У нас вы можете посмотреть бесплатно HIMALAYAN HIGHWAYS| चण्डिका दिवारा यात्रा दसज्यूला रुद्रप्रयाग | UTTARAKHAND| RUDRAPRAYAG| или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक और खास एपिसोड में आपका स्वागत है। उत्तराखण्ड की गौरवशाली संस्कृति और धार्मिक आस्था से जुड़े हमारे इस खास एपिसोड में आज हम आपके लिए लेकर आये है पौराणिक धार्मिक आयोजन का अद्भुत स्वरूप। जी हाँ आज हम पहुंचे है रुद्रप्रयाग जनपद के तल्ला नागपुर स्थित दशज्युला क्षेत्र में जहां मां चण्डिका की दिवारा यात्रा नब्बे से अधिक साल बाद आयोजित हो रही है। दिवारा यात्रा के दौरान मां चण्डिका अपने क्षेत्र के गांवों के साथ उन क्षेत्रों में भी पहुंचती है जहां दशज्युला क्षेत्र की लड़कियों का ससुराल होता है। आइये आप भी हमारे साथ मां चण्डिका के दिव्य स्वरूप और तल्ला नागपुर क्षेत्र की इस गौरवशाली परम्परा को देखिये ओर अपनी लोकसंस्कृति के प्राचीन और गौरवशाली स्वरूप को समझिये। आज के एपिसोड की शुरुआत करने से पहले हम आपको दिवारा यात्रा से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी स्थानीय लोगों की जुबानी देने जा रहें है। दरअसल पौराणिक काल में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित और अवतरित देवी-देवता एक निश्चित समयावधि में अपने क्षेत्र का भृमण करते आये है। चमोली जनपद में नन्दा लोकजात जात्रा हर बारहवे साल में आयोजित की जाती है। उत्तराखण्ड के कई क्षेत्रों में देवी देवताओं के भृमण को बनियात ओर दिवारा भी कहा जाता है जिनका पारम्परिक स्वरूप लगभग एक जैसा नजर आता है। दिवारा की शुरुआत से पहले प्राचीन रिवाजों से देवी कि शक्ति को 09 गांठों वाले बांस से बने ब्रहम ठँगेरे में प्रतिस्थापित किया जाता है। चमोली जनपद में मां नन्दा के जैसे ही तल्ला नागपुर पट्टी में मां चण्डिका का विशेष महत्त्व है। यहां पोखरी रोड स्थित दशज्युला क्षेत्र में चण्डिका माता का मायका और ससुराल दोनों ही स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक माना जाता है कि जब शिव हवन कुंड में भस्म हुई माता सती के शव को लेकर कैलाश पर्वत के लिए निकले तो जहां जहां माता सती के शरीर के हिस्से गिरे वहां धार्मिक मान्यताओं का जन्म हुआ । स्थानीय लोगों के मुताबिक माता सती के आंख का हिस्सा गिरने के चलते आगर गांव में माता के नैना स्वरूप का जन्म हुआ जिसके बाद यहां माता का नैना मन्दिर भी स्थित है। बाल्यकाल के बाद जब पार्वती स्वरूप नैना माता का विवाह शिव के साथ हुआ तो पड़ोस के गांव मेहड में उनका ससुराल माना जाता है। ससुराल में पहुंची नैना देवी को चण्डिका माता के नाम से जाना जाता है। मां चण्डिका की दिवारा यात्रा हर बारहवे साल में आयोजित की जाती है लेकिन विशेष कारणों के चलते इसके समयकाल में परिवर्तन होता रहता है। इस साल 92 साल बाद मां चण्डिका दिवारा यात्रा आयोजित की गई है और पूरे 09 महीने यह दिवारा यात्रा अलग अलग क्षेत्रो के भृमण पर रहेगी। इस दौरान मां चण्डिका अपने क्षेत्र की शादीशुदा लड़कियों से मिलने उनके ससुराल भी पहुंचती है। दिवरा यात्रा के दौरान मा चण्डिका अपने मायके आगर गांव में पहुंच कर स्थनीय लोगों से भेंट करती है। माँ चण्डिका के मायके पहुंचने से जहां स्थनीय लोग बड़ी संख्या में दर्शनों के लिए पहुंचते है वहीं माता के पारम्परिक लोकगीत माहौल को भावुक बना देते है। 92 साल बाद आयोजित दिवारा यात्रा की प्राचीन परम्परों ओर रीति रिवाजों को आज भी उसी शिद्दत से निभाया जाता है जो उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति को जीवंत कर जाता है। ढोल दमाऊ की थाप पर मां की मूर्तियों निषाणों को लेकर आगे बढ़ते गण अपने तालमेल से पूरे माहौल को अतीत में ले जाते है।उत्तराखण्ड के कई क्षेत्रों में देवी-देवताओं के दिवरा आयोजित किये जाते है। पौराणिक काल से चली आ रही इस गौरवशाली संस्कृति के जरिये जहां समाज को जोड़ने और अपने अतीत को जानने का मौका मिलता है वहीं पारम्परिक जीवनशैली का जुड़ाव भी नजर आता है। उत्तराखण्ड में आज भी धार्मिक आस्था की जड़े काफी गहरी है और पौराणिक धार्मिक आयोजन इन जड़ो को और मजबूत बनाने का कार्य कर जाते है। मां चण्डिका स्थानीय क्षेत्र में इष्टदेवी मानी जाती है और अपनी इष्टदेवी की मेजबानी करने का मौका भला कौन छोड़ना चाहेगा। 92 साल बाद आयोजित इस धार्मिक आयोजन को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह नजर आता है साथ ही दिवरा कि पारम्परिक रीति रिवाजों को भी समझने में मदद मिलती है। हिमालयन हाइवेज के इस एपिसोड में इतना ही आपको हमारा यह एपिसोड कैसा लगा कृपया कमेंट कर अवश्य बताये साथ ही हमारे चैनल को अवश्य सब्सक्राइब करें। चण्डिका दिवारा यात्रा दसज्यूला रुद्रप्रयाग | हिमालयन हाइवेज | रुद्रप्रयाग | उत्तराखंड | धार्मिक आस्था | जय माँ चंडिका | दशज्यूला क्षेत्र | तल्ला नागपुर | केदारखंड | दिवारा यात्रा | नैणा माता मंदिर | चंडिका माता का मायका | चण्डिका माता का धार्मिक इतिहास |