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sri jagannath astakam song's pandit suryanarayan rathsharma video editing Shree krushna chandra padhi ।। श्री जगन्नाथाष्टकं ।। कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत करबो मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥१॥ भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे दुकूलं नेत्रान्ते सहचर-कटाक्षं विदधते । सदा श्रीमद्-वृन्दावन-वसति-लीला-परिचयो जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥२॥ महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना । सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ॥३॥ कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो रमा वाणी रामः स्फुरद् अमल पङ्केरुहसुखः । सुरेन्द्रैर् आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥४॥ रथारूढो गच्छन् पथि मिलित भूदेव पटलैः स्तुति प्रादुर्भावम् प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः । दया सिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धु सुतया जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥५॥ परंब्रह्मापीड़ः कुवलय-दलोत्फुल्ल-नयनो निवासी नीलाद्रौ निहित-चरणोऽनन्त-शिरसि । रसानन्दी राधा-सरस-वपुरालिङ्गन-सुखो जगन्नाथः स्वामी नयन-पथगामी भवतु मे ॥६॥ न वै पार्थो राज्यं न च कनक माणिक्य विभवं न याचेऽहं रम्यां निखिल जन काम्यां वरवधूम् । सदा काले काले प्रमथ पतिना गीतचरितो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥७॥ हर त्वं संसारं द्रुततरम् असारं सुरपते हर त्वं पापानां विततिम् अपरां यादवपते । अहो दीनेऽनाथे निहित चरणो निश्चितपदं जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥८॥ जगन्नाथाष्टकं पुन्यं यः पठेत् प्रयतः शुचिः । सर्वपाप विशुद्धात्मा विष्णुलोकं स गच्छति ॥९॥