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Surdas Ke Pad: (सूरदास के पद ) CBSE Kshitij | NCERT Class 10 Hindi | Shiksha Aur Sahitya'SAS' 2 недели назад


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Surdas Ke Pad: (सूरदास के पद ) CBSE Kshitij | NCERT Class 10 Hindi | Shiksha Aur Sahitya'SAS'

Surdas Ke Pad: (सूरदास के पद ) CBSE Kshitij | NCERT Class 10 Hindi | Shiksha Aur Sahitya'SAS' ⓒⓞⓝⓣⓐⓒⓣ ⓤⓢ : ➡️ 🅲🅾🅽🅽🅴🅲🆃 🆆🅸🆃🅷 🆄🆂 : [email protected] ➡️ 🆂🆄🅱🆂🅲🆁🅸🅱🅴 🆃🅾 🆄🆂 🅾🅽 🆈🅾🆄🆃🆄🅱🅴:    / @sas_shikshaaursahitya   ➡️ 🅸🅽🆂🆃🅰🅶🆁🅰🅼 : /@SHIKSHA_AUR_SAHITYA ================================================== 🅗🅘🅝🅓🅘 🅛🅔🅢🅢🅞🅝 Class 10 Course A :Surdas ke Pad :    • Surdas Ke Pad: (सूरदास के पद ) CBSE K...   Class 10 Course B :PARVAT PRADESH ME PAVAS :    • पर्वत प्रदेश में पावस | CLASS 10 HIND...   Class 10 Course A : NETA JI KA CHASHMA :    • नेता जी का चश्मा : कक्षा  10 || NCERT...   Class 10 Course B : HARIHAR KAKA :    • CLASS 10 HINDI Chapter 1 | HARIHAR KA...   Class 9 Course B : EVEREST: MERI SHIKHAR YTRA :    • एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा  : कक्षा 9 ...   Class 9 Course B : SMRITI :    • Smriti (स्मृति ) कक्षा  9 | SMRITI CL...   ================================================== सूरदास के पद पाठ सार (Surdas ke Pad Summary) पहले पद में गोपियों की यह शिकायत वाजिब लगती है कि यदि उद्धव कभी स्नेह के धागे से बँधे होते तो वे विरह की वेदना को अनुभूत अवश्य कर पाते। गोपियाँ उद्धव अर्थात श्री कृष्ण के मित्र से व्यंग करते हुए कह रही हैं कि वह बहुत भाग्यशाली है , जो अभी तक श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन से अब तक अछूता है। गोपियाँ उद्धव की तुलना कमल के पत्तों व तेल के मटके के साथ करती हैं क्योंकि जिस प्रकार कमल के पत्ते हमेशा जल के अंदर ही रहते हैं , लेकिन उन पर जल के कारण कोई दाग दिखाई नहीं देता और जिस प्रकार तेल से भरी हुई मटकी पानी के मध्य में रहने पर भी उसमें रखा हुआ तेल पानी के प्रभाव से अप्रभावित रहता है , उसी प्रकार श्री कृष्ण के साथ रहने पर भी तुम्हारे ऊपर उनके प्रेम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यही कारण है कि गोपियाँ उद्धव को भाग्यशाली समझती हैं , जबकि वे खुद को अभागिन अबला नारी समझती हैं , जो श्रीकृष्ण के प्रेम में उलझ गई हैं , उनके मोहपाश में लिपट गई हैं। जब श्री कृष्ण मथुरा वापस नहीं आते और उद्धव के द्वारा मथुरा यह संदेश भेजा देते हैं कि वह वापस नहीं आ पाएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट – सी गईं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई। दूसरे पद में गोपियों की यह स्वीकारोक्ति कि उनके मन की अभिलाषाएँ मन में ही रह गईं , कृष्ण के प्रति उनके प्रेम की गहराई को अभिव्यक्त करती है। श्री कृष्ण के गोकुल छोड़ कर चले जाने के उपरांत , गोपियों के मन में स्थित श्री कृष्ण के प्रति प्रेम – भावना मन में ही रह गई है। वे उद्धव से शिकायत करती हैं कि अब वे अपनी यह व्यथा / यह पीड़ा किसे जाकर कहें ? उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है। वे अब तक इसी कारण जी रहीं थी कि श्री कृष्ण जल्द ही वापिस आ जाएंगे और वे सिर्फ़ इसी