У нас вы можете посмотреть бесплатно मूल नक्षत्र का निवास कहां कहां होता है? или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
मूल नक्षत्र का निवास कहां कहां होता है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों को उनके पिता को कुल इतने दिनों तक नहीं देखना चाहिए। अगर देखना हो तो मूल की शांति विधि-विधान से करने के बाद संतान को देखने से कोई दोष नहीं लगता। मूल संज्ञक नक्षत्र- अश्विनी, अश्लेषा, मघा, जयेष्ठा, मूल, रेवती आदि नक्षत्रों की संज्ञा मूल कहलाती है। बड़े मूल- अश्लेषा, जयेष्ठा, मूल एवं मघा आदि। छोटे मूल – अश्विनी, रेवती मूल संज्ञक नक्षत्र में उत्पन्न बालक का मुख पिता को 8 साल या 6 माह तक नहीं देखना चाहिए। समयानुसार 27वें दिन जन्म-नक्षत्र में मूल शांति व बालक का छायादान कराकर मुख देखने में को दोष नहीं है। मूल का निवास – वैशाख, ज्येष्ठ, मार्गशीर्ष, फाल्गुन मास में पाताल में। चैत्र, श्रावण, कार्तिक, पौष मास में भूमि पर। आषाढ़, भाद्रपद, आश्विन और माघ मास में मूल का वास स्वर्ग में रहता है। मूल निवास फलम् – पाताल में धनागम। भूमि पर – कूल नाशकारक। स्वर्ग में – शुभफलकारक होता है। Mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nakshtra ka nivas Kanha Kanha hota hai mul nashtra Kanha Kanha hota hai