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आज हमसभी प्रकल्प कार्यालय में एक ऐसे पल का साक्षी बनने के लिए एकत्रित हुए थे जो बहुत ही खुशनसीब लोगों को प्राप्त होता है। और वह पल था हमारे दहाणु प्रकल्प की सिरमौर हमसब की प्रिय मार्गदर्शक,विदुषी,हमारी परम सम्माननीय संजीता महापात्रा मैम की विदाई का। आगमन और विदाई तो इस सृष्टि का नियम है लेकिन कुछ लोग जीवन में ऐसे मिलते हैं जिसे आप चाहकर भी विदा नहीं कर सकते उनसे जुड़ी हुई यादें,उनकी बातें हमेशा के लिए आप अपने जेहन में समेटकर रखना चाहते हैं संजीता मैम ऐसे ही शख्सियतों में से एक हैं। एक तरफ मुझे खुशी है कि मैम की पदोन्नति हुई है वहीं दुसरी तरफ उनके स्थानांतरण को लेकर थोड़ा मायूस भी हूँ कि ऐसे परम स्नेही,नेकदिल और शालीनता की प्रतिमूर्ति संजीता मैम जा रही हैं। एक अधिकारी का दिल कितना विराट हो सकता है ये मैंने मैम को देखकर महसूस किया वो जितनी संजीदगी से बड़ों से बात करती थी उतने ही जिंदादिली से हमलोगों से मिलती थी।अपने कर्तव्यों को लेकर वो जहाँ सजग थी वहीं आनंद के पल को इंज्वाई करने में भी पीछे नहीं हटती थीं। आज जब वो हमसबों से विदा ले रहीं थी तो उनसे जुड़े हर पल एक-एक कर स्मृति पटल पर आ रहे थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी और हमसबों को इस कार्यक्रम में शिरकत करने के अवसर देने के लिए मैं मैम को अपनी तरफ से अपनी संस्था कैव्लया ऐजुकेशन फाउंडेशन की तरफ से ह्रदयतल की गहराईयों से धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने ना सिर्फ इस उत्सव में भाग लेने के लिए अवसर दिया बल्कि इस उत्सव को महोत्सव में बदलने के लिए कदम से कदम मिलाकर टीम के साथ भी चली। आज मैम के विदाई के मौके पर मैं आशा करता हूँ कि मैम हमेशा खुश रहे और अपने अधिकारों का उपयोग हमेशा समाज की बेहतरी के लिए करती रहें। और अंत में मैम के लिए कहना चाहूँगा कि दस्तूर है जमाने का यह पुराना, लगा रहता है यहां आना और जाना, रहो जहां अपनी छाप ऐसे छोड़ जाना, हर कोई गुनगुनाता रहे आपका ही तराना।। गुलशन कुमार B_16 Gandhi fellow_Palghar