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💜Sodas Apsara Extremely powerful Beej Mantra षोडश अप्सरा साधनाSadgurudev Dr Narayan Dutt Shrimali ji 7 лет назад


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💜Sodas Apsara Extremely powerful Beej Mantra षोडश अप्सरा साधनाSadgurudev Dr Narayan Dutt Shrimali ji

💜🌹🌹🌹💕💙गुरूत्व्ं प्रणंम्यं गुरूत्वं शरण्यं गुरूत्वं शरण्यं गुरूत्व्ं प्रणंम्यं💕💙🌹🌹🌹💜 LIKE | COMMENT | SHARE | SUBSCRIBE इस अत्यंतशक्तिशाली बीज मंत्र साधना को अप्सरा दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात् आरम्भ करें तो ज्यादा उचित रहेगा|| दीक्षा के लिए आप यहाँ संपर्क कर सकते हैं: 1)http://nikhilmantravigyan.org/contact.... 2)http://narayanmantrasadhanavigyan.org... Revitalising life fully. आज का प्रवचन मैं इंद्रयोपनिषद से आरम्भ कर रहा हूं, इंद्रयोपनिषद १०८ उपनिषदों में सर्वश्रेष्ठ और अद्वितीय उपनिषद है सर्वश्रेष्ठ और अद्वितीय शब्द इसलिए कह रहा हूं कि जो हमारे जीवन में उपयोगी है वह अद्वितीय है, जो हमारे जीवन में उपयोगी नहीं है वह अद्वितीय नहीं है चाहे सोने का पहाढ़ भी हो वह अद्वितीय है मगर हमारे हाथ में नहीं है हमारे लिए उपयोगी नहीं है| वह ज्यादा महत्वपूर्ण है जो हमारे सामने हो प्रत्यक्ष हो,जो हमारे जीवन में घटित होने वाला हो वह ब्रह्म किस काम का जिस से हमारे जीवन में आनंद नहीं ले सकें कोई उपयोगिता न हो| जीवन का उद्देश्य शरीर को सुखाना नहीं है| पिछले २५००० वर्षों में केवल एक व्यक्ति अवतरित हुआ जिसने प्रेम कि बांसुरी दे कर के एक नयी चेतना दी,कृष्ण| उसने कहा कि शरीर को सुखाने से जीवन में पूर्णता नहीं आ सकती, जब जीवन है तो उसमे पूर्णता आनी चाहिए ||जीवन का ऐश्वर्य होना चाहिए|जीवन का आनंद होना चाहिए ||जीवन का सौन्दर्य होना चाहिए ||अगर जीवन का सौन्दर्य नहीं है,जीवन में कुछ रस नहीं है,जीवन का आनंद नहीं है तो जीवन का कुछ मकसद भी नहीं है कृष्ण ने कहा कि प्रेम के अलावा कोई सार नहीं है| जब भी मैं प्रेम शब्द बोलता हु तो तुम्हारे मन में वासना के अलावा कोई शब्द नहीं आता| मैं प्रेम का मतलब बोलता हूं अटैचमेंट तुम प्रेम का मतलब सेक्स समझ रहे हो|डिफरेंस इतना ही है| इसलिए तुम्हारे पास जो प्रेम की परिभाषा है वह बहुत ही घटिया और ओछी है| मैं कह रहा हूं की योवन तब तक आ ही नहीं सकता,बचपन आ सकता है,वह तुम्हारे हाथ में नहीं है, बुढ़ापा भी आएगा, वह भी तुम्हारे हाथ में नहीं है, मगर योवन तुम्हारे हाथ में है, वह ला सकते हो,इसलिए कृष्ण कभी वृद्ध हुए नहीं. उन्होंने पहली बार प्रेम की परिभाषा दी चेतना दी,और उसमे कोई वासना नहीं थी|| जहाँ वासना है वहाँ दूषितता है,गन्दगी होती है गड़बड़ी होती है,प्रेम में कोई दूषितता नहीं हो सकती वासना है वहाँ दूषितता है,गन्दगी होती है गड़बड़ी होती है,प्रेम में कोई दूषितता नहीं हो सकती जीवन का जोश जवानी की ताक़त बिलकुल दूसरा है.वह मस्ती दूसरी है तूफान वेग की तरह, वह योवन है|| इस को प्राप्त किया जा सकता है, और एहसास कर सकते हैं|| इसलिए हमारे पूर्वजों ने अप्सरा साधनायें संपन्न की|| इसलिए नहीं कि वासना का कोई खेल था|| अप्सरा का तात्पर्य है कि पूर्ण योवन प्राप्त करने कि क्रिया| और योवन नहीं है तो जीवन नहीं है, इस साधना के माध्यम से किसी भी कुरूप से कुरूप को अत्यधिक सुन्दर बनाया जा सकता है, अप्सरा का तात्पर्य है जीवन कि अत्यधिक सुन्दरतम वस्तु, जब इन्द्र ने उपनिषद कि रचना कि तो कहा कि अप्सरा साधना जीवन का पहला धर्म और अंतिम कर्त्तव्य है -सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद जी महाराज

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