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घोड़वाड़ी शरीफ दरगाह | इस्माइल शाह कादरी दरगाह | GODWADI KI DARGAH ZINDA KARAMAT | HindiPack 2 года назад


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घोड़वाड़ी शरीफ दरगाह | इस्माइल शाह कादरी दरगाह | GODWADI KI DARGAH ZINDA KARAMAT | HindiPack

दोस्तों आज हम आपको एक एसी दरगाह के बारे में बताने जा रहे जहाँ आज के समय भी जिन्दा करामात होती है| बिलकुल सही सुना आपने, यह एक एसी दरगाह है जहाँ लाइलाज बिमारियों का इलाज केवल इबादत और सजदे से ही हो जाता है| जी हाँ दोस्तों हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी की दरगाह दुनियां में जिन्दा करामात के लिए प्रसिद्ध है| हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी नौवीं शताब्दी के हिजरी के महान सूफी संत थे | वे बहुत दयालु थे और गरीबों की मदद करते थे। लोगो की माने तो उनके पास चमत्कारी शक्तियां थी| जी हाँ दोस्तों , चलिए आपको एक वाक्या बताते है - सुल्तान अलाउद्दीन बहमनी के शासनकाल के दौरान हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी शाही सेना में एक कर्मचारी थे और उन्हें बीदर में लगाया गया था। बीदर में रहने के दौरान एक ब्राह्मण लड़की का अपहरण कर लिया गया और उसे सुल्तान हिमायूं शाह बहमनी के शाही महल में ले जाया गया| तब हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने अकेले पूरी सेना को चकमा देकर उस लड़की को बचाया था| जी हाँ दोस्तों , सुल्तान बहमनी अपने बुरे आचरण के कारण जगत भर में कुख्यात थे और इस कारण उनका नाम बहमनी साम्राज्य के क्रूर राजा के रूप में जाना जाने लगा। सैयद इस्माइल शाह कादरी का एक ब्राह्मण पड़ोसी था और उसकी एक सुंदर और प्यारी बेटी थी| जब उस लड़की की सुन्दरता के बारे में सुलतान को पता चला तो उसने कर्मचारियों को आज्ञा दी कि लड़की को जबरदस्ती महल में ले आओ| इसलिए सुल्तान के आदेश के अनुसार उसे शाही नौकरों ने उसके माता-पिता से छीन लिया और उसे सुल्तान के महल में पेश किया गया। इस घटना का पता जब हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी को पता चला तो उन्होंने अपनी वर्दी पहनी और बिना किसी दिक्कत के महल के अन्दर चले गये| महल के अन्दर जाने पर उन्होंने देखा की लड़की को खुबसूरत शाही पोशाक में अच्छी तरह से सजाया गया था और सुल्तान के सामने पेश करने के लिए ले जा रहे थे। पर हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने लड़की को नौकरों से चंगुल से बचाया और बिना किसी दिक्कत के महल से बाहर ले गये| और लड़की को सुरक्षित उसके माँ बाप तक पहुंचा दिया| और उन्हें बीदर की सीमा से बाहर भेज दिया| बीदर से बाहर निकलने के बाद राजा और उसकी सेना को होश आया और उन्होंने लड़की को ढूंढने की बहुत कोशिश की| पर लड़की का कोई पता नहीं चला| फिर किसी ने बताया की हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने लड़की की मदद की है तो राजा ने अपनी पूरी सेना हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी के पीछे भेज दी| हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी सेना के पहुचने से पहले अपने 3 पुत्रों और पत्नी के साथ बीदर शहर से निकलकर पश्चिम दिशा की ओर चले गए। जब हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी नहीं मिले तो राजा के गुस्से का कोई ठिकाना नहीं रहा| राजा ने हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी और उनके परिवार को मारने के लिए पूरी सेना भेज दी| लेकिन जब सुल्तान की सेना हज़रत इस्माइल शाह क़ादरी को मारने के लिए आगे बढ़ी, तो सेना उनके पास तक नहीं पहुँच पाई| पर राजा के आदेश के कारण सेना ने उस पर हमला कर दिया इस कारण हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने अपने बचाव में तीरों का इस्तेमाल किया और सुल्तान की सेना पर अपने तीर फेंके। अल्लाह की मेहरबानी से और उसके चमत्कार से एक बाण से बड़ी संख्या में सुल्तान के सैनिक मारे जाते थे और अंत में सुल्तान की सेना को हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने बुरी तरह हरा दिया और इसी कारण से सुल्तान ने अपने बचे कुछ सैनिको को वापस बुला लिया। इस घटना के बाद हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी पहाड़ की चोटी पर चले गए जो घुड़वाडी गांव के पास है। पर कहा रहना है इस बात का वाकया भी बड़ा चमत्कारी है| हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने पहाड़ की चोटी से एक तीर फेंका है और अपने नौकरों को तीर खोजने और उसे वापस लाने और उस जगह को चिह्नित करने का हुकुम दिया| जब एक नौकर ने तीर को जमीन से खींचा तो वहां एक जमीनी मार्ग बन गया और इसी रास्ते के सहारे हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी अपने तीन पुत्रों और पत्नी के साथ पहाड़ से उतरे और झरने के पास जा कर इबादत करने लगे| और इसके बाद वे उसी जगह पर बस गए| हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी के तीन बेटे थे 1. सैयद शाह फ़ैज़ उल्लाह 2. सैयद शाह महलब 3. सैयद शाह चंद क़ादरी हज़रत सैयद शाह इस्माइल क़ादरी ने बीदर जिले में ही ज़िल हिजा महीने के दौरान दुनिया को छोड़ दिया। हजरत कादरी को घोडवाड़ी में दफनाया गया था। यहाँ हर साल घोडवाड़ी शरीफ में सैयद इस्माइल कादरी की दरगाह पर मुहर्रम पर लाखो लोग आते है । समा खाना में इबादत के बाद, सैयद शाह इस्माइल क़ादरी घोड़वाड़ी की सीरत और सैयद शाह इस्माइल क़ादरी घोड़वाड़ी की सीरत आयोजित की जाती है। इन सभाओं में, अल्लाह के अंतिम नबी, और सैयद शाह इस्माइल क़ादरी घोड़वाड़ी की जीवनी सुनते हैं, जिसमें सैय्यदीना रसूल्लाह सलाह अल्लाहु अलैही वसल्लम की सही वसल्लम की कविता को सुनने के लिए हज़ारों इकट्ठा होते हैं। वह कविता जो सैय्यदा खई अही अही अही अ अल्लाही अही अहिदा रसूलल्लाही अ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, कुरान की प्रसिद्धी को बयाँ करती है। इसके साथ ही, अल्लाह के अंतिम नबी के सम्मान में सलाम किया जाता है। Channel Link:    / @hindipack   #hindipack #ghodwadi dargah #dargah

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