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परिवर्तिनी एकादशी । वामन एकादशी का व्रत कब और कैसे रखे । वामन द्वादशी का पारण कैसे करें ? 1 месяц назад


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परिवर्तिनी एकादशी । वामन एकादशी का व्रत कब और कैसे रखे । वामन द्वादशी का पारण कैसे करें ?

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व माना गया है और प्रत्येक महीने दो एकादशी तिथि पड़ती हैं. जिनमें से एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 14 सितंबर 2024, शनिवार को रखा जाएगा. इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए क्योंकि बिना कथा कोई भी व्रत पूरा नहीं माना जाता. परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा.... त्रेता युग में भगवान विष्णु का महान भक्त राजा बलि हुआ. राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी वो भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था. उसकी नियमित भक्ति और प्रार्थनाओं से भगवान विष्णु प्रसन्न हो उठे. राजा बलि राजा विरोचन के पुत्र और प्रहलाद के पौत्र थे और ब्रह्मणों की सेवा करते थे. इस प्राकर अपने तप, पूजा और विनम्र स्वभाव के कारण राजा बलि ने अनेकों शक्तियाँ अर्जित कर लीं और इन्द्र के देवलोक के साथ त्रिलोक पर अधिकार कर लिया. इससे देवता लोकविहीन हो गए. इन्द्र को उसका राज्य वापस दिलवाने के लिए भगवान विष्णु को वामन अवतार लेना पड़ा. वे वामन अर्थात् बौने ब्रह्माण का रूप धरकर राजा बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह करने लगे. वामन रूप में भगवान ने एक हाथ में लकड़ी का छाता रखा हुआ था. गुरू शुक्रचार्य के मना करने के बावजूद राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे डाला. वचन सुनकर वामन अवतार अपना आकार बढ़ाते गए और उन्होंने इतना आकार बढ़ा लिया कि पहले कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक को नाप लिया. उनके तीसरे कदम के लिए कोई भूमि ही नहीं बची. तब वचन के पक्के राजा बलि ने कदम रखने के लिए उन्हें अपना सिर प्रस्तुत किया. वामन रूप रखे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति और वचनबद्धता से अत्यंत प्रसन्न हो गए और राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया. इसके साथ ही भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि चतुर्मास अर्थात चार माह में उनका एक रूप क्षीर सागर में शयन करेगा और दूसरा रूप राजा बलि के पाताल में उस राज्य की रक्षा के लिए रहेगा. परिवर्तिनी एकादशी का कथासार ये है कि... इस दिन मनुष्य दान करें किंतु दान के पश्चात् अभिमान न करे । क्योंकि अहंकारपूर्वक किया गया दान , पुण्य का नाश कर देता है । राजा बलि ने अभिमान किया और पाताल को चला गया । इससे यह भी ज्ञात होता है कि प्रत्येक कार्य की अति अच्छी नहीं होती है । #परवर्तिनी​ एकादशी #परिवर्तिनी​ एकादशी व्रत कथा #परवर्तिनी​ एकादशी कब है #एकादशी​ पारण समय #परिवर्तिनी​ एकादशी #परवर्तिनी​ एकादशी की कथा #जलझूलनी​ एकादशी #परवर्तिनी​ एकादशी 2024 कब है #परवर्तिनी​ एकादशी व्रत पूजा विधि #परिवर्तिनी​ एकादशी पूजा विधि #वामन​ एकादशी कब है #एकादशी​ का पारण कैसे करें #वामन​ एकादशी व्रत कथा Parivartini ekadashi vrat,shubh muhurt, Pooja vidhi aur paaran samay......     • परिवर्तिनी एकादशी । वा...  ​

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