У нас вы можете посмотреть бесплатно Independence Day : 15 August, 1947, वो सुबह जिसका सभी को इंतज़ार था... (BBC Hindi) или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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जब 14 अगस्त, 1947 की शाम लॉर्ड माउंटबेटन कराची से दिल्ली लौटे तो वो अपने हवाई जहाज़ से मध्य पंजाब में आसमान की तरफ़ जाते हुए काले धुएं को साफ़ देख सकते थे. इस धुएं ने नेहरू के राजनीतिक जीवन के सबसे बड़े क्षण की चमक को काफ़ी हद तक धुंधला कर दिया था. 14 अगस्त की शाम जैसे ही सूरज डूबा, दो संन्यासी एक कार में जवाहर लाल नेहरू के 17 यॉर्क रोड स्थित घर के सामने रुके. उनके हाथ में सफ़ेद सिल्क का पीतांबरम, तंजौर नदी का पवित्र पानी, भभूत और मद्रास के नटराज मंदिर में सुबह चढ़ाए गए उबले हुए चावल थे. जैसे ही नेहरू को उनके बारे में पता चला, वो बाहर आए. उन्होंने नेहरू को पीतांबरम पहनाया, उन पर पवित्र पानी का छिड़काव किया और उनके माथे पर पवित्र भभूत लगाई. इस तरह की सारी रस्मों का नेहरू अपने पूरे जीवन विरोध करते आए थे लेकिन उस दिन उन्होंने मुस्कराते हुए संन्यासियों के हर अनुरोध को स्वीकार किया. थोड़ी देर बाद अपने माथे पर लगी भभूत धोकर नेहरू, इंदिरा गांधी, फ़िरोज़ गाँधी और पद्मजा नायडू के साथ खाने की मेज़ पर बैठे ही थे कि बगल के कमरे मे फ़ोन की घंटी बजी. ट्रंक कॉल की लाइन इतनी ख़राब थी कि नेहरू ने फ़ोन कर रहे शख़्स से कहा कि उसने जो कुछ कहा उसे वो फिर से दोहराए. जब नेहरू ने फ़ोन रखा तो उनका चेहरा सफ़ेद हो चुका था. उनके मुँह से कुछ नहीं निकला और उन्होंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढँक लिया. जब उन्होंने अपना हाथ चेहरे से हटाया तो उनकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं. उन्होंने इंदिरा को बताया कि वो फ़ोन लाहौर से आया था. वहाँ के नए प्रशासन ने हिंदू और सिख इलाक़ों की पानी की आपूर्ति काट दी थी. लोग प्यास से पागल हो रहे थे. जो औरतें और बच्चे पानी की तलाश में बाहर निकल रहे थे, उन्हें चुन-चुन कर मारा जा रहा था. लोग तलवारें लिए रेलवे स्टेशन पर घूम रहे थे ताकि वहाँ से भागने वाले सिखों और हिंदुओं को मारा जा सके. फ़ोन करने वाले ने नेहरू को बताया कि लाहौर की गलियों में आग लगी हुई थी. नेहरू ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा, 'मैं आज कैसे देश को संबोधित कर पाऊंगा? मैं कैसे जता पाऊंगा कि मैं देश की आज़ादी पर ख़ुश हूँ, जब मुझे पता है कि मेरा लाहौर, मेरा ख़ूबसूरत लाहौर जल रहा है.' इंदिरा गाँधी ने अपने पिता को दिलासा देने की कोशिश की. उन्होंने कहा आप अपने भाषण पर ध्यान दीजिए जो आपको आज रात देश के सामने देना है. लेकिन नेहरू का मूड उखड़ चुका था. प्रस्तुति: रेहान फ़ज़ल वीडियो एडिटिंग: काशिफ़ सिद्दीक़ी #India #Pakistan #IndependenceDay #IndiaPakistanPartition #Partition #1947 * जिन खबरों, तस्वीरों और दावों पर आपको हो शक, हम आपके लिए करेंगे उनकी परख. बीबीसी फ़ैक्ट चेक है आपके साथ. बस भेजिए WhatsApp मैसेज 9811520111 पर. बीबीसी फ़ैक्ट चेक यानी सच की कसौटी. * Corona Virus से जुड़े और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें : • Corona Virus ने दुनिया की सबसे बड़ी त... * कोरोना वायरस से जुड़ी सारी प्रामाणिक ख़बरें पढ़ने के लिए क्लिक करें : https://www.bbc.com/hindi/internation... * ऐसे ही और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए चैनल सब्सक्राइब ज़रूर करें- / @bbchindi * बीबीसी हिंदी से आप इन सोशल मीडिया चैनल्स पर भी जुड़ सकते हैं- फ़ेसबुक- / bbcnewshindi ट्विटर- / bbchindi इंस्टाग्राम- / bbchindi बीबीसी हिंदी का एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें- https://play.google.com/store/apps/de...