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जूप्रागैतिहासिक कला।। कला के महत्वपूर्ण प्रश्न।। Prehistoric art #arttgtpgt #कला (8 जुलाई) #competitors #utkarsh #कला #art #tgt #study #vaishnavi #भारतीय #indian #history Alok Gautam: #TGT PGT ART, #Competitors By Geeta , #Study Edushino , #Visual Art Learning #Vaishnavi Free Education(VFE), #Art-gyan-kala, #Utkarsh Classes #Utkarsh Classes #Competitors By Geeta #View Point with rajendra #KAUTILYA CLASSES प्रागितिहास (Prehistory) मानव अतीत के उस भाग को प्रागितिहास कहते हैं जबकि मानव का अस्तित्व तो था परन्तु लेखन कला का आविष्कार अभी नहीं हुआ था . विश्व इतिहास में लेखन कला का आरंभ सबसे पहले मेसोपोटामिया सभ्यता में लगभग ३२०० ई॰पू॰ से माना जाता है .।[1] "प्रागितिहास, लगभग ४४ लाख साल पहले (अभी तक के प्राचीनतम साक्ष्य के आधार पर) होमिनिनस् मानव द्वारा दो पैरों पर खड़े होने, पत्थर के उपकरणों उपयोग और ३२०० ई॰पू॰ में लेखन प्रणालियों के आविष्कार के बीच की अवधि है।" {प्राक् इतिहास - देवेन्द्र सिंह } कला के विभिन्न रूपों में ‘चित्रकारी’ कला का सूक्ष्मतम प्रकार है जो रेखाओं और रंगों के माध्यम से मानव चिंतन और भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था तो उसने गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी की। धीरे-धीरे नगरीय सभ्यता का विकास होने पर यह चित्रकारी गुफाओं से निकलकर वस्त्रों, भवनों, बर्तनों, सिक्कों, कागज़ों आदि पर आ गई। प्रागैतिहासिक चित्रकला भारत में प्रागैतिहासिक चित्रकला को प्रकाश में लाने का श्रेय कार्लाइल, काकार्बन और पंचानन मिश्र तथा संस्थाओं में एशियाटिक सोसाइटी को जाता है, जिन्होंने मिर्ज़ापुर (कैमूर) की पहाड़ियों के गुफाचित्रों को उद्घाटित किया। भीमबेटका इसकी खोज 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। यह रायसेन ज़िले (M.P.) का एक पुरापाषाणिक गुफा आवास है जिसकी निरंतरता मध्य ऐतिहासिक काल तक रही। यह विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर है तथा इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरंभ हो जाती हैं। भीमबेटका में 700 से अधिक शैलाश्रय हैं जिनमें 400 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। प्रागैतिहासिक चित्रकला की विशेषताएँ: इन चित्रों में अधिकतर आखेट के चित्र प्राप्त होते हैं। इनमें पशु-पक्षियों का अंकन मुद्राओं के साथ करने का प्रयास किया गया है। आखेटकों के पास नोंकदार भाले, ढाल और धनुष-बाण आदि दिखाए गए हैं। कुछ चित्रों में आदि धर्म और जादू-टोने एवं कृषक जीवन का चित्रण भी किया गया है। रंगों में व्यापकता नहीं मिलती, हालाँकि कुछ चित्रों को गेरू, खड़िया और काले आदि रंगों से रंगा गया है। प्रागैतिहासिक चित्रकला के अन्य नमूने मिर्ज़ापुर (उ.प्र.), रायगढ़ (महाराष्ट्र), पंचमढ़ी एवं होशंगाबाद (म.प्र.), शाहाबाद (बिहार) आदि से मिले हैं। भारत की प्रागैतिहासिक गुफा चित्रकारी, स्पेन की शैलाश्रय चित्रकलाओं से असाधारण रूप से मेल खाती है। ये चित्रकलाएँ आदिम अभिलेख हैं जिन्हें अपरिष्कृत लेकिन यथार्थवादी ढंग से तैयार किया गया है।