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साँवरिया थारा काज समझ न आव ! राजस्थानी भजन! गायक गोपाल दास वैष्णव 6 лет назад


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साँवरिया थारा काज समझ न आव ! राजस्थानी भजन! गायक गोपाल दास वैष्णव

Please subscribe my YouTube channel Singar gopal das vaishnav Uploading by S.K.music Sanwar lal vaishnav हे स्वामी जी तेरा काज समज नाही आया . नारी के दो शान बणाया , उण में दध बणे केसे ज कर बेठा वोई अमरपद पाया मुख मे दात बतीस कई , जीबया स्वाद करे केसे स्वामी जी तेरा . . . . नेण निरखकर धागा ट्रकी कान स्बद सुनताकेसे धर अस्मानपवन ओर . पाणी . अगन बणाया तमकैसे , गन्ध सगन्धि लेत नाकसे वास अजब आता केसे चांद सुरज दोदिप बणाया , उनका गाट अलग केसे , चांद सुरज पूर्व से उगता , पिश्वम ने आता केसे , तारा तुने अजब बणाया , रेण दिवस होता केसे , चोला चमडी हे तन उपरे पूर्जा तो अजब बणाया सात दिप ओर नो खाण्डामें सब ने तोअलगसजाया स्वामी जी तेरा . . . स्वामी जी तेरा . . . हा बिजली चमके उपर गाजे , बादल मे जल रे केसे जल सा तुने गाट बणया , रूम रम चेतन केसे जलपे क्या निम जीम की , बादल अदर पदर केसे कुण बोलता गटके अन्दर , छुपालिया अन्दर केसे सात दिना का सातबार है , महिना साल बणियाकेसे सासा तेरी अजब बणाई , नामी में स्वास रहे केसे बावन अक्सर तुने बणाया , गिनती भेद अलग केसे कूण आता हे कूण जाता , ईण का भंद मिले केसे चीवदा लोग ओर चोवदा रतन येसब तुमने बणाया मरणजलम और दुखसुख का वोसभी फन्दकटाया स्वामी जी तोरा . . . स्वामी जी तोरा . . . हे लखाचोरासी जुण बणाई , सबका जीव अलग केसे बिज मूल के डाल बणया , पता फूल अलग केसे चार तुने खान बणाई , उनका नाम अलग केसे कई जडेली जडी बुटिया , खाता अमर मरे केसे नर नारी दो तीन बणाया , उनका रण अलग केसे आन्त्रमनन्द भारती जी गावे , तेरा जसण मिले केसे हाथपाव सब ऐक सरीका , मख पैसूरत अलगकेसे येसब लिला तूने फेलाई तमफिर अलग रया केसे हाड मांस ओर दुध गरब मैं रोसब तो अपने बणया तेरा करतब हे वो भारी , देख देखा गबराया स्वामी जी तोरा . . . स्वामी जी तेरा काज समज . . . . . . . . . . . . . . ? Sk 🎶 बड़ला ( आसिन्द )

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