У нас вы можете посмотреть бесплатно Ravindra Ramayan | रामायण - किष्किंधा कांड | Ravindra Jain или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
Click here to subscribe : https://yt.openinapp.co/xheys किष्किन्धाकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। श्री राम ऋष्यमूक पर्वत के निकट आ गये। उस पर्वत पर अपने मंत्रियों सहित सुग्रीव रहता था। सुग्रीव ने, इस आशंका में कि कहीं बालि ने उसे मारने के लिये उन दोनों वीरों को न भेजा हो, हनुमान को श्री राम और लक्ष्मण के विषय में जानकारी लेने के लिये ब्राह्मण के रूप में भेजा। यह जानने के बाद कि उन्हें बालि ने नहीं भेजा है हनुमान ने श्री राम और सुग्रीव में मित्रता करवा दी। सुग्रीव ने श्री राम को सान्त्वना दी कि जानकी जी मिल जायेंगीं और उन्हें खोजने में वह सहायता देगे। साथ ही अपने भाई बालि के अपने ऊपर किये गये अत्याचार के विषय में बताया। श्री राम ने बालि का वध कर के सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य तथा बालि के पुत्र अंगद को युवराज का पद दे दिया। राज्य प्राप्ति के बाद सुग्रीव विलास में लिप्त हो गये और वर्षा तथा शरद् ऋतु बीत गए । राम के नाराजगी पर सुग्रीव ने वानरों को सीता की खोज के लिये भेजा। सीता की खोज में गये वानरों को एक गुफा में एक तपस्विनी के दर्शन हुये। तपस्विनी ने खोज दल को योगशक्ति से समुद्रतट पर पहुँचा दिया जहाँ पर उनकी भेंट सम्पाती से हुई। सम्पाती ने वानरों को बताया कि रावण ने सीता को लंका की अशोकवाटिका में रखा है। जाम्बवन्त ने हनुमान को समुद्र लांघने के लिये कहा किन्तु हनुमान जी इतनी दुर कैसे जाएंगे । तब हनुमान जी ने जाम्बवन्त जी से पुछा कि " मैं इतनी दुर कैसे जा पाऊंगा।" तब जाम्बवन्त जी ने उनकी शक्तियों को याद दिलाया और बताया कि उन्हें श्री भृगुवंशी जी को परेशान करते थे जिससे तंग आकर उन्होंने हनुमान को श्राप दे दिया की,"आप अपने बल और तेज को सदा के लिए भूल जाएं लेकिन जब कोई आपको आपकी शक्तियां याद कराएगा तभी आप उसका उपयोग कर सकोगे।" "सीता श्रद्धा देश की राम अटल विश्वास।रामायण तुलसी रचित हम तुलसी के दास।" रवीन्द्र जैन जी द्वारा स्वयं और तुलसी रचित और संगीतबद्ध चोपाईयां घर घर तक रामायण सीरियल के द्वारा पहुंचायी तब रवीन्द्र जैन रचित चोपाईयों को तुलसी रचित चोपाई समझते थे। रवीन्द्र जैन जी ने रामायण को सरल शब्दों में कभी सीरियल कभी नृत्यनाटिका तो कभी चोपाईयों के रूप में अनेकों बार रचा तब हृदय में राम ने कहा रवीन्द्र तुम मुझे कितनी बार अपनी आत्मा की आवाज से पुकारते हो कभी मुझे तुलसी की तरह कलम से शब्दों में निखारो। रवीन्द्र चल पढ़े उस डगर पर और सुंदर सरल सुपावन रवीन्द्र रामायण रच डाली जो आज आपके समक्ष है। प्रभात प्रकाशन द्वारा रवीन्द्र रामायण को जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया गया और उसे संगीतबद्ध कर श्री द्वारकाधीश किर्येशन के सुभाष गुप्ता जी ने ओडियो और वीडियो के रूप में जन जन तक पहुंचाया। आज आर जे ग्रुप उसी रवीन्द्र रामायण को आपके समक्ष यूट्यूब पर अपलोड करते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि हम रवीन्द्र जैन जी के चाहने वालों की इच्छा पूरी कर रहे हैं। After years of composing Ramayan and bhajans of Shri Ram, Ravindra Jain in the last decade decided to put pen to paper and write his own Ravindra Ramayan. Music Director: Ravindra Jain Author/Lyricist: Ravindra Jain Singer: Ravindra Jain Please Like, Share, and Subscribe! Also, press the notification bell to get notified about new uploads! If you have any queries, find us at [email protected] Join this channel to get access to the perks: / @ravindrajaingroup Follow us on our socials: FB: / ravindrajainmd Insta: / ravindra_jain_group Twitter: / ravindrajain99 Website: www.rjeventmanagement.com -------------------------------------------------------------------------------------------------- In association with Divo #ravindrajain #kishkindhakand #ramayan #ravindraramayan