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Barsur k Pramukh Mandir Battisa Mandir,Chandraditya Mandir,Ganesh Mandir,Mama-Bhacha Mandir 3 года назад


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Barsur k Pramukh Mandir Battisa Mandir,Chandraditya Mandir,Ganesh Mandir,Mama-Bhacha Mandir

#barsur #dantewada #chhattisgarh #battisamandir जय जोहार संगवारी हो मैं हूँ हर्ष यादव बिलासपुर छत्तीसगढ़ से। आज मैं आपको बारसूर के प्रमुख पांच मंदिर के बारेे में बताऊंगा। बारसूर में स्थित बत्तीसा मंदिर, गणेश मंदिर, मामा भाचा मंदिर, शिव मंदिर तथा चन्द्रादित्य मंदिर का एक छोटा सा वीडियो आप के बीच लेकर आ रहा हूं। दोस्तों कैसा लगा यह वीडियो मुझे कमेंट करके जरूर बताएं और अच्छा लगे तो वीडियो को अपने दोस्तोंं और अपने फैमिली के बीच भी शेयर करना ना भूले। ◼️बारसूर बस्तर की ऐतिहासिक नगरी बारसूर को नागवंशीय राजाओं की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यह जगदलपुर दन्तेवाड़ा मार्ग में गीदम से 23किलोमीटर दूर है। यहॉ 11वीं, 12वीं शताब्दी के बत्तीसगा मन्दिर, देवरली मन्दिर, चन्द्रादित्य मन्दिर, मामा-भांजा मन्दिर प्रसिद्ध मन्दिर है। बारसूर की विशाल गणेश भगवान की प्रतिमा प्रसिद्ध है। नारायण गुड़ी मन्दिर का गरुड़ स्तम्भ व पेद्दम्मा गुड़ी की दुर्गा मूर्ति दन्तेवाड़ा के दंतेश्वरी मन्दिर में सुरक्षित है। #BattisaMandir #ChandradityaMandir #GaneshMandir #MamaBhacha #Mandir2021 ◼️World Largest Ganesha Temple At Barsur Chhattisgarh 🔴विश्व का सबसे बड़ा गणेश प्रतिमा, बारसुर (छ.ग.)🔴 पौराणिक कथा के अनुसार दैत्येन्द्र बालासूर की पुत्री उषा और उनके मंत्री कुमांद की पुत्री चित्रलेखा के बीच घनिष्ठ मित्रता थी, भगवान गणेश इन दोनों के ही आराध्य देव थे, इनकी भक्ति देख बालासुर ने एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जिसमे भगवान गणेश की दो प्रतिमाएं यहाँ एक ही स्थान पर स्थापित करवाईं, दोनों ही सखियां नित्य इनकी पूजा-अर्चना किया करती थी, भगवान श्री गणेश की ये दोनों प्रतिमाएं एकदन्ती हैं, बड़ी प्रतिमा की ऊँचाई 7 फीट है, जबकि छोटी प्रतिमा साढ़े पाँच फीट की है। स्थापना के समय से ही इन प्रतिमाओं का संरक्षण शासक करते आ रहे। #मामाभांजामंदिरबारसूर #Mamabhachamandirbarsur Mama bhanja Mandir, Barsur Dantewada, Chhattisgarh बारसूर वैसे तो अनेक प्राचीन पुरातात्विक दार्शनिक स्थलो से भरा पड़ा है| मगर हम आज के वीडियो में मामा भांजा मंदिर कि बात करते है| यह मदिर काफी सुन्दर व अधभुद है| यह प्राचीन मंदिर छत्तीसगढ़ के बारसूर नामक ऐतिहासिक स्थल में है जो जगदलपुर से भोपालपटनम रोड पर स्थित गीदम से 18 कि.