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Hello Friends THIS SIDE MADHAV RAJPUT HISTORY ABOUT #MAA #JYANTI #DEVI #Temple #Mohali Note - जानकारी Dainik Bhaskar से ली गई है #चंडीगढ़े से 10 किलोमीटर दूर स्थित जयंती देवी माता मंदिर का बहुत पुराना इतिहास है। बुजुर्गों की माने तो लोदी वंश से भी लगभग 550 वर्ष पुराना यह मंदिर है। लोगों का मानना है कि माता इलाके के 5 गांवों की हर संभव मदद करती हैं। किसी भी प्रकार की मुश्किल से माता के मंदिर द्वारा लोगो को बचाया जाता है। इलाके में यह कोई सरकारी फरमान नहीं है, फिर भी माता की श्रद्धा के कारण लोग पहली मंजिल से ऊपर कोई मकान नहीं बनाते हैं। #मोहाली के गांव जयंती माजरी में माता का यह प्राचीन एवं विशाल मंदिर है। जिसकी इलाके के लोगों में अलग-अलग प्रकार से मान्यताएं हैं। जहां पर साल में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है। दोनों नवरात्रों में दूर-दूर से लोग आकर माता के दरबार में माथा टेकते हैं। इलाके में माता के मंदिर को लेकर कई प्रकार की धारणाएं भी बनाई गई हैं। पांच माजरिओं के नाम से जाने जाने वाले 5 गांव जयंती माजरी, गुडा, कसौली, भगिंडी, करोदेवाल में आज भी पहली मंजिल से ऊपर कोई मकान नहीं बनाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि जब माता का मंदिर बना था, तो उससे ऊपर किसी भी मकान की छत नहीं होनी चाहिए थी। वह परंपरा आज भी इन गांवों में चली आ रही है। राजा की बेटी के साथ जुड़ा है इतिहास ग्रामीणों की माने तो इस मंदिर का इतिहास राजा की बेटी के साथ जुड़ा हुआ है। उस समय इस इलाके में छात्रों हथनौर नाम के राजा का राज था। जिसके 22 भाई थे। राजा के एक भाई की शादी कांगड़ा के राजा की बेटी के साथ तय हुई थी। कांगड़ा के राजा की बेटी बचपन से ही जयंती देवी की पूजा करती थी। शादी के बाद उसको जयंती माता से दूर होने का खतरा सता रहा था। माना जाता है कि माता ने राजा की बेटी को सपने में कहा था कि वह उसके साथ चलेगी। जब हथनौर के राजा की शादी उक्त राजकुमारी से हुई और उसकी डोली चलने लगी तो अचानक से डोली भारी हो गई। इसका कारण राजकुमारी ने अपने पिता को बताया। तब माता जयंती देवी की मूर्ति वहां से राजकुमारी की डोली के साथ गांव जयंती माजरी लाई गई थी। राजकुमारी की मौत के बाद गरीबदास ने की पूजा उस समय से ही वह राजकुमारी माता जयंती देवी का मंदिर बना कर इसकी पूजा करती थी। करीब 200 वर्षों तक उस परिवार की तरफ से इस मंदिर की पूजा की गई, लेकिन उसी समय गरीबदास नाम का एक मुल्लापुर का राजा था। उसने हथनौर राज्य पर आक्रमण कर अपना क्षेत्र बढ़ाया। वह भी माता जयंती देवी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने माता जयंती देवी के मंदिर का जीर्णोद्धार करा कर उसकी पूजा याचना शुरू कर दी थी। #कांगड़ा घाटी की 7 देवियों में से एक है जयंती देवी जयंती देवी निवासी सोमनाथ ने बताया कि कांगड़ा घाटी में 7 देवियों की मान्यता है। उनमें से जयंती देवी भी एक रूप है। इनमें नैना देवी, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, माता मनसा देवी, ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और जयंती देवी है। माता के मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं है जो कि इलाके के लोगों को हमेशा मीठा पानी उपलब्ध कराता है। जय माता दी Insta - Kanwar_Mandeep_Bhadwal FB - [email protected] X - @bhadwalmandeep #jyanti_dham #जयंती_धाम जयंती धाम Jyanti dham #jyanti_mata_mandir Jyanti mata mandir Jyanti Devi temple #jyanti_devi_temple जयंती देवी मंदिर जयंती माता का मंदिर जयंती मंदिर मोहाली #जयंती_देवी_मंदिर #जयंती_माता_का_मंदिर #जयंती_मंदिर_मोहाली मोहाली #मोहाली #mohali mohali Jyanti Devi mandir History #jyanti_devi_mandir_history #jyanti_devi_temple_history #jyanti_mandir_rshya #जयंती_देवी_रहस्य #जयंती_देवी_मंदिर_हिस्ट्री #जयंती_देवी_टेंपल_हिस्ट्री #जयंती_देवी_मंदिर_हिस्ट्री