tradition of delivering the name of the name and the emperor to humiliate the Mughal King At that time the Mughal king was represented by the public. Therefore, their insult was considered to be their insult and forced to force the rebellion, some of the main reasons were. At that time, the participation of Indians in the administrative work was based on ethnic assault. Any Indian person knew not to reach the highest position from the Subner. In judicial areas, the British would have been superficial at all levels. Along with this, the company's geo-revenue system made most Indian farmers poor. Because the reward commission established in Bombay had seized approximately 2000 Jagiro by its recommendations. And the permanent settlement of the British, the Ryatwadi system, the farmers were very exploited by the farmers, due to which they went poor. Apart from this, special facilities were provided to the President of Christianity in India by the British. The people who accept भारत की आजादी के इतिहास में 1857 क्रान्ति का महत्वपूर्ण स्थान  है। इस क्रांति के अनेक कारण थे। लेकिन ज्यादातर विद्वानों ने इसका कारण चर्बी लगे कारतूसों को माना है। फिर भी अधिकांश खोजो से ये सिद्ध हो चूका है कि चर्बी युक्त कारतूस तो बस एक कारण था। 1857 इस विद्रोह को जन्म देने वाले कारणों में सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, और धार्मिक कारण भी जिम्मेदार थे। वेलेजली की सहायक सन्धि और डलहौजी की व्यपगत नीति इस क्रांति का महत्वपूर्ण राजनैतिक कारण था। डलहौजी ने अपनी व्यपगत नीति के द्वारा जैतपुर , सम्भलपुर, झाँसी, और नागपुर आदि को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया था।  उसने अवध के नवाब को गद्दी से उतर दिया एवं भूतपूर्व पेशवा की पेंशन जब्त कर ली थी। इसके आलावा डलहौजी ने तंजौर और कर्नाटक के नवाबो की राजकीय उपाधियाँ जब्त कर ली गयी तथा डलहौजी ने मुग़ल बादशाह को अपमानित करने के लिये सिक्को पर नाम खुदवाने की परम्परा को समाप्त कराव दिए और बादशाह को लालकिला छोड़कर कुतुबमीनार में रहने का आदेश दिया। उस समय मुग़ल बादशाह जनता का प्रतिनिधित्व करता था। इसलिए उनके अपमान को जनता ने अपना अपमान समझा और विद्रोह के लिए मजबूर होना पड़ा इसके आलावा कुछ प्रसाशनिक कारण भी थे। उस समय प्रशासनिक कार्यो में भारतीयों की भागीदारी जातीय श्रेष्ठा पर आधारित थी। कोई भी भारतीय व्यक्ति सूबेदार से ऊंचे पद तक नहीं पहुंच पता था। न्यायिक क्षेत्रों में अंग्रेजो को भारतीयों से हर स्तर पर श्रेष्टमाना  जाता था। इसके साथ-साथ कम्पनी की भू- राजस्व व्यवस्था ने अधिकांश भारतीय किसानो को निर्धन बना दिया था। क्योकि बम्बई में स्थापित इनाम कमीशन ने अपनी सिफारिशों के द्वारा लगभग 2000 जगीरो को जब्त कर लिया था। और अंग्रेजो के स्थायी बंदोबस्त, रैय्यतवाड़ी व्यवस्था, महालवारी व्यवस्था के द्वारा किसानो का बहुत शोषण हुआ जिसके कारण वे निर्धन होते चले गये। इसके अतिरिक्त अंग्रेजो के द्वारा भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये विशेष सुविधाये प्रदान की गयी। अंग्रेजो के "धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम 1956 " द्वारा ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले लोगो को ही अपनी पैतृक सम्पति का हक़दार माना जाता था। और उन लोगो को ही नौकरियों में पदोन्नति और शिक्षण संस्थाओ में प्रवेश की सुविधा प्रदान की गयी। यह भी विद्रोह का एक कारण था। इन सभी कारणों की आलावा कुछ आर्थिक कारण भी थे। अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों का आर्थिक शोषण किया गया और उनके आर्थिक ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। अंग्रेजो की ब्रिटिश भू और भू राजस्व नीतियों ने बड़ी संख्या में किसानो और जमीदारो को उनके अधिकार से अलग कर दिया। इन कारणों के अतिरिक्त भी 1857 की क्रांति के सैनिक करने में अनेक ऐसे कारण थे जिन्होंने इस विद्रोह की पृष्टभूमि तैयार की भारतीय सेना में काम करने वाले सैनिको में ज्यादातर कनिष्ट अफसर थे। जिन्हे सेना में पदोन्नति का कोई फायदा नहीं दिया जाता था। जोकि विद्रोह का कारण बना। चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग को विद्रोह का तात्कालिक कारण माना गया। विभिन्न कारणों से भारतीय जनता ब्रिटिश शासन से आक्रोश में थी तभी केनिन की दो घोषणाओं ने आग में घी का काम किया।  सेना के नये रंगरूटों के लिए समुन्द्र पार के ब्रिटिश प्रदेशो में सेवा करना अनिवार्य कर दिया जिन्हे वे धर्म के विरुद्ध समनझते थे।  सैनिको को ऐसे कारतूस के प्रयोग के लिए विवश होना पड़ा जिनमे गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई थी।  कैनिंग सरकार ने 1857 में सैनिको के प्रयोग के लिए ब्राउन बैस गन के स्थान पर एनफील्ड रायफल का प्रयोग शुरू करवाया जिसमे कारतूस को लगाने से पहले दांत से खींचना पड़ता था। इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी लगी थी। इसलिए हिन्दू और मुसलमान दोनों भड़क उठे जिसके परिणामस्वरूप 1857 के विद्रोह की शुरुआत हो गयी।

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