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अफ्सरा साधना " apsara sadhna kyu hi kare | apsara ko kaise sidh kiya jata hai #part1 अप्सरा साधना ही क्यों करें? यह कलियुग नहीं कर युग है यह, क्योंकि यहाँ साधनाओं को ग्रंथों से उठाकर प्रयोग करने के पश्चात ही सफलता मिलती है। साधक का जीवन अदृश्य शक्तियों के महासमुद्र से घिरा हुआ है। वह प्रतिदिन चमत्कार देखता है, और इन चमत्कारों की गहराई तक उतरना भी चाहता है। जड़ व चेतन, स्थूल व सूक्ष्म, भौतिक व आध्यात्मिक आयामों से संसार विभाजित है। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है जहाँ पर भौतिक विज्ञान की सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं वहाँ से तंत्र विज्ञान प्रारम्भ होता है। तंत्र एक चमत्कारी, प्रत्यक्षसिद्ध और रहस्यमय विद्या है। इस संसार में ऐसे कई लोग हैं, जो तंत्र साधनाओं की हंसी उड़ाते हैं, तथा उसे अंधविश्वास से जोड़ते हैं। इन्हीं अंधविश्वासों से पर्दा उठाने के लिये प्रस्तुत है यह पुस्तक। पुस्तक में तंत्र और तांत्रिक साधना, तंत्रों का क्या है वैज्ञानिक आधार? क्या तंत्र हमारे जीवन में उपयोगी है? तंत्र के लिए उपयोगी साधनं, साधक के लिए कितना कल्याणकारी व कितना अकल्याणकारी ? इन्हीं सब विषयों का आईना है यह पुस्तक । तंत्र और अप्सरा का कितना गहरा संबंध है, सुख समृद्धि में मायावी अप्सरा साधना का कितना महत्व है? यह पुस्तक का मूल विषय है। तंत्र शब्द तन् और त्र से मिलकर बना है। इन दो धातुओं से बने तंत्र शब्द का अर्थ है तत्व को अपने अधीन करना। तन् पद का तात्पर्य प्रकृति से है और त्र का अर्थ है अनुकूल बनाने का भाव। इस ग्रकार तंत्र से यह भी भाव प्रकट होता है कि इसमें देवताओं की पूजा प्रतिष्ठा करके प्रकृति को अपने मनोनुकूल कर लेते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं। पूजा पाठ के उपयोगी साधन भी तंत्र में आ जाते हैं। इस प्रकार तंत्र का अर्थ हम यह भी कह सकते हैं कि जिसके द्वारा सभी मन्त्रार्थों, अनुष्ठानों का विस्तार से विचार हो और जिसके अनुसार कार्य करने पर लोगों की सभी भयों से रक्षा हो तथा मनोवांछित हों, यह तंत्र है। । #mantrakishakti mantra ki shakti guru Indal ji