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अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह का इतिहास और जानकारी। [History of the Andaman and Nicobar Islands India]—Hindi Information ****Documentary अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह लगभग 572 छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना है जिनमें से सिर्फ कुछ ही द्वीपों पर लोग रहते हैं। ... इसकी राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। भारत का यह केन्द्र शासित प्रदेश हिंद महासागर में स्थित है और भौगोलिक दृष्टि से दक्षिण पूर्व एशिया का हिस्सा है। अंडमान में दंडितों की बस्ती की सुरक्षा के लिए 1858 में ‘सेबंडी कोर’ की स्थापना के साथ ही अंडमान तथा निकोबार पुलिस का इतिहास का शुभारंभ हुआ । इसका पुनर्गठन 1867 में 2 निरीक्षकों 3 प्रधान सिपाहियों, 12 सारजेन्ट तथा 285 सिपाहियों के बल के साथ हुआ । वर्ष 1942 से 1945 तक इन द्वीपों में जापानियों के शासन ने अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के पुलिस व प्रषासनिक ढाँचे को तहस-नहस कर दिया । परिणामस्वरूप 1945 में ब्रिटिश आधिपत्य की पुनः स्थापना के बाद प्रतिनियुक्ति बल के नाम से अधिकारियों और कर्मियों का एक दल उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के विषेश सशस्त्र बल से लिया गया । श्री एन.एफ. सन्टूक, प्रथम भारतीय पुलिस सेवा के पहले अधिकारी ने ‘स्वतंत्रता के 6 वर्षों के बाद दिनांक 16 जनवरी, 1953 को अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह का कार्यभार संभाला । लेकिन मुख्य आयुक्त पुलिस महानिरीक्षक के पद पर बने रहे । अंडमान तथा निकोबार पुलिस का प्रमुख भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी ही होता था और वर्ष 1963 में संघ शासित प्रदेश दिल्ली, हिमाचल और चंडीगढ़ के लिए अलग दानीप सेवा आरंभ की गई और श्री आर.के. ओहरी, 1965 में पहला पुलिस अधीक्षक तैनात किए गए और इसके साथ अंडमान तथा निकोबार पुलिस के विस्तार की गाथा आरंभ हुई । आगे कार्यपालक पुलिस को तीन उप मंडलों अर्थात दक्षिण अंडमान, उत्तर अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में विभाजित किया गया। इसके अलावा सशस्त्र्र पुलिस, विषेश सषस्त्र पुलिस, अपराध जाँच विभाग, द्वीप संचार, अग्निशमन सेवा, पुलिस प्रषिक्षण विद्यालय, पुलिस मोटर परिवहन, पुलिस मेरीन बल तथा भारत आरक्षित वाहिनी भी बतौर अलग इकाई स्थापित किए गए । अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। अंडमान एवं निकोबार लगभग 300 छोटे बड़े द्वीपों का समूह है, जिसमें कुछ ही द्वीपों पर आबादी है। यहाँ की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों का संघ राज्य क्षेत्र 6° और 14° उत्तरी अक्षांश और 92° तथा 94° पूर्वी देशांश के बीच स्थित है। ये द्वीप 10° उत्तरी अक्षांश पर स्थित हैं जिसे अंडमान द्वीप समूह कहते हैं जबकि 10° उत्तरी अक्षांश पर स्थित दक्षिणी द्वीप को निकोबार द्वीप समूह कहते हैं। इन द्वीपसमूहों का मौसम नम, उष्ण कटिबंधीय तटीय मौसम है। इन द्वीपों में दक्षिणी पश्चिमी और उत्तरी पूर्वी मानसून से वर्षा होती है। यहाँ मई माह से दिसंबर माह के बीच अधिकतम वर्षा होती है। अंडमान मलयालम भाषा के हांदुमन शब्द से आया है जो हिन्दुओं के भगवान हनुमान शब्द का परिवर्तित रूप है। निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है- नग्न लोगों की भूमि। बंगाल की खाड़ी में बसा निर्मल और शांत अंडमान पर्यटकों के मन को असीम आनंद की अनुभूति कराता है। यह भारत का एक लोकप्रिय द्वीप समूह है। अंडमान में मूंगा भित्ति, सुन्दर सागर तट, यादों से जुड़े खंडहर और विभिन्न दुर्लभ वनस्पतियां हैं। एक से एक बढ़कर, यहाँ पर कुल 572 द्वीप हैं। अंडमान द्वीप का 86 प्रतिशत क्षेत्रफल वन संपदा से ढका हुआ है। समुद्री जीव और जैव वनस्पतियों, इतिहास और जल सम्बन्धी खेलों में रुचि रखने वाले पर्यटकों को यह द्वीप बहुत पसंद आता है। इस द्वीप समूह पर 17 वीं सदी में मराठों द्वारा अधिकार किया गया था। मराठों के बाद इस पर ब्रिटिश शासकों ने राज्य किया। दूसरे विश्वयुद्ध में इस पर जापान ने अधिकार कर लिया। उसके बाद कुछ समय के लिये यह द्वीप नेता जी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज की अधीनता में भी रहा। जनरल लोकनाथन यहाँ के गवर्नर थे। 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी के बाद यह द्वीप समूह भारत का केन्द्र शासित प्रदेश बना। ब्रिटिश शासन इस स्थान का प्रयोग स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अपनी दमन की नीति के अंतर्गत क्रांतिकारियों को भारत से दूर जेल में रखने के लिये करता था। इसी कारण से यह आंदोलनकारियों के मध्य 'कालापानी' के नाम से जाना जाता था। इसके लिये पोर्ट ब्लेयर में एक अलग जेल सेल्यूलर जेल का निर्माण किया गया जो ब्रिटिश काल में भारत के लिये साइबेरिया की तरह माना जाता था। धान यहां अनाज की प्रमुख खाद्यान्न फसल है जो कि मुख्यतः अंडमान द्वीपसमूह में उगाई जाती है जबकि निकोबार द्वीपसमूह की मुख्य नकदी फसलें नारियल और सुपारी हैं। रबी के मौसम के दौरान दालें, तिलहन और सब्जियां उगाई जाती हैं जिसके बाद धान की फसल बोई जाती है। यहां के किसान पहाड़ी जमीन और भिन्न-भिन्न प्रकार के फल, जैसे-आम, सेपोटा, संतरा, केला, पपीता, अनन्नास और कंदमूल आदि उगाते हैं। यहां बहुफसल व्यवस्था के अंतर्गत मसाले, जैसे – मिर्च, लौंग, जायफल तथा दालचीनी आदि भी उगाए जाते हैं। इन द्वीपों में रबड़, रेड आयल, ताड़ तथा काजू आदि भी थोड़ी-बहुत मात्रा में उगाए जाते हैं। इन द्वीपों में 96 वन्यजीव अभयारण्य, नौ राष्ट्रीय पार्क तथा एक जैव संरक्षित क्षेत्र (बायोरिजर्व) हैं। स्तनपायी -अब तक अधिसूचित कुल 55 स्थलीय एवं 7 समुद्री स्तनपायी प्रजातियों में से 32 क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं। पक्षी-द्वीपों में पक्षियों की 246 प्रजातियां एवं उपप्रजातियां मिलती हैं जिनमें से 99 प्रजातियां एवं उपप्रजातियां क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं। सरीसृप-इस राज्य में सरीसृपों की 76 प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से 24 क्षेत्र विशेष तक सीमित हैं।