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Ravindra Ramayan | रामायण - अयोध्या कांड | Ravindra Jain 1 год назад


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Ravindra Ramayan | रामायण - अयोध्या कांड | Ravindra Jain

Check out our website: www.rjeventmanagement.com Please Like, Share, and Subscribe! Also, press the notification bell to get notified about new uploads! If you have any queries, find us at [email protected] अयोध्याकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। राम के विवाह के कुछ समय पश्चात् राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करना चाहा। इस पर देवता लोगों को चिंता हुई कि राम को राज्य मिल जाने पर रावण का वध असम्भव हो जायेगा। व्याकुल होकर उन्होंने देवी सरस्वती से किसी प्रकार के उपाय करने की प्रार्थना की। सरस्वती ने मन्थरा, जो कि कैकेयी की दासी थी, की बुद्धि को फेर दिया। मन्थरा की सलाह से कैकेयी कोपभवन में चली गई। दशरथ जब मनाने आये तो कैकेयी ने उनसे वरदान मांगे कि भरत को राजा बनाया जाये और राम को चौदह वर्षों के लिये वनवास में भेज दिया जाये। राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वन चले गये। ऋंगवेरपुर में निषादराज गुह ने तीनों की बहुत सेवा की। कुछ आनाकानी करने के बाद केवट ने तीनों को गंगा नदी के पार उतारा| प्रयाग पहुँच कर राम ने भरद्वाज मुनि से भेंट की। वहाँ से राम यमुना स्नान करते हुए वाल्मीकि ऋषि के आश्रम पहुँचे। वाल्मीकि से हुई मन्त्रणा के अनुसार राम, सीता और लक्ष्मण चित्रकूट में निवास करने लगे। Rama Crosses Saryu अयोध्या में पुत्र के वियोग के कारण दशरथ का स्वर्गवास हो गया। वशिष्ठ ने भरत और शत्रुघ्न को उनके ननिहाल से बुलवा लिया। वापस आने पर भरत ने अपनी माता कैकेयी की, उसकी कुटिलता के लिये, बहुत भर्तस्ना की और गुरुजनों के आज्ञानुसार दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया कर दिया। भरत ने अयोध्या के राज्य को अस्वीकार कर दिया और राम को मना कर वापस लाने के लिये समस्त स्नेहीजनों के साथ चित्रकूट चले गये। कैकेयी को भी अपने किये पर अत्यंत पश्चाताप हुआ। सीता के माता-पिता सुनयना एवं जनक भी चित्रकूट पहुँचे। भरत तथा अन्य सभी लोगों ने राम के वापस अयोध्या जाकर राज्य करने का प्रस्ताव रखा जिसे कि राम ने, पिता की आज्ञा पालन करने और रघुवंश की रीति निभाने के लिये, अमान्य कर दिया। भरत अपने स्नेही जनों के साथ राम की पादुका को साथ लेकर वापस अयोध्या आ गये। उन्होंने राम की पादुका को राज सिंहासन पर विराजित कर दिया स्वयं नन्दिग्राम में निवास करने लगे। "सीता श्रद्धा देश की राम अटल विश्वास।रामायण तुलसी रचित हम तुलसी के दास।" रवीन्द्र जैन जी द्वारा स्वयं और तुलसी रचित और संगीतबद्ध चोपाईयां घर घर तक रामायण सीरियल के द्वारा पहुंचायी तब रवीन्द्र जैन रचित चोपाईयों को तुलसी रचित चोपाई समझते थे। रवीन्द्र जैन जी ने रामायण को सरल शब्दों में कभी सीरियल कभी नृत्यनाटिका तो कभी चोपाईयों के रूप में अनेकों बार रचा तब हृदय में राम ने कहा रवीन्द्र तुम मुझे कितनी बार अपनी आत्मा की आवाज से पुकारते हो कभी मुझे तुलसी की तरह कलम से शब्दों में निखारो। रवीन्द्र चल पढ़े उस डगर पर और सुंदर सरल सुपावन रवीन्द्र रामायण रच डाली जो आज आपके समक्ष है। प्रभात प्रकाशन द्वारा रवीन्द्र रामायण को जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया गया और उसे संगीतबद्ध कर श्री द्वारकाधीश किर्येशन के सुभाष गुप्ता जी ने ओडियो और वीडियो के रूप में जन जन तक पहुंचाया। आज आर जे ग्रुप उसी रवीन्द्र रामायण को आपके समक्ष यूट्यूब पर अपलोड करते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि हम रवीन्द्र जैन जी के चाहने वालों की इच्छा पूरी कर रहे हैं। After years of composing Ramayan and bhajans of Shri Ram, Ravindra Jain in the last decade decided to put pen to paper and write his own Ravindra Ramayan. Music Director: Ravindra Jain Author/Lyricist: Ravindra Jain Singer: Ravindra Jain Please Like, Share, and Subscribe! Also, press the notification bell to get notified about new uploads! If you have any queries, find us at [email protected] Join this channel to get access to the perks:    / @ravindrajaingroup   Follow us on our socials: FB:   / ravindrajainmd   Insta:   / ravindra_jain_group   Twitter:   / ravindrajain99   Website: www.rjeventmanagement.com -------------------------------------------------------------------------------------------------- In association with Divo #ravindrajain #ayodhyakand #ramayan #ravindraramayan

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