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बस्तर एक ऐसा स्थान जो अपनी कला संस्कृति रीति रिवाज को आज भी संजोग करता है यह क्षेत्र 7 जिलों से घिरा हुआ है जिसमें अधिकतर जनजाति समुदाय हैं जो आदिवासी बहुत पुराना है जो आज जंगलों पर निवास करते हैं जिनकी बोली भाषा भी अलग देखने को मिलती है अधिकतर यहां पर गुंडी हल्दी भाषा बोला जाता है यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल या मेला रामाराम मेल सुकमा बस्तर दशहरा 75 दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा दशहरा जगदलपुर बांसुरी ढ़ोलकल गणेश दंतेवाड़ा दंतेश्वरी मंदिर कांकेर सोमवंशी राजा और यहां मिलते हैं एलियन साक्ष चरम की कांकेर चरमा जंगल मे कोंडागांव जिला लव शिल्प आर्ट बस्तर आर्ट jhitku mitku आर्ट के लिए प्रसिद्ध है नारायणपुर handawadha जलप्रपात विशेष कर यहां अबूझमाड़ जो छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी कहलाता है वह नारायणपुर जिला में ही है तिवारी जी द्वारा खोजा गया कुटुमसर गुफा जो की कांगेर वैली बस्तर में है जहां पर अंधी मछली पाई जाती है और यह गुफा काफी बड़ा है भैरमगढ़ बीजापुर पामीर वन्य जीव अभ्यारण है 12 मोड के साथ बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल घाटी दर्शनी है जहां पर तेलीन सती माई का मंदिर और भंगाराम में मेला प्रसिद्ध है जहां पर देवी देवताओं का अदालत लगता है