आशा से अपने तन – मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब श्री कृष्ण वापस लौटेंगे , तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगी। सूरदास जी के इस पद में गोपियाँ उद्धव से यह कह रही हैं कि उनके हृदय में श्री कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम है , जो कि किसी योग – संदेश द्वारा कम होने वाला नहीं है। बल्कि इससे उनका प्रेम और भी दृढ़ हो जाएगा। तीसरे पद में वे उद्धव की योग साधना को कड़वी ककड़ी जैसा बताकर अपने एकनिष्ठ प्रेम में दृढ़ विश्वास प्रकट करती हैं। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारे श्री कृष्ण तो हमारे लिए हारिल पक्षी की लकड़ी के समान हैं। जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है , उसे कहीं भी गिरने नहीं देता , उसी प्रकार हमने भी मन , वचन और कर्म से नंद पुत्र श्री कृष्ण को अपने ह्रदय के प्रेम – रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है अर्थात दृढ़तापूर्वक अपने हृदय में बसाया हुआ है। हम तो जागते सोते , सपने में और दिन – रात कान्हा – कान्हा रटती रहती हैं। इसी के कारण हमें तो जोग का नाम सुनते ही ऐसा लगता है , जैसे मुँह में कड़वी ककड़ी चली गई हो। चौथे पद में गोपियाँ उद्धव को ताना मारती हैं कि श्री कृष्ण ने अब राजनीति पढ़ ली है। जिसके कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं और अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को राजधर्म ( प्रजा का हित ) याद दिलाया जाना सूरदास की लोकधर्मिता को दर्शाता है। गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक उद्धव से कहती हैं कि श्री कृष्ण ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। जो कि मधुकर अर्थात उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश भी भेज देते हैं। गोपियाँ कहती हैं कि मथुरा जाते समय श्री कृष्ण उनका मन अपने साथ ले गए थे , जो अब उन्हें वापस चाहिए। वे तो दूसरों को अन्याय से बचाते हैं , फिर उन पर अन्याय क्यों कर रहे हैं ? सूरदास के शब्दों में गोपियाँ कहती हैं कि राजधर्म तो यही कहता है कि प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए अथवा न ही सताना चाहिए। इसलिए श्री कृष्ण को योग का संदेश वापस लेकर स्वयं दर्शन के लिए आना चाहिए। =========================================== 𝕯𝖎𝖘𝖈𝖑𝖆𝖎𝖒𝖊𝖗 ☛ 𝕿𝖍𝖊 𝖔𝖇𝖏𝖊𝖈𝖙𝖎𝖛𝖊 𝖔𝖋 𝖙𝖍𝖎𝖘 𝖛𝖎𝖉𝖊𝖔 𝖎𝖘 𝖘𝖍𝖆𝖗𝖎𝖓𝖌 𝖔𝖋 𝖎𝖓𝖋𝖔𝖗𝖒𝖆𝖙𝖎𝖔𝖓. 𝕻𝖑𝖊𝖆𝖘𝖊 𝖓𝖔𝖙𝖊 𝖔𝖚𝖗 𝖔𝖇𝖏𝖊𝖈𝖙𝖎𝖛𝖊 𝖎𝖘 𝖓𝖔𝖙 𝖙𝖔 𝖍𝖚𝖗𝖙 𝖘𝖊𝖓𝖙𝖎𝖒𝖊𝖓𝖙𝖘 𝖔𝖋 𝖆𝖓𝖞 𝖕𝖆𝖗𝖙𝖎𝖈𝖚𝖑𝖆𝖗 𝖕𝖊𝖗𝖘𝖔𝖓, 𝖘𝖊𝖈𝖙 𝖔𝖗 𝖗𝖊𝖑𝖎𝖌𝖎𝖔𝖓. 𝕿𝖍𝖊𝖘𝖊 𝖆𝖗𝖊 𝖗𝖊𝖛𝖊𝖑𝖆𝖙𝖎𝖔𝖓𝖘, 𝖘𝖙𝖔𝖗𝖎𝖊𝖘, 𝖆𝖓𝖊𝖈𝖉𝖔𝖙𝖊𝖘, 𝖒𝖞𝖘𝖙𝖊𝖗𝖎𝖊𝖘, 𝖆𝖓𝖉 𝖎𝖓𝖋𝖔𝖗𝖒𝖆𝖙𝖎𝖔𝖓 𝖒𝖊𝖆𝖓𝖙 𝖔𝖓𝖑𝖞 𝖋𝖔𝖗 𝖊𝖉𝖚𝖈𝖆𝖙𝖎𝖔𝖓𝖆𝖑 𝖕𝖚𝖗𝖕𝖔𝖘𝖊𝖘 𝖆𝖓𝖉 𝖜𝖊 𝖍𝖔𝖕𝖊 𝖙𝖍𝖊𝖞'𝖉 𝖇𝖊 𝖙𝖆𝖐𝖊𝖓 𝖑𝖎𝖐𝖊𝖜𝖎𝖘𝖊. 𝕿𝖍𝖊 𝕭𝖗𝖔𝖆𝖉𝖈𝖆𝖘𝖙𝖊𝖗 𝖈𝖆𝖓𝖓𝖔𝖙 𝖇𝖊 𝖍𝖊𝖑𝖉 𝖆𝖈𝖈𝖔𝖚𝖓𝖙𝖆𝖇𝖑𝖊 𝖋𝖔𝖗 𝖆𝖚𝖙𝖍𝖊𝖓𝖙𝖎𝖈𝖆𝖙𝖎𝖔𝖓 𝖔𝖋 𝖈𝖔𝖓𝖙𝖊𝖓𝖙. Flut : Nagendra Rai Arrange/ Mixing : Rajan Karki credit : Vedan Media Link : • 4K Tree No Copyright Video | Water Co...    • Flute Background | Copyright Free Flu...   Free Flute background music. No copyright Morning flute music royalty free flute music royalty free Free meditation music relax mind body #ncertsolutions #cbseclass10 #cbse #hindistories #education #shikshaaursahitya #surdaskepad #surdas #hindistories

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