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जनवादी लेखक संघ और राजेंद्र प्रसाद अकादमी की साझेदारी में प्रस्तुत : ‘जन–जन का चेहरा एक’ जन्मशती जलसा : गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) 18 नवम्बर 2017 / राजेंद्र भवन सभागार , नई दिल्ली मुक्तिबोध को अलग-अलग पाठ और अर्थ हो सकते हैं । जयप्रकाश कर्दम ने मुक्तिबोध की कविता 'अंधेरे में’ के संदर्भ में बताया कि सबका अंधेरा अलग-अलग है। मुक्तिबोध अपने समय के अंधेरे को देख रहे थे। जो आने वाले समय में और भी गहराया है। कहीं कोई युग या समय न था, न आया है जो दलितों के अनुकूल रहा हो। असद जैदी ने कहा कि हम सब मुक्तिबोध की संताने हैं। कैसे आने वाले समय की आहट मुक्तिबोध को सुनाई देता है। मुक्तिबोध पूर्वाभास के चिंतक और लेखक हैं। यह मुक्तिबोध युग ही है। Video Highlight #GajananMadhavmuktibodhkikavitaen #गजाननमाधवमुक्तिबोध #अंधेरेमेंगजाननमाधवमुक्तिबोध #अंधेरेमेंकविताकानाट्यरूपांतरण #असदजैदीऔरमुक्तिबोध #नरेशसक्सेनाऔरमुक्तिबोध #कविताकोमुक्तिबोधनेक्याकहाहै #मुक्तिबोधकिसयुगकेकविहैं #जयप्रकाशकर्दमऔरमुक्तिबोध #जयप्रकाशकर्दमअंधेरेमेंसबकाअंधेरा #मुक्तिबोधकैसेकविथे? #कविताकोमुक्तिबोधनेक्याकहाहै? #हमसबमुक्तिबोधकीसंतानेहैं