Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео




Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



HIMALAYAN HIGHWAYS| नंदा लोकजात यात्रा तीसरा पड़ाव भेटी गाँव चमोली | NANDA LOKJAAT YATRA|

‪@HimalayanHighways‬ हिमालयन हाइवेज। HIMALAYAN HIGHWAYS सुदृर पहाड़ों में ऊंची चोटी के पीछे से धीरे धीरे गांवों को रोशन करते सूर्य देवता और अपने खास दिन के लिए तैयार होते स्थानीय लोग.... मौसमी फलों को थाली में सजाएं सुंदर वस्त्रों से थाली को ढके ये ससुराल जाती मां नन्दा की भेंट है.... गांव में नजर आता ये उल्लास किसी सैर सपाटे का नही बल्कि अपनी इष्टदेवी को मायके से विदा करने का है। यहां मन भावुक जरूर है लेकिन सच्चाई यही है कि नन्दा को ससुराल जाना ही है। नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर एपिसोड में आपका स्वागत है। लोकजात यात्रा से जुड़े हमारे इस एपिसोड में आज हम आपके लिए लेकर आये है लोकजात यात्रा का तीसरा पड़ाव भेटी गांव। नन्दानगर विकासखण्ड में स्थित भेटी गांव नन्दा के मायके से लगा आखिरी रात्रि पड़ाव माना जाता है। इसके बाद अगले पड़ाव बधाण परगना में शुरू होते है। आज के एपिसोड में हम आपके लिए लेकर आये है खूबसूरत भेटी गांव की लोकपरपराओं और रीति रिवाजों को। स्थानीय महिला मंगल दल की पौराणिक लोकसंस्कृति को प्रस्तुत करते लोकनृत्य। आइए शुरू करते है आज का यह खास एपिसोड नन्दा के मायके भेटी गांव से। भेटी गांव के इस सफर को शुरू करने से पहले ये दो तस्वीरें आपको लोकजात यात्रा के सार को समझा जाती है। एक तरफ भेटी गांव में नन्दा की डोली के स्वागत में लोकनृत्य ओर उत्साह और दूसरी तरफ गांव से विदा होती नन्दा को नम आंखों और दुबारा आने के निमंत्रण के साथ विदाई। जी हां ये नन्दा के मायके में सुदृर स्थित भेटी गांव है। अपनी मेहनत और सादगी के लिए पहचान रखने वाले इस गांव में पहाड़ों की लोकसंस्कृति के अपने रंग है जो यहां खूब नजर आते है। भेटी गांव में मां नन्दा की डोली हर साल रात्रि विश्राम के लिए पहुंचती है। इस दौरान यहां पूरा गांव मां के स्वागत में उमड़ता है।भेटी गांव आबादी ओर अपनी सीमाओं के चलते काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां आबादी के विस्तार और वर्तमान को लेकर लोगों के अपने अनुभव है। भेटी गांव में अतित की जीवनशैली काफी मुश्किल लिए थी और वर्तमान में भी यहां गांव के अन्य तोकों तक पहुंचने के लिए पैदल सफर ही एकमात्र जरिया है। भेटी गांव में नए ओर पुराने मकानों की लंबी श्रखला है साथ ही यहां वर्तमान जीवनशैली भी तेजी से विस्तारित हो रही है। गांव के इतिहास और अतीत की जानकारी यहाँ स्थानीय लोग विस्तार से बताते है। खूबसूरत लोकसंस्कृति भेटी गांव की पहचान रही है और वर्तमान में यहां महिला मंगल दल और अन्य महिलाएं बढ़चढ़कर लोकसंस्कृति से जुड़े आयोजनों में हिस्सा लेती है। पारम्परिक वेशभूसा में यहां लोकगीतों ओर लोकनृत्य हर धार्मिक आयोजन का हिस्सा नजर आता है। माँ नन्दा के मायके से जुड़े इस गांव में धार्मिक आस्था के बेहद मजबूत है। यहां स्थानीय देवी देवताओं से पूजा आयोजन साल भर आयोजित किये जाते है। किसी दौर में भेटी गांव तक पहुंचना अपने आप में चुनौती हुआ करती थी। सुदृर पहाड़ों में बसे भेटी गांव से थराली ओर नारायणबगड़ विकासखण्ड नजदीक है और भेटी गांव के लोगों की रिश्तेदारी इन दोनों विकासखंडों में भी है। भेटी गांव में मां नन्दा को स्थानीय लोग भेंट चढ़ाने के बाद आगे के लिए रवाना करते है। इस दौरान यहां माहौल काफी भावुक भी होता है। नन्दा को एक बेटी की तरह विदा करती महिलाएं गांव से पैदल चलकर आगे तक पहुंचती है। हाथ जोड़ कर बेटी को विदा करता जनसमुदाय ओर लोकजागर इस पल को ओर भी भावुक कर देता है। भेटी गांव में आज भी अतीत की जीवनशैली से लोगों का जुड़ाव साफ नजर आता है। गांव को जोड़ती सड़क और संचार से यहां जीवन तेजी से बदल रहा है लेकिन स्थानीय लोग अब भी अपने रीति रिवाजों को खास अहमियत देते है। ग्राम प्रधान भेटी के मुताबिक गांव में बुनियादी सुविधाओं की काफी जरूरत है और सुविधाओ का दायरा बढ़ाने के लिए उनके द्वारा हरसम्भव प्रयास किये जा रहे है। भेटी गांव से मां नन्दा का अगला पड़ाव बधाण मंडल में सोल घाटी के गांव होता है। इस साल मां नन्दा रात्रि पड़ाव के लिए गेरुड गांव पहुंची है। भेटी से आगे स्यारी और बंगाली गांव में दिन का भोजन कर डाली सुपताल पहुंचती है। हिमालयन हाइवेज के अगले एपिसोड में आप देखेंगे भेटी गांव से गेरुड गांव तक का सफर। स्यारी बंगाली गांव में नन्दा के स्वागत ओर विदाई की तस्वीर । कृष्ण भूमि सुपताल में मां नन्दा अपने मायके को निहारती हुई। साथ ही मायके की सीमा से डोली ले जाते बंगाली गांव के युवाओं के अनुभव। सुपताल से मायके को निहारती मां नन्दा की डोली अचानक क्यों हुई भारी। आज के एपिसोड में इतना ही आपको हमारा यह एपिसोड कैसा लगा कृपया कमेंट कर अवश्य बताएं साथ ही हमारे चैनल को अवश्य सब्सक्राइब कीजियेगा। व्हाट्सप्प सम्पर्क - 9634544417 हिमालयन हाइवेज,उत्तराखंड,चमोली, भेटी गाँव, नंदा लोकजात यात्रा, नंदा धाम कुरुड़,सिद्धपीठ कुरुड़ धाम, भेटी गाँव में नंदा, नंदा जात, राजराजेश्वरी नंदा, नंदा जागर, लोकजागर, गढ़वाली लोकगीत,नंदा का मायका,भगोती जागर,

Comments