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राजा जनक का राजा दशरथ को संदेश | राम बारात का मिथिला में आगमन | रामायण | दिव्य कथाएँ

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान! Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...   संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये। दिव्य कथाएं के इस प्रसंग में शंख ध्वनि के साथ सीता स्वयंवर प्रारम्भ होता है। स्वयंवर में कई राज्यों के राजाओं की दम्भपूर्ण और ललकार भरी बातें सुन राजा जनक विचलित हो जाते हैं। तभी विश्वामित्र राम व लक्ष्मण के साथ सभा में प्रवेश करते देख जनक का चेहरा खिल उठता है। अन्य राजा सुकोमल से दिखने वाले राम व लक्ष्मण का उपहास उड़ाते है। बारी-बारी से उपस्थित राजा शिव धनुष को उठाने आते हैं लेकिन शिव धनुष को उसके स्थान से हिला तक नहीं पाते। यह देख निराश होकर राजा जनक कठोर स्वर से सभा को सम्बोधित करते हुए पछतावा करते है। जनक के कठोर स्वर सुन लक्ष्मण उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि सभा में सूर्यवंशी रघुकुल नन्दन श्रीराम भी उपस्थित हैं और चुनौती देते हैं कि यदि उन्हें अपने गुरु की आज्ञा मिल जाये तो वह स्वयं पूरे ब्रह्माण्ड को गेंद की भाँति उछाल कर अपना पराक्रम दिखा सकता हैं। #tilak #ramayan #kathayen #divyakathayen

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