У нас вы можете посмотреть бесплатно आखिर शेर कैसे बना माँ दुर्गा की सवारी, जानिए दुर्गा माता और शेर की कहानी...| Shiva-Durga connection или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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बताने जा रहे है जो आपने शायद ही सुनी होगी। भारत के ज्यादा से ज्यादा घरों में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। और माँ दुर्गा की सवारी शेर को मन गया है। क्या आप जानते है शेर माता की सवारी कैसे बना अगर नही जानते तो आइये जाने देवी पार्वती बचपन से ही शिव भक्त थी और शिव को अपना पति मानती थी। इसलिए भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तप करती रहती थी। जब पार्वती गहरी तपस्या में मग्न थी, तब भगवान शिव उसकी तपस्या से खुश होकर प्रकट हुए और पार्वती को मनचाहा वरदान दिया, जिससे शिव की शादी पार्वती से तय हो गई। इस विवाह में सभी देवी देवता, साधू -ऋषि, शिव गण आये हुए थे।एक समय भगवान शिव और माता पार्वती दोनों कैलाश पर मजाक करते हुए बैठे थे। पार्वती के कठोर तप से पार्वती का रंग हल्का काला हो चुका था। इसलिए शिवजी मजाक में माता पार्वती को रंग की वजह से काली कहते थे। ये बात माता पार्वती को बुरी लगती थी, जिससे माता पार्वती शिव से नाराज हो गई और कैलाश छोड़कर फिर तपस्या में मग्न हो गई।उसी समय एक शेर जो भूखा था, शिकार पर निकला था, देवी पर्वती के पास आता है। वह सिंह देवी पार्वती को आहार बनाकर खाना चाहता था. लेकिन तप में मग्न देख वह उसी जगह बैठ गया। वह सिंह देवी की तपस्या ख़त्म होकर उठने का इंतज़ार करने लगा। लेकिन देवी को तप से उठने में बहुत समय लग गया। कई साल बीत गए, लेकिन वह सिंह उस स्थान से नहीं हटा। देवी के इंतज़ार में बैठा रहा। इसी दौरान पार्वती के तप से शिवजी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुए और गोरे रंग का वरदान दिया। शिव के निर्देश से पार्वती गंगा नदी के पास गई और वहां स्नान कर सावले शरीर से गौरवर्ण में बदल गई। इस गोरे रंग के कारण माता पार्वती गौरी के नाम से विख्यात हुई। देवी पार्वती ने वर प्राप्ति के बाद सिंह को उसकी प्रतीक्षा और धर्य देखकर अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया। देवी पार्वती के लिए सिंह की यह प्रतीक्षा किसी कठोर तप से कम नहीं थी। जिससे खुश होकर माता पार्वती ने सिंह को अपनी सवारी होने का वरदान देते हुए अपनी सेवा में रख लिया।