У нас вы можете посмотреть бесплатно Uvasaggaharam Stotra | उवसग्गहरं स्तोत्र | आचार्य भद्रबाहु स्वामी विरचित | Aryika Vardhasva Nandini или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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#bhajan #guru #gurudev #jain #jainism #jainmuni #vasunandiji #bhakt #guruji UVASAGGAHARAM STOTRA Lyrics :- Acharya Shri Bhadrabahu Swami Sung by :- Aaryika Shri Vardhasva Nandini Mataji उवसग्गहरं पासं, पासं वंदामि कम्मघण-मुक्कं । विसहर-विस- णिण्णासं, मंगल-कल्लाण-आवासं ।। 1 ।। विसहर - फुलिंगमंतं, कंठे धारेदि जो सया मणुवो। तस्स गह-रोग-मारी, दुट्ठ-जरा जंति उवसामं ।। 2 ।। चिट्ठदु दूरे मंतो, तुज्झ पणामो वि बहुफुलो होदि । णर- तिरियेसु वि जीवो, पावंति ण दुक्ख-दोंगच्चं ।। 3 ।। तुह सम्मत्ते लद्धे, चिंतामणि- कप्पपायव-सरिसे । पावंति अविग्घेणं, जीवो अयरामरं ठाणं ।। 4 ।। इह संधुदो महाजस ! भत्तिब्भरेण हिदयेण । ता देव ! दिज्ज बोहिं, भवे भवे पास जिणचंदं ।। 5 ।। ओं अमरतरु- कामधेणु-चिंतामणि- कामकुंभमादिया । सिरि-पासणाह-सेवाग्गहणे सव्वे वि दासत्तं ।। 6 ।। उवसग्गहरं त्थोत्तं, कादूणं जेण संघकल्लाणं । करुणायरेण विहिदं स भद्दबाहु गुरु जयदु ।। 7 ।।