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Life style, Astrology & Palmistry, Meditation facilitating & Motivational speaking. || Moksh ke Yog || मोक्ष किसका होता है? || Salvation || मोक्ष योग ग्रंथों में मोक्ष के योग दिए गए हैं, यद्यपि वे अधिकतर पुण्य चक्र (मृत्यु के समय की कुंडली) में प्रयोग करने में अच्छे हैं, उनका उपयोग जन्म कुंडली में भी किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष में मोक्ष योग • बृहत जातक- 1. यदि बृहस्पति उच्च राशि में षष्ठ या अष्टम भाव में हो या किसी केंद्र में हो तो मोक्ष देता है. 2. यदि मीन लग्न शुभ नवांश में हो और बृहस्पति के अलावा अन्य ग्रह शक्तिहीन हों, तो जातक मोक्ष प्राप्त करता है. • जातकाभरण- 1. यदि बुध अष्टम भाव में शुभ ग्रह की युति या दृष्टि में हो तो तीर्थ में मृत्यु होती है. 2. नवमेश शुभ ग्रह हो तो जातक की मृत्यु तीर्थ स्थान पर होती है। 3. यदि कुण्डली में ये दोनों योग हों तो जातक भगवान विष्णु को हृदय में धारण करके और उनका स्मरण करके मृत्यु प्राप्त करता है. • वृहत पराशर होरा शास्त्र- 1. यदि बारहवें भाव में कोई शुभ ग्रह हो, तथा उसका स्वामी उच्च राशि में हो या शुभ ग्रह से युत या दृष्ट हो तो व्यक्ति मुक्ति प्राप्त करता है. • स्कन्द होरा- 1. यदि गुरु अष्टम भाव में हो या शुभ भाव में हो तो जातक ज्ञानी होता है और तीर्थ स्थान पर मृत्यु प्राप्त करता है। यह मोक्ष का संकेत है. 2. यदि शनि नवम भाव में स्वराशि में हो या उच्च राशि में हो तो जातक वैकुंठ से आया है। धर्म के अनुसार जीवन जीने के बाद, वह फिर से वैकुंठ को प्राप्त होगा. जैमिनी सूत्र में मोक्ष के योग- 1. स्वांश कुंडली में आत्म कारक से बारहवां केतु अंतिम जन्म देता है. 2. यदि केतु कारकांश से चतुर्थ या द्वादश भाव में हो तो मुक्ति देता है. ----------------------------------------------------------------------------- नाड़ी ग्रंथों में मोक्ष के योग पुण्य चार्ट में अधिकतर उपयोग किया जाता है: • सुक नाड़ी- 1. यदि लग्नेश नवम भाव में हो और दशम भाव पर शुभ दृष्टि हो, तो मोक्ष देता है. 2. यदि 9वें और 10वें भाव के स्वामी लग्न में पापरहित हों, जबकि लग्नेश द्वितीय भाव में हों, शनि से पीड़ित न हों, तो मोक्ष देते हैं. 3. यदि लग्नेश नवम भाव में हो, 9वें भाव का स्वामी द्वितीय भाव में हो, गुरु 10वें भाव में हो और चंद्रमा बली हो तो मोक्ष देता है. 4.यदि बृहस्पति 9वें भाव में हो, जबकि सप्तमेश और द्वितीयेश 9वें और 2वें भाव में हों, तो मोक्ष प्राप्त होता है. 5. चंद्रमा, बृहस्पति, लग्नेश और नवमेश यदि दशम भाव में एक साथ हो तथा दशमेश नवम भाव में हो तो मोक्ष देता है. 6. लग्नेश द्वितीय भाव में हो, पंचम भाव में गुरु हो तथा दशमेश बली हो तो मोक्ष देते हैं. ¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬¬--------------------------------------------------------------- ~-~~-~~~-~~-~ Please watch: "(19713) ram mandir ayodhya | ayodhya ram temple | यात्रा से पूर्व ये करें तो विघ्न दूर होंगे | " • ram mandir ayodhya | ayodhya ram temp... ~-~~-~~~-~~-~