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" 1857 की क्रांति " / मंगल पांडे का विद्रोह बैरकपुर छावनी से / Indian history notes in hindi 4 года назад


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" 1857 की क्रांति " / मंगल पांडे का विद्रोह बैरकपुर छावनी से / Indian history notes in hindi

hiii friends .. welcome to my YouTube channel " Hindi Voice " 1857 का विद्रोह क्यों हुआ और उसके क्या-क्या महत्वपूर्ण कारण थे?    • " 1857 की क्रांति " / 1857 का विद्रोह...   मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 19वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। 1849 में जब वे 22 साल के थे, तभी से वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही रहे। ईस्ट इंडिया कंपनी की स्वार्थी नीतियों के कारण मंगल पांडे के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत थी। जब कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है जो कि हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए गंभीर और धार्मिक विषय था।    इस अफवाह ने सैनिकों के मन में अंग्रेजी सेना के विरूद्ध आक्रोश पैदा कर दिया। इसके बाद 9 फरवरी 1857 को जब यह कारतूा देशी पैदल सेना को बांटा गया तब मंगल पाण्डेय ने उसे न लेने को लेकर विद्रोह जता दिया। इस बात से गुस्साए अंग्रेजल अफसर द्वारा मंगल पांडे से उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतरवाने क का आदेश दिया जिसे मानने से मंगल पांडे ने इनकार कर दिया। मंगल पांडे ने राइफल छीनने के लिए आगे बढ़ने वाले अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण कर दिया। मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया। इतना ही नहीं मंगल पांडे ने रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद पांडे ने उनके रास्ते में आए एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉब को भी मौत के घात उतार दिया। इस घटना के बाद उन्हें अंग्रेज सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार किया गया और उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गई।  फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी, लेकि‍न अंग्रेजों द्वारा मंगल पांडे को दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को फांसी दे दी गई। मंगल द्वारा विद्रोह किए जाने के एक महीने बाद ही 10 मई को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत हुई और यह विद्रोह देखते-देखते पूरे उत्तर भारत में फैल गया। मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष भड़क उठा। हालांकि अंग्रेज इसे काबू करने में कामयाब रहे लेकिन मंगल पांडे द्वारा लगाई गई यह चिंगारी ही आजादी की लड़ाई का मूल बीज साबित हुई।  यह विद्रोह ही भारत का प्राथम स्वतंत्रता संग्राम था, जिसमें सि‍र्फ सैनिक ही नहीं, राजा-रजवाड़े, किसान, मजदूर एवं अन्य सभी सामान्य लोग शामिल हुए। इस विद्रोह के बाद भारत पर राज्य करने का अंग्रेजों का सपना उन्हें कमजोर होता साबित हुआ। Mangal Pandey was an Indian freedom fighter who played an important role in 1857 in India's first independence struggle. He was a soldier of East India Company's 19th Bengal Infentry. The then English rule termed them as rebellion while the common Hindustani gives them respect as the hero of freedom. A postage ticket was released in 1984 in 1984 by the Government of India about his important role in India's independence struggle. Mangal Pandey born 19 July 1827 [1] Ballia, Najwan village, Bharatmutui 8 April 1857 Barrackpore, Bharakpur, Bharakpur Cantonment in Bengal Network Infantry in 19th Reji. The rebellion of 1857 was the beginning of the rebellion due to a gun. The Patter 1853 Enfield gun was given to the soldiers who had a 0.577 calbum gun and was powerful and accurate in comparison to the brown bass being used for old and many decades. The modern system (Prance Cap) of the bullet in the new gun was used, but the process of shooting in the gun was old. To fill the new Enfield gun, the cartridge had to be cut off by cutting from teeth and filled the cartridge and filled the cartridge. The outer cover of the cartridge was fat, which saved him from the seal of water. The rumor between the soldiers had spread that fat in cartridge is made of pork and cow meat. On 29 March 1857, Barrackpore Parade, near Mangal Pandey, who was a resident of Nagwa, Ballia (Uttar Pradesh), was injured by attacking the Leftinet Bagh. According to General Jan Hersia, Mangal Pandey was in some kind of religious madness General, Jamadar eswar Prasad ordered Mangal Pandey to arrest but Zamar refused. Except for a soldier Sheikh reversal, all the rejemet refused to arrest Mangal Pandey. Mangal Pandey asked his companions to rebel openly but if he did not believe in anyone, he tried to take his life with his gun. But they were injured only in this effort. On 6th April 1857, Mangal Pandey's court was hit and on 8th April 1857, 26 years was sentenced to 9 months. गरम दल नरम दल में विभाजन 1907 / सूरत अधिवेशन 1907    / emvo1fo80z   गांधीजी का प्रथम सफल सत्याग्रह / चंपारण सत्याग्रह    • चंपारण सत्याग्रह / नील की खेती का विर...  

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