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यहां सिरोही जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर अजारी गांव के पास मार्कंडेश्वरधाम स्थित मां सरस्वती का एक ऐसा ही मंदिर है, जिसके दर्शन के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। सबसे बड़ी बात कि यहां कई महान विद्वानों ने तपस्या भी की है। गुप्तकाल में निर्मित यह मंदिर कई सदियों से बुद्धि और ज्ञान का बल चाहने वालों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। साथ ही प्रदेश में इस मंदिर का एक खास पहचान है। चांदी की जीभ चढ़ाते हैं श्रद्धालु- इस प्राचीन मंदिर में बसंत पंचमी के दिन विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। साथ ही दिनभर भक्तों की दर्शनार्थ भीड़ मार्कंडेश्वरधाम को घेरे रहती है। ऐसा कहा जाता है कि मार्कंडेश्वरधाम स्थित मां सरस्वती मंदिर विद्या के साधकों की आराधना स्थली है। तो वहीं इस प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ी एक खास मान्यता के मुताबिक, मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगने से वाणी संबंधी विकार दूर होते हैं और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस वजह से तुतलाने एवं मंदबुद्धि की शिकायत पर बहुत से लोग मां से मन्नत भी मांगते हैं और उसके पूरा होने पर चांदी की जीभ चढ़ाते हैं। बालऋषि मार्कंडेय भी कर चुके हैं मंत्र जाप- मंदिर में मां सरस्वती की चित्ताकर्षक प्रतिमा विराजमान है। लोगों का कहना है कि यहां बालऋषि मार्कंडेय ने यम से बचने के लिए महामृत्युंजय का जाप किया था। तो इसी तपोस्थली पर महाकवि कालिदास ने भी ज्ञान प्राप्त किया था। मंदिर से जुड़ी प्राचीन मान्यताओं और मां सरस्वती के इस खास दर्शनीय स्थल पर हजारों की संख्या में भक्त जुटते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। #माँसरस्वती