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12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन | बारा ज्योतिर्लिंगों का रहस्य 🤯 | part - 2 1 месяц назад


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12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन | बारा ज्योतिर्लिंगों का रहस्य 🤯 | part - 2

12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन | बारा ज्योतिर्लिंगों का रहस्य 🤯 | part - 2 12 ज्योतिर्लिंगों का रहस्य जानिए इस वीडियो में। और भी जानकारी जानेंगे के लिए हमारे चैनल को सपोर्ट करे और अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भूलें 🙏❤️ _____________________________________________________________ 🔺 EDITING APP :- CUPCUT / ALIGHT MOTION 🎬 🔺 STORY JANKARI :- GOOGLE 🎦 🔺 MY DEVICE :- REALME GT 6T _____________________________________________________________ ▶️ STORY तीसरा ज्योतिर्लिंग - महाकालेश्वर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। महाकालेश्वर के पास ही शवित्तपीठ हरसिद्धि मंदिर भी स्थित है। मान्यता - ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। रोज सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भगवान की भस्म आरती की जाती है। यहां पूजा और दर्शन करने से अनजाना भय दूर होता है। चौथा ज्योतिर्लिंग - ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 80 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग। पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊंचाई से देखने पर ऊँ का आकार बना हुआ दिखता है। मान्यता - यह ज्योतिर्लिंग ऊँकार यानी ॐ का आकार लिए हुए है, इसी वजह से इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। पांचवां ज्योतिर्लिंग - केदारनाथ केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। मंदिर करीब 3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर है। रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर मंदिर स्थित है। ये मंदिर हिमालय क्षेत्र में है, शीत ऋतु में यहां का वातावरण प्रतिकूल रहता है, इसलिए ठंड के दिनों बंद रहता है। मान्यता - महाभारत के समय यहां शिव जी ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिए थे। वर्तमान मंदिर आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं 9वीं सदी में करवाया था। छठा ज्योतिर्लिंग - भीमाशंकर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता - त्रेतायुग में रावण के भाई कुंभकर्ण का एक पुत्र था भीमा जब श्रीराम ने कुंभकर्ण और रावण का यध कर दिया, तब भीम असुर श्रीराम और विष्णु जी से बहुत क्रोधित हुआ था। उसने तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान पाकर देवताओं को पराजित करना शुरू कर दिया था। सातवां ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ उत्तरप्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित है विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। काशी प्राचीन सप्तपुरियों में से एक है। मान्यता - यहां महादेव के साथ ही देवी पार्वती भी विराजित - हैं। यहां देवर्षि नारद के साथ ही अन्य सभी देवी-देवता आते हैं और शिव पूजा करते हैं। इस क्षेत्र के संबंध में कहा जाता है कि जिस व्यक्ति यहां मृत्यु होती है, उसे मोक्ष मिलता है। आठवां ज्योतिर्लिंग - त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है त्र्यंबकेश्वर मंदिर । मंदिर के पास ही ब्रह्वागिरि पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। मान्यता - यहां स्थित शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है। इस क्षेत्र में गौतम ऋषि ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे। तब से ही शिव जी यहां ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं। नवां ज्योतिर्लिंग - वैद्यनाथ वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर कई मतभेद हैं। महाराष्ट्र स्थित वैद्यनाथ मंदिर और झारखंड स्थित वैद्यनाथ मंदिर को लेकर मतभेद हैं। झारखंड में देवघर जिले वैद्यनाथ मंदिर है और महाराष्ट्र में परली स्टेशन के पास ठी परली गांव में भी वैद्यनाथ मंदिर है। मान्यता - त्रेतायुग में रावण शिव जी का परम भक्त था। वह हिमालय में शिवलिंग बनाकर तप कर रहा था। तपस्या शिव जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए। रावण ने वर में मांगा कि वह ये शिवलिंग लंका में स्थापित करना चाहता है। शिव जी ने ये वरदान तो दे दिया, लेकिन एक शर्त भी रखी कि रास्ते में तुम ये शिवलिंग जहां रख दोगे, वही स्थापित हो जाएगा। रावण इस बात के लिए मान गया। रावण शिवलिंग उठाकर लंका ले जा रहा था, तभी रास्ते में उसने गलती से शिवलिंग नीचे रख दिया, इसके बाद शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया। रावण ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह फिर से शिवलिंग उठा नहीं सका। निराश होकर रावण अकेले ही लंका चला गया। इसके बाद सभी देवी- देवताओं ने उस शिवलिंग की पूजा की थी। पूजा से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और सभी की प्रार्थना सुनकर ज्योति रूप में यहीं विराजित हो गए। ये जगह बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ही है। प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे। तब से ही शिव जी यहां ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं। दसवां ज्योतिर्लिंग - नागेश्वर यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। द्वारका से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। मान्यता - शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी का एक नाम नागेशं दारुकावने बताया गया है। शिव जी नागों के देवता हैं और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। ग्याहरवां ज्योतिर्लिंग - रामेश्वरम ये ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है। मान्यता - त्रेतायुग में रावण का वध करने के बाद श्रीराम लंका से लौट रहे थे। उस समय श्रीराम दक्षिण भारत में समुद्र किनारे रुके थे। श्रीराम ने समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा की थी। मान्यता है कि बाद में ये शिवलिंग वज्र के समान हो गया था। श्रीराम द्वारा बनाए गए शिवलिंग को ही रामेश्वरम कहा जाता है। बारहवाँ ज्योतिर्लिंग - घृष्णेश्वर घृष्णेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। #12jyotirlingadarshan #12jotirling #part2

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