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Bhajan - Datta Brahmachari - Shri Manik Prabhu Maharaj Sung by Shri Anandraj Manik Prabhu अर्थ: समस्त ब्रह्मचारियों में सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मचारी भगवान् दत्तात्रेय (जो सदैव ब्रह्म में ही रममाण होता है, उसे ब्रह्मचारी कहा जाता है।) आप तो तीनों लोकों में (स्वर्ग, मृत्यु और पाताल) संचार करते रहते हैं॥ध्रु.॥ तिरुपति (शेषाचल) में आपका बैठने का स्थान (आसन) है और माहुरगढ़ में आप निद्रा करते हैं॥1॥ आप काशी में स्नान करते हैं तो पंढरपुर में चंदन का तिलक धारण करते हैं॥2॥ कोल्हापुर में माधुकरी भिक्षा माँगतें हैं और पांचालपुरी में बैठकर उस भिक्षान्न का भोजन करते हैं॥3॥ भोजन करने के उपरांत तुलजापुर में आप अपने हाथ धोते हैं तथा मेरु शिखर पर समाधि लगाकर बैठ जाते हैं॥4॥ माणिक के सद्गुरुनाथ, हे अत्रिमुनि के सुपुत्र आप तो इस जगत् में सर्वत्र व्याप्त हैं॥5॥