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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा || Baidyanath Jyotirlinga History Story in Hindi || shivji 2 года назад


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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा || Baidyanath Jyotirlinga History Story in Hindi || shivji

12 ज्योतिर्लिंगों में से नवां ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ है, जो झारखंड के देवघर नामक स्थान पर स्थित है। इससे जुड़ी कथा शिवपुराण के कोटिरुद्रसंहिता में वर्णित है। इस ज्योतिर्लिंग के स्थान विवादास्पद है। पहला देवघर झारखण्ड, दूसरा परली महाराष्ट्र, तीसरा बैजनाथ हिमाचल प्रदेश को बताया गया है। 12 ज्योतिर्लिंगों के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के परली में स्थित है, शिव पुराण के अनुसार ये ज्योतिर्लिंग सीताभूमि के पास स्थित बताया गया है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ देवी सती का ह्रदय गिरा था। इसीलिए इस स्थान को हार्दपीठ भी कहा जाता है। इस स्थान के बारे में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग विवादस्पद है लेकिन कथा एक ही है। इस ज्योतिर्लिंग की कथा इस प्रकार है। राक्षस रावण कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी की आराधना कर रहा था। परन्तु कई वर्षों तक तप करने के बाद जब महादेव जी प्रसन्न नहीं हुए तब रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए दूसरा तप शुरू किया। इस तप से भी महादेव जी प्रसन्न नहीं हुए तब रावण ने अपने मष्तिष्क की एक – एक करके आहुति देना शुरू कर दिया। ऐसा करते – करते रावण ने अपने 9 सर काट डाले। जब रावण अपना अखिरी सर काटने जा रहा था। तब महादेव शिव जी उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने रावण के सरों को यथावध कर दिया और प्रसन्न होते हुए वर मांगने के लिए कहा। रावण ने शिव जी से सबसे ज्यादा बलशाली होने का वर मांगा। शिव जी ने उसे उसकी इक्षा अनुसार बल प्रदान कर दिया। रावण अत्यंत खुश हुआ और शिव जी के सम्मुख नतमष्तक हुआ बोला कि आप मेरे साथ लंका चलिए। रावण के ऐसे वचन सुनकर शिव जी अत्यंत संकट में पड़ गए और बोले कि हे दशानन ! तुम मेरे इस लिंग को लंका ले जाओ लेकिन याद रखना यदि इस लिंग को किसी बीच स्थान पर तुम रखोगे तो वह वहीँ स्थित हो जायेगा। उसी समय एक बैजू नाम का ग्वाला वहां से गुजर रहा था। तब रावण ने उससे विनम्र अनुरोध किया और शिवलिंग पकड़ने को कहा। ऐसा कहा जाता है कि वह ग्वाला भगवान विष्णु ही थे। लेकिन वह ग्वाला शिवलिंग के भार को ज्यादा देर तक सह न सका और पृथ्वी पर रख दिया। फिर वह शिवलिंग सदा के लिए वहीं स्थित हो गया। इस स्थान को अनेकों नाम से जाना जाता है – हृदय पीठ, रावणेश्वर कानन, रणखण्ड, हरीतिकी वन, चिताभूमि आदि। भगवान विष्णु नहीं चाहते कि शिवलिंग की स्थापना लंका में हो। लेकिन रावण भगवान शिव जी की लीला को समझ गया और भगवान की स्तुति करने लगा। देवतागण भी वहां भगवान का दर्शन करने आ गए। सभी ने शिवलिंग की विधिवत पूजा की और ज्योतिर्लिंग का नाम वैद्यनाथ रखा। stories of 12 jyotirlinga,origin of baidhnaath jyotirlinga,baidyanat jyotirlinga,baba baidyanath dham,baidyanath dham,baba baidyanath dham jyotirlinga,baidyanath temple,the story of ninth jyotirlinga,12 jyotirlinga,12 jyotirling,12 jyotirlinga names,jyotirlinga darshan,12 jyotirlinga mantra,12 jyotirling katha in hindi,jyotirling katha,jyotirlinga temples in india,story of 12 jyotirlinga,12 jyotirling katha,12 jyotirling mantra baidyanath dham,deoghar,jyotirling,baijnath temple,baba baidyanath dham ka rahaysa,adbhut temple,famous temple Story of Baidyanath Temple vaidyanath temple,story of baidyanath temple,baidyanath temple,baba baidyanath jyotirlinga temple,बैजनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे,why is babadham famous,बैजनाथ धाम,vaidyanatha temple,बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा,which jyotirling is known as baba dham,बैजू की कहानी,baba baidyanath dham,deoghar,baijnath dham,how can i reach baidyanath,the temple of baidyanath,बाबा बैद्यनाथ धाम की कथा,why is shiva called baidyanath,बैजनाथ ज्योतिर्लिंग कहां है,बाबा बैजनाथ धाम baijnath dham,baijnath shivling,shivlinga baijnath,dham,dhaam,stroy of baijnath dham,baijnathdham,baijnath shivling,shivlinga,baijnath jyotrling baijnath dham ki kahani,baidyanath temple,vaidyanatha jyotirlinga temple,baidyanath dham,shiv kahani,ravan kahani,secret of lord shiva,mythological stories,hindi bhakti,पौराणिक कथा,bhagwan shiv ki katha,lord shiva story,shiva story,dev katha

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