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कुंडली में पंचम भाव का महत्व- आचार्य वासुदेव कुंडली में पंचम भाव का महत्व बहुत अधिक मानतें है क्योंकि यही वो भाव है जो हमारे धर्म का भाव है जो आपके पूर्वजन्म के कर्मों का फल भी है। आप पूर्वजन्म में कैसे कर्म कर आएं है यह इस भाव से भलीभांति जाना जा सकता है। इस भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है जो जीवन प्रदाता है क्योंकि पंचम राशि सिंह है अतः सूर्य इस भाव का स्वामी होने के साथ साथ देवताओं के गुरु बृहस्पति भी इस भाव के कारक ग्रह मानें जातें है क्योंकि वे संतान और ज्ञान के कारक है। इस भाव को लक्ष्मी स्थान भी कहतें है। यह भाव जीवन प्रदाता है और सिंह राशि होने से इसमें अग्नि का भी प्रभाव है, इस भाव से हम रचनात्मक कार्यों का भी आंकलन करतें है और इस भाव का उद्देश्य है अपनी कला और बुद्धि से संसार को मोहित करना। यह भाव आत्म अभिव्यक्ति का भी है जिसमें हम अपने आप को अभिव्यक्त कर सकतें है। पंचम भाव से हम संतान, प्रेमी/प्रेमिका, कला का प्रदर्शन, कलात्मक गुण, कलाकार, नाटकों में काम करने वाले और जुआरी, लाटरी, सट्टा, सेंसेक्स इत्यादि का भी अनुमान लगा सकतें है। किसी व्यक्ति विशेष को जीवन में कितना अधिक संतान का सुख मिलेगा यह इस भाव पर निर्भर करता है और वह कितना अधिक बुद्धिमान होगा यह भी इस भाव से ही पता चलता है। अशुभ ग्रहों का पंचम में होना बुद्धि का नाश करता है। यह भाव आपके हृदय का भी है अतः इस भाव के पीड़ित होने से हृदय से संबंधित रोग और हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या भी होती है। इस भाव से हम मनोरंजन करने वाले, कलाकार, नाटक करने वाले, थिएटर, नाचने वाले, राजनैतिज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, स्टॉक मार्केट, सट्टे का काम, रचनात्मक कार्य और पेंटिंग इत्यादि देखतें है। जो बच्चे गेम खेंलना अधिक पसंद करतें है उनका पंचम भाव अधिक मजबूत होता है, इन भाव से हम यंत्र, तंत्र, मंत्र का भी आँकलन करतें है और पंचम भाव से हमारे इष्टदेव के विषय में अनुमान लगाया जाता है। यह भाव शिक्षा का भी है और ज्ञान का भी है वैसे द्वितीय भाव से भी हम शिक्षा का अनुमान लगातें है क्योंकि यह भाव पंचम से दशम है अतः बुद्धि के द्वारा धन कमाना अतः जिन लोगों की पत्रिका में पंचमेश का सम्बंध द्वितीय भाव से हो तो वो अपनी बुद्धि के बल से स्वतंत्र व्यापार करतें है। इस भाव से ज्योतिष का ज्ञान भी देखा जाता है और यदि पंचमेश अधिक बलवान हो और शनि और गुरु और बुध जैसे ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति एक सफल और गुणी ज्योतिषाचार्य बनता है और ज्योतिष में पूर्ण आस्था रखता है। इस भाव से हम पिता के विषय में भी अनुमान लगा सकतें है क्योंकि यह नवम भाव से नवम भाव भी है। इस भाव से हम आपकी पंसद देखतें है कि आप कौन है और आपके पास क्या है और आप उसका किस प्रकार प्रयोग करना चाहतें है इसका अनुमान इस भाव से लगाया जा सकता है। इस भाव से हम आपके ज्ञान का क्षेत्र का भी अनुमान लगा सकतें है। इस भाव से व्यक्ति जो करता है वह मौज मस्ती के और स्वंय के आंनद के लिए करता है जिसमे जिम्मेदारी का कोई महत्व नहीं होता है। इस भाव से संतान से अत्यधिक लगाव का पता चलता है यदि इस भाव का स्वामी अत्यधिक बलवान हो और शुभ भावों में हो तो संतान का सुख उच्च कोटि का होता है और व्यक्ति स्वंय भी बुद्धिमान होता है। शनि जैसे ग्रह यदि पंचमेश हो तो व्यक्ति अपने काम से काम रखने वाला और अपने उच्च कोटि की ज्ञान की बातें करने वाला होता है। इस भाव से हम भावनात्मक और प्रेम की भावना का भी विचार करतें है। नवम से नवम होने पर यह भी भाग्य को दर्शाता है। इस भाव से हम अपने गुप्त कर्मों और अपनी इच्छा का दुरुपयोग और प्रेम के सिद्धातों और प्रेम की भावना का गलत इस्तेमाल करना इस भाव से देखेंतें है। इस भाव से आपके परिवार और और जीवन साथी के बीच का तालमेल भी देखा जाता है। यह भाव पुरानी आदतों से आपका रिश्ता नहीं जोड़ता क्योकि इसे बुद्धि का भाव कहने से बुद्धि में नए विचारों का आना इस भाव का नियम है। इस भाव से मान सम्मान के विषय में अनुमान लगाया जा सकता है। यदि इस भाव में राहु माघ नक्षत्र में हो या कन्या राशि में या वृषभ,मिथुन राशि और मेष राशि या कुम्भ राशि में हो तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान और यश प्राप्त करने वाला होता है। इस भाव के मज़बूत होने से आप एक अच्छे सलाहकार बनतें है और इस भाव के मज़बूत होने से मंत्रों का सही उच्चारण और मंत्रो का सही प्रयोग भी करतें है। इस भाव के ख़राब होने से आप अनैतिक कार्य करने वाले अपने आप को बुराईयों में धकेलने वाले आवारगी करने वाला, सभी प्रकार के दुष्कर्म करने वाला बनाता है। पंचम भाव का उद्देश्य सुरक्षा में पहचान से है कि आप कितने सुरक्षित है और आपकी जनता के समक्ष क्या पहचान है यदि आप भी पंचम भाव से सम्बंधित कुछ जानकारी लेना चाहतें है तो दिये गए नंबरों पर संपर्क कीजिये- आचार्य वासुदेव ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखाविशेषज्ञ फोन नंबर- 9560208439/ 9870146909