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कर्म और दुष्कर्म क्या है। कर्म कितने प्रकार हैं।जैसा कर्म, वैसा फल। पूज्य स्वामी सत्यानंद जी महाराज WHAT IS SAADHNA ? साधक को ध्यान के समय हिलना नहीं चाहिए कारण : बहुत सी दिव्य शक्तियाँ जागृत होती है बार बार आसन बदलने से आप इनसे वंचित हो जाते हैं। ध्यान के समय पैरों में दर्द अच्छा होता है प्राणशक्ति ऊपर उठती है आपको दृढ़ता से बैठना है थोड़ी देर बाद दर्द स्वतः ठीक हो जाता है। Example- दही ज़माने के लिए हमें बर्तन स्थिर रखना व उसके अनुसार वातावरण देना चाहिए..अन्यथा दही नहीं जमती... ध्यान से पूर्व गुरु के स्वरूप को देखना चाहिए उनसे प्रार्थना करनी चाहिए...और ध्यान में गहरे उतर जाना चाहिए। मन लगने के लिए साधना नहीं करते अपितु मन को वश में करने का साधन साधना है Example -आप किसी मशीन में अपनी जाँच कराते है तो मन लगने के लिए नहीं...अपितु आपको पता है कि मुझे कुछ समझ आए ना आए मशीन को डॉक्टर को समझ आता है। इसलिए साधना पूर्ण विश्वास व धैर्यपूर्वक करनी चाहिए। संकल्प के साथ बैठें...बार बार समय नहीं देखना चाहिए,अलार्म लगा लीजिए या किसी को बोलकर बैठिए! साधना वही कर सकता है जो स्वयं का खोजी है। साधना में जो बात परेशान करे उसे साक्षी भाव से देखे ये मन की शैतानी होती है...। साधना ऐसे लाभ देती है जैसे मक्का,बाजरा का एक बीज १०० गुना फलीभूत होता है,उसी प्रकार इसका फल आपकी सोच से भी परे है,पर शर्त ये है कि निष्काम भाव से साधना करें। निरन्तर साधना करने पर भी यदि आप अपने किसी विकार को त्याग ना पाएँ तो भी विचलित ना हों...गहरे दाग़,गहरा वृक्ष और जन्मों के संस्कार जाने में समय ज़रूर लगाते हैं,पर इन्हें एक दिन जाना ही होता है! #संतमत_ज्ञान_प्रकाश #Santmat_Gyan_Prakash #अमृत_मय_वाणी #Santmat_Gyan_Prakash_live_Pravachan #त्रिदिवसीय_संतमत_सत्संग #संतमत_सत्संग santmat satsang, santmat satsang bhajan, santmat satsang live, santmat satsang ka, santmat satsang ka bhajan, santmat satsang pravachan, santmat satsang ka pravachan, santmat satsang stuti vinti, santmat satsang gyan vatika, santmat satsang ka stuti vinti, santmat satsang aarti, santmat satsang live kuppaghat, santmat satsang ki aarti, santmat satsang maheshpur,