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पर्वतोंमें श्रेष्ठ विन्ध्य सूर्यदेवपर क्रोध करके जब सहसा बढ़ने लगा तब आपने ही उसे रोका था। ..... 21 час назад


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पर्वतोंमें श्रेष्ठ विन्ध्य सूर्यदेवपर क्रोध करके जब सहसा बढ़ने लगा तब आपने ही उसे रोका था। .....

Complete Video :    • द्व‍यधिकशततमोऽध्यायः - कालेयोंद्वारा ...   देवता बोले—भगवन्! पूर्वकालमें राजा नहुषके अन्यायसे संतप्त हुए लोकोंकी आपने ही रक्षा की थी। आपने ही उस लोककण्टक नरेशको देवेन्द्रपद तथा स्वर्गसे नीचे गिरा दिया था ⁠।⁠।⁠ १५ ⁠।⁠। पर्वतोंमें श्रेष्ठ विन्ध्य सूर्यदेवपर क्रोध करके जब सहसा बढ़ने लगा तब आपने ही उसे रोका था। आपकी आज्ञाका उल्लंघन न करते हुए विन्ध्यगिरि आज भी बढ़ नहीं रहा है ⁠।⁠।⁠ १६ ⁠।⁠। विन्ध्यगिरिके बढ़नेसे जब सारे जगत्‌में अन्धकार छा गया और सारी प्रजा मृत्युसे पीड़ित होने लगी। उस समय आपको ही अपना रक्षक पाकर सबने अत्यन्त हर्षका अनुभव किया था ⁠।⁠।⁠ १७ ⁠।⁠। सदा आप ही हम भयभीत देवताओंके लिये आश्रय होते आये हैं। अतः इस समय भी संकटमें पड़कर हम आपसे वर माँग रहे हैं; क्योंकि आप ही वर देनेके योग्य हैं ⁠।⁠।⁠ १८ ⁠।⁠। इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि तीर्थयात्रापर्वणि लोमशतीर्थयात्रायामगस्त्यमाहात्म्यकथने त्र्यधिकशततमोऽध्यायः ⁠।⁠।⁠ १०३ ⁠।⁠।

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