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War As Competition, LATA VS SUMAN KALYANPUR

WAR AS COMPETITION , LATA VS SUMAN KALYANPUR सुमन कल्याणपुर का जन्म 28 जनवरी 1937 को ढाका में (उस वक्त भारत का हिस्सा था में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बड़े बाबू शंकर राव हेमाड़ी के यहां उनकी पहली संतान के रूप में हुआ। शंकर बाबू और उनकी पत्नी सीता ने अपनी बेटी का नाम सुमन रखा। सुमन के अलावा शंकर बाबू के यहां पांच संतानें और हुईं। बच्चों की बेहतर पढ़ाई-लिखाई का सपना संजोकर शंकर बाबू परिवार के साथ 1943 में मुंबई) चले आए। सुमन का रुझान बचपन से ही पेंटिंग और संगीत की तरफ था। उन्होंने ग्रेजुएशन भी आर्ट्स में की। सुमन पेंटर बनना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता के दोस्त पंडित केशव राव को उनकी सुरीली आवाज की परख हो गई थी। उन्होंने सुमन के पिता से सुमन को संगीत सिखाने की बात कही। इस तरह सुमन ने संगीत का अभ्यास शुरू किया। सुमन कल्याणपुर पहले तो शौकिया रूप में ही संगीत सीख रहीं थीं, लेकिन समय के साथ-साथ उनकी रुचि बढ़ने लगी। सुमन ने अपने गुरु यशवंत देव से बाकायदा संगीत सीखा। उन्होंने ही मराठी फिल्म 'शुक्राची चांदनी' में पहली बार गाने का मौका दिया। मगर, यह फिल्म में शामिल नहीं हुआ। लेकिन, संगीतकार मोहम्मद शफी ने सुमन को फिल्म 'मंगू' (1954) में गाने के अवसर दिए। उस वक्त सुमन की उम्र महज 17 साल थी। हालांकि, हालात ऐसे बने कि सुमन का सिर्फ एक गीत फिल्म में रखा-'कोई पुकारे धीरे से तुझे'। इसी साल संगीतकार नौशाद के निर्देशन में फिल्म 'दरवाजा' में सुमन को पांच गीत गाने का मौका मिला, जिसके बाद सुमन ने इंडस्ट्री में मजबूती से अपने पैर जमाए गुरु केशव राव भोले ने 1952 में ऑल इंडिया रेडियो में उन्हें गाने का मौका दिया. परिवार की बंदिशों के बावजूद सुमन मना नहीं कर पाईं और पहलीबार उनकी आवाज ने दर्शकों के कानों पर दस्तक दी. साल भर बाद उन्हें मराठी फिल्म शुक्राची चांदनी में गाने का ऑफर मिला। फिल्म रिलीज हुई और डाइरेक्टर शेख मुख्तार ने देखी। उनके जहन में सुमन की सुरीली आवाज ने जगह बना ली।. उन्होंने सुमन को अपनी अगली फिल्म मंगू में गाने का मौका दिया. फिल्म में मौहम्मद शफी संगीत दे रहे थे. लेकिन बाद में उनकी जगह ओ पी नैय्यर को यह जिम्मेदारी दी गई. सुमन ने फिल्म में तीन गीत गाए लेकिन नैय्यर साहब ने उनके सिर्फ एक लोरी को ही फिल्म में शामिल किया. इस तरह फिल्म के कोई पुकारे धीरे से तुझे।. से सुमन कल्याणपुर का हिंदी सिनेमा में फीमेल प्लेबैक सिंगर का सफर शुरू हुआ। गुरु केशव राव भोले ने 1952 में ऑल इंडिया रेडियो में उन्हें गाने का मौका दिया. परिवार की बंदिशों के बावजूद सुमन मना नहीं कर पाईं और पहलीबार उनकी आवाज ने दर्शकों के कानों पर दस्तक दी. साल भर बाद उन्हें मराठी फिल्म शुक्राची चांदनी में गाने का ऑफर मिला। फिल्म रिलीज हुई और डाइरेक्टर शेख मुख्तार ने देखी। उनके जहन में सुमन की सुरीली आवाज ने जगह बना ली।. उन्होंने सुमन को अपनी अगली फिल्म मंगू में गाने का मौका दिया. फिल्म में मौहम्मद शफी संगीत दे रहे थे. लेकिन बाद में उनकी जगह ओ पी नैय्यर को यह जिम्मेदारी दी गई. सुमन ने फिल्म में तीन गीत गाए लेकिन नैय्यर साहब ने उनके सिर्फ एक लोरी को ही फिल्म में शामिल किया. इस तरह फिल्म के कोई पुकारे धीरे से तुझे।. से सुमन कल्याणपुर का हिंदी सिनेमा में फीमेल प्लेबैक सिंगर का सफर शुरू हुआ।सुमन कल्याणपुर ने हिंदी सिनेमा में 900 से ज्यादा गीत गाए.. इसके आलावा भी उन्होंने मराठी में भी सैंकड़ों गाने गाए। और बंगाली। गुजराती। भोजपुरी। राजस्थानी और पंजाबी में भी उनके गीतों की फेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन उन्हें हमेशा ही लता मंगेशकर की डुप्लीकेट आवाज के रुप में इस्तेमाल किया गया।ऐसे सुपरहिट गीतों की लिस्ट इतनी लंबी है कि एक एपीसोड में इन्हें शामिल करना मुम्किन ही नहीं है.. ऐसे ही गीतों में। तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर। रहें न रहें हम। मेरा प्यार भी तू है। रहें न रहें हम। दिल एक मंदिर है। तुमने पुकारा और हम चले आए। होश में आलूं तो चले जाइएगा... और न न करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे शामिल हैं जिन्हें आज भी लोग बड़े शौक से गुनगुनाते हैं।. your quairies The Other Lata: Suman Kalyanpur and her almost-famous singing career, Padma Bhushan Suman Kalyanpur: A singer you can easily mistake for Lata Mangeshkar, The woman seen singing in this video is not Indian playback singer Suman Kalyanpur, Suman Kalyanpur, whose voice resembles Lata’s, ‘never bothered about comparison', Rafi Saab’s singing was divine – Suman Kalyanpur, Maharashtra: Padma honours for veterans in business, art and welfare Mohammed Rafi And Suman Kalyanpur: 5 Best Duet Songs सुमन कल्याणपुर को कहा जाता था दूसरी ‘लता मंगेशकर’, अब मिला पद्मभूषण, जानें सिंगर से जुड़े किस्से

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