У нас вы можете посмотреть бесплатно शीतकाल के कीर्तन पद व्रतचर्या व हिलग के पद sheetkal ke pad vratcharya Hilag ke pad :pranalika anusar или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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डॉ भगवान दास कीर्तनकार कामवन (अषटसखा श्री गोविन्दस्वामीजी के वंशज) मो 9828737151 #keertan #brij #bhajan #pushtimarg #braj #bhagwandas #sheet #vallabh #vallabhacharya #haweli #todhi_rag #lalit #aasavari व्रतचर्या के पद (मंगला व श्रंगार) मोहन वसन हमारे दीजै। बारणे जाऊं सुनो नंदनंदन सीत लगत तन भीजै ॥ कौन स्वभाव वृथा अन अवसर इन बातन कैसे जीजै सुन दुख पावै महरि यशोमति जाय कहें अबहीजै सब अबला जल माँझ उघारी दारुण दुख कैसे सहीजै प्रभु बलराम हम दासी तिहारी जो भावै सो कीजै मोहन देहौ वसन हमारे जाय कहों व्रजपतिजू के आगें करत अनीति ललारे तुम व्रजराजकुमार लाडिले और सबहिन के प्राण पियारे गोविंदप्रभु पिय दासी तिहारी सुंदरवर सुकुमारे प्यारे नहिं करिये यह हांसी दीजै चीर जाय गृह कों सब हम तौ तुम्हारी दासी तुम ब्रजराजकुमार कहावत सबहिन के सुखरासी ॥ श्रीविठ्ठलगिरिधरनलाल तुम रहत सदा वनवासी हिलग के पद (राजभोग) प्रीति करि काहु सुख न लह्यो प्रीति पतंग करी दीपक सों आपुन आप दह्यो अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों सम्पुट मांझ गह्यो सारंग प्रीति करी सारंग सों सन्मुख बान सह्यो हमहु प्रीति करी माधों सों जात कछु न कह्यो ऊधो सुर प्रभु बिनु देखे नैननि नीर बह्यो मैं तौ प्रीति स्याम सों कीनी कोऊ निंदो कोऊ वंदो अब तौ यह धर दीनी जो पतिव्रत तौ या ढोटा सों इन्हें समर्पयौ देह जो व्यभिचार तौ नंदनंदन सों बाढ्यो अधिक सनेह जो व्रत गह्यौ सो और न भायौ मर्यादा कौ भंग परमानंद लालगिरिधर कौ पायौ मोटौ संग जा दिन प्रीत स्याम सों कीनी ता दिन तें मेरी अखियन में नैंकहु नींद न लीनी चढ्यो रहत चित चाक सदाई यह विचार दिन जाय मनमें रहत चाह मिलन की और कछु न सुहाय परमानंद प्रेमकी बातें काहुसों नहिं कहिये जैसें व्यथा मूक बालक की अपनें जीयमें सहीये