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Bandish Ki Kahani - Shree | Guru-Shishya Parampara | Dr. Ashwini Bhide Deshpande | Batiyan Daurawat 1 год назад


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Bandish Ki Kahani - Shree | Guru-Shishya Parampara | Dr. Ashwini Bhide Deshpande | Batiyan Daurawat

‘गुरु शिष्य परंपरा’ हमारे भारतीय शास्त्रीय संगीत में बहुत ही जानामाना तथा पूजनीय विषय है। संगीत परंपरा में गुरु कहे, और शिष्य उसका अनुकरण करे, यही शिक्षा पद्धती थी और अभी भी है। मानों छोटे से शिशु को उँगली पकड़कर चलना सीखा रही माँ। संगीतशिक्षा का यही प्रथम पायदान है। अनुकरण बहुत ही अहमियत रखता है, क्यूं कि भारतीय संगीतविद्या लिखित विद्या नहीं है। किसी भी संगीताविष्कार को हूबहू लिखना मुश्किल है। इसलिए गुरु जो गायें उसे ध्यान देकर बारीकी से सुनना और जो सुना उसका हूबहू पुनरुच्चारण करना यही संगीतशिक्षा का मर्म है। गुरु-शिष्य संबंधों का अगला पायदान होता है गुरु के कलाबोध - aesthetics - के अनुकरण का! गुरूने अनेकों बार बताई हुई, अनेक सांगीतिक रचनाऐं, आकृतियां या तथ्य शिष्य बिना किसी प्रकार का संदेह किए 'सुंदर' समझकर सीख लेता है। इसीसे शिष्य की सौंदर्यदृष्टि भी ख़ुदबख़ुद संवरती जाती है। सिखाते समय गुरू इन आकृतियों के सौंदर्य को शिष्य के सामने खोलता है, समझाता है... और उसे यह दृष्टि प्रदान करता है कि यह आकृती सुंदर क्यूं है। यह बात जब शिष्य समझने लगे, तब अकेले में रियाझ करते समय - जब गुरु सामने न हो - तब भी। इस पायदान पर शिष्य गुरु के दिखाये मार्ग पर ही चल रहा होता है, पर गुरु की उँगली पकड़े बिना। पर अगला पड़ाव होता है, जब शिष्य को अपना रास्ता ख़ुद बनाना पड़ता है। इस पायदानपर खडा शिष्य गुरू की विचारधारा को समानांतर रूप से ग्रहण कर सकता है, तथा गुरु के विचार से पूरक अपने विचार प्रकट कर सकता है। इस पड़ाव पर खडे गुरु-शिष्यका नाता दाता और याचक का न रहकर दोनों दाता - और अधिकाधिक देनेवाले - बन जाते हैं। साथ ही साथ दोनों एकदूसरे के पास से ग्रहण भी कर रहे होते हैं। यह एक आनंद का आदानप्रदान होता है। इस पायदान पर खडा शिष्य गुरू से संवाद तो कर ही सकता है, बल्कि, विमर्श भी कर सकता है। उसकी विचारधारा गुरू की विचारधारा से भिन्न भी हो सकती है, दोनों मिलकर एक ही तथ्य के बारे में प्रतिवाद कर सकते हैं और अंततः दो अलग अलग पगडंडियों को स्वीकार भी कर सकते हैं। यही समय होता है शिष्य के गुरु से अलग होने का, शिष्य के निजी स्वतंत्र कला अस्तित्व के जन्म का! “गुरुबिन कौन बतावे बाट? भवसागर का लंबा घाट” .... Written & Presented by: Dr. Ashwini Bhide Deshpande Creative Ideation: Amol Mategaonkar Audio Recording, Mixing: Amol Mategaonkar Video Recording: Kannan Reddy Editing: Amol Mategaonkar Special thanks to: Smt Pushpa Bharti, Location Courtesy: Meenal & Amol Mategaonkar Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar

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