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मुझे अपने ही रंग में रंगले,mujhe apne he rang me rangle मुश्किल है सहन करना,mushkil hai sahan karna मैं जहा भी रहु बरसाना मिले,mai janha bhi rahu barsana mile मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर,mere jeevan ki judgai door वृषभानु सुते करुणा करके बांके बिहारी मुझको देना सहारा,banke bihari mujhko dena sahara श्याम मोरे नैनन आगे रहियो,shyam more nainan aange rahiyo मुझे वृंदावन बुलाया ये कर्म नहीं तो क्या हैं,mujhe vrindavan bulaya ye karam nahi to kya hai मेरे बांके बिहारी पिया चुरा दिल मेरा लिया,mere banke bihari piya chura dil mera liya सारी दुनिया है दीवानी राधा रानी आपकी,saari duniya hai deewani radha rani aap ki, 1034-JKB_DVT_24 साध्वी पूर्णिमा दीदी के प्रसिद्ध भजन ~ Sadhvi purnima ~ mujhe apne he rang me rangle ~krishna bhajan Special Sadhvi purnima didi bhajan ~ साध्वी पूर्णिमा दीदी के प्रसिद्ध भजन~shri radhe krishna bhajan , Special Sadhvi purnima didi bhajan ~ साध्वी पूर्णिमा दीदी के प्रसिद्ध भजन~shri radhe krishna bhajan श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। Singer - Sadhvi Purnima Ji 👉 Subscribe Now :- Subscribe Us :- https://cutt.ly/Qk3dENi Parent Label (Publisher) - Shubham Audio Video Private Limited