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Gaj kesari yog | Gaj kesari yog ke upay | Aaj Jyotish | by Ratn bala Tripathi 1 год назад


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Gaj kesari yog | Gaj kesari yog ke upay | Aaj Jyotish | by Ratn bala Tripathi

gaj kesari yog | gaj kesari yog ke upay | Aaj Jyotish | by Ratn bala Tripathi ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श हेतु व्हाट्सएप पर संपर्क करें। https://wa.me/message/FYF7KCIQBGT6N1 Team🚩 𝔸𝕪𝕦𝕣𝕧𝕖𝕕 अध्यात्म 𝕁𝕪𝕠𝕥𝕚𝕤𝕙 कुंडली में गजकेसरी योग गुरु और चंद्र से बनता है अगर केंद्र स्थान यानी लग्न,चौथे और दसवें भाव में गुरु-चंद्र साथ हो और बलवान हो तो यह योग बनता है वहीं अगर चंद्रमा गुरु से केंद्र में हो या फिर चंद्र पर गुरु की कोई एक दृष्टि जा रही हो तो यह योग बनेगा। अगर किसी की कुंडली में हो तो जातक बड़े से बड़े संकट से निकल कर सफल हो जाता है और अतुलनीय धन और वैभव प्राप्त करता है और एक ऐसा ही योग है गजकेसरी योग। विस्तार वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के योग बताए गए है और माना जाता है कि जातक के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में इन राजयोगों की बड़ी भूमिका होती है। अक्सर पंच महापुरुष योगों की चर्चा लोग करते हैं, लेकिन एक ऐसा भी राजयोग है जो अगर किसी की कुंडली में हो तो जातक बड़े से बड़े संकट से निकल कर सफल हो जाता है और अतुलनीय धन और वैभव प्राप्त करता है और एक ऐसा ही योग है गजकेसरी योग। क्या होता है गजकेसरी योग ? गजकेसरी योग एक बहुत ही शुभ योग माना जाता है और यह कुंडली में बनने वाले सभी धन योगों में सबसे प्रबल होता है। यह योग धन के कारक गुरु और मन के कारक चंद्रमा से बनता है।कुंडली में गुरु और चंद्र दोनों ही बेहद शुभ ग्रह होते है और जब गुरु और चंद्र पूर्ण बलवान हो तो यह योग बनता है। कुण्डली में गजकेसरी योग होने पर गज के समान शक्ति व धन दौलत प्राप्त होती है। गजकेसरी योग हाथी और सिंह के संयोग से बनता है। गज में अभिमान रहित अपार शक्ति और सिंह में अदम्य साहस होता है। इसी प्रकार जिसकी कुण्डली में गजकेसरी योग बलवती होता है,वह अपनी सूझबूझ और अदम्य साहस के बल पर सभी कार्य सिद्ध करता है। कैसे बनता है गजकेसरी योग ? कुंडली में गजकेसरी योग गुरु और चंद्र से बनता है अगर केंद्र स्थान यानी लग्न,चौथे और दसवें भाव में गुरु-चंद्र साथ हो और बलवान हो तो यह योग बनता है वहीं अगर चंद्रमा गुरु से केंद्र में हो या फिर चंद्र पर गुरु की कोई एक दृष्टि जा रही हो तो यह योग बनेगा। इस योग में भी सबसे बलवान राजयोग वो होगा जिसमें गुरु अपनी उच्च राशि में चंद्र के साथ हो या चंद्र उच्च राशि में गुरु के साथ हो। उदाहरण के लिए मेष लग्न की कुंडली में अगर चौथे भाव में उच्च का गुरु चन्द्रमा के साथ हो तो यह सबसे बलवान गजकेसरी योग होगा। लेकिन अगर यही योग वृष लग्न की कुंडली में बनेगा तो यह बलवान नहीं होगा क्योंकि गुरु की मूल त्रिकोण राशि गुरु अष्टम भाव में आ जाती है वही मेष लग्न में धनु राशि भाग्य स्थान वही कर्क राशि केंद्र स्थान की स्वामी होती है।गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में अथाह तरक्की करता है इसके अलावा उसे भूमि,भवन और वाहन का अतुलनीय सुख प्राप्त होता है। गजकेसरी योग भंग कब होगा ? वृहत्पाराशर की प्रति में लिखा गया है कि लग्नाद् वेन्दोर्गुरौ केन्द्रे सौम्यैर्युक्तेऽथवेक्षिते। गजकेसरियोगोऽयं न नीचास्तरिपुस्थिते। इस श्लोक में योग की अनिवार्यता बताई गयी है अर्थात् लग्न या चन्द्र से केन्द्र में गुरु,नीच,अस्त या शत्रु ग्रह से रहित शुभयुक्त या दृष्टि हो तो गजकेसरी योग होता है। इसका अर्थ यह है कि अगर यह युति नीच ग्रह के साथ हो,गुरु अस्त हो,चन्द्रमा के आगे पीछे कोई ग्रह नहीं हो और किसी पाप ग्रह की दृष्टि ना हो तो ही यह योग बनेगा और गुरु और चन्द्रमा में से कोई एक भी ग्रह अकारक हो जाए तो भी इस योग के उतने शुभ परिणाम हासिल नहीं होते हैं जितने की बताए गए है। इसको फिर एक उदाहरण से समझते हैं। तुला लग्न की कुंडली में अगर गुरु एवं चन्द्रमा दोनों ही लग्नस्थ हों तो यह योग होगा, चूंकि गुरु की मूल त्रिकोण राशि तीसरे भाव में है तो चंद्रमा की राशि दशम में होने के बाद भी यह योग नहीं होगा क्योंकि एक ग्रह अकारक हुआ। अब इस योग का साधारण फल प्राप्त होगा। Facebook📱https://bit.ly/3s4AtI5 Twitter 🐦🐦   / adhyatmjyotish   Instagram 🤳   / ayurveda_adhyatm__jyotish   YouTube▶️    / aajjyotish  

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