मी. एवं जगदलपुर से 100 की. मी. की दुरी पर स्थित है| यहां जितने मंदिर हैं ठीक से रखरखाव ना होने के कारण जर्जर अवस्था में है फिर भी बाकी मदिर कि तुलना में यह ठीक अवस्था मे है| इसका श्रेय भारत के पुरातात्विक विभाग को जाता है जिसके वजह से आज हम इस प्राचीन मंदिर के दर्शन का लाभ ले रहे है| इस मामा भांजा मंदिर को बनाने में विशेष प्रकार के बलुई पत्थरो का प्रयोग किया गया है | छत्तीसगढ़ के अधिकतर मंदिर जैसे खल्लारी का नारायण मंदिर फिंगेश्वर मंदिर भोरमदेव मंदिर ,जांजगीर का विष्णु मंदिर कि बनावट एक ही प्रकार के नजर आती है| यह मंदिर काफी उची है| इस मंदिर कि दीवारों पर कलात्मन शैल चित्रों को उकेरा गया है| जो उस समय कि अधभुद कलाकारी को आज भी दर्शाता है| मंदिर के शीर्ष में शिल्पकार मामा व भांजा कि मुर्तिया है| वैसे यह मामा भांजा मदिर मुख्य रूप से शिव मंदिर है| स्थानीय निवासियों व कुछ इतिहास कारो के अनुसार यह बताया जाता है कि उस समय का तात्कालिक राजा परम शिव भक्त हुवा करता था। भगवान को प्रसन्न करने के लिए एक ऐसा नायाब शिव मंदिर निर्माण करवाने का स्वप्न देखा जिसे महज एक दिन में निर्माण किया जाये जिससे राजा का यश कीर्ति चारो दिशा में फैले और उसके कुल का नाम हो अपनी इसी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए अपने राज्य के दो प्रसिद्ध शिल्पकार को बुलाया गया (स्थानीय निवासियों के अनुसार वह शिल्पी कार कोई आम मानव नहीं थे वह कोई देवलोक से भेजे गए देव अथवा यक्ष गंधर्व थे| लोग तो दोनो को देव शिल्पी विश्वकर्मा के वंशज बताते हैं। राजा ने दोनों को शिव मंदिर निर्माण करने का आदेश दिया । लेकिन शर्त यह थी कि शिव मंदिर का निर्माण केवल एक ही दिन में पूर्ण किया जाये | तब दोनों शिल्पकार राजा के आज्ञा स्वरुप अपनी ऐसे कारीगरी दिखाई जो आज के वर्तमान युग के लिए किसी स्वप्न से कम नहीं है| उन दोनों ने महज एक ही दिन में भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया जो किसी चमत्कार से कम नहीं था| {सोचनीय विषय यह है कि उस समय कोई आज कि तरह साधन नहीं हुवा करता था फिर भी उन लोगो ने इतने मोटे मोटे चट्टानों को इतनी उचाई पर कैसे पहुचाया कैसे चट्टानों को खोदकर नक्कासी कि, कैसे पत्थरो के जोड़ का पता नहीं चलता है | शायद उस समय कोई विद्या जानते थे या सिद्धि प्राप्त किये रहे होंगे। मंदिर पूर्ण होने के पश्चात राजा ने यहाँ शिवलिंग व गणेश प्रतिमा स्थापित कि तब राजा ने उन शिल्पकारो को बुलाकर उनका आभार व्यक्त किया, उनका मेहनताना दिया और बोला कि यह मंदिर आज से तुम दोनो मामा भांजा के नाम से जाना जायेगा तब से लेकर आज तक उस मंदिर को मामा भांजा के नाम से जाना जाता है| #mamabhanja #mamabhanchamandirbarsur #MamaBhanjaMandirBarsur #Mamabhanjatemplebarsurjagdalpur #mamabhanjamandirjagdalpurbarsur #mamabhacha #mamabhanjamandir #mamaBhanchaMandirBarsur #mamabhanjamandir #MAMABHANJAMANDIR #mamabhachamandir #mamabhachamandirbarsur #mamabhachatemplebarsurjagdalpur #ganeshtemple#बारसूर गणेश मंदिर#ganesh mandir#ganesh temple#ganeah mandir barsur#ganesh temple barsur #barsurganeshtemple #barsurganeshmandir#explorebastar#largestganesh#bigganesh#jagdalpur#dantewada

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