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दक्षिण-पूर्व एशिया के मसालों के व्यापार पर अधिकार करना ही डचों (Dutch) का महत्वपूर्ण उद्वेश्य था। भारत में ‘डच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1602 ई. में की गई। भारत आने वाला प्रथम डच नागरिक कारनोलिस डेडस्तमान था, जो 1596 ई. में भारत आया था। डचों व पुर्तगालियों के संघर्ष में डचों को विजय प्राप्त हुई और धीरे धीरे डचों ने भारत सभी महत्वपूर्ण मसाला उत्पादन क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। डचों ने इण्डोनेशिया (मसाला द्वीप) को अपना प्रारम्भिक केन्द्र बनाया। भारत में डचों की महत्वपूर्ण कोठियां . मछलीपट्टनम (1605), पुलीकट (1610), सूरत (1616), विमलीपट्टम (1614). चिनसुरा (1653), कासिम बाजार, कड़ा नगर, पटना, बालसोर, नागपट्टम (1658), कोचीन (1663)। डचों ने भारत में अपना पहला कारखाना 1605 ई. में मछलीपट्टनम से स्थापित किया यहाँ से डच लोग नील का निर्यात करते थे। डचों ने भारत में मसालों के स्थान पर भारतीय वस्त्रों की अधिक महत्व दिया। पुलीकट से डच अपने स्वर्ण सिक्के पगोडा का निर्माण करते थे। 1627 ई. में बंगाल में प्रथम डच फैक्ट्री पीपली में स्थापित की गई । 1653 ई. में हुगली के निकट चिनसुरा (गुस्तादुस फोर्ट) में डचों ने अपनी कोठी स्थापित की। 1618 ई. में सूरत में नियुक्त डच फैक्ट्री के प्रभारी दान खेस्तेजन ने 1618 ई. में मुगल शाहजादा खुर्रम से एक व्यापारिक संधि के तहत भड़ौच, बम्बई, अहमदाबाद, आगरा और बुरहानपुर में डच फैक्ट्री की स्थापना की। 1680 ई. में स्थापित पोर्टोनोवा एक समृद्ध कपड़ा उत्पादन केन्द्र था। My Second Channel Current Affairs Solution - / @edusolteaching App को install कीजिए- https://play.google.com/store/apps/de... Telegram Group- https://t.me/ipsolution Facebook- / iaspscsolution