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To know more about our upcoming courses, visit- www.jyotishvedanghub.com or, Call us: 9424761625, 7455995451 राहुल सर यहां बृहस्पति (जुपिटर) के अष्टम भाव में होने के प्रभाव की व्याख्या कर रहे हैं। अगर बृहस्पति नैसर्गिक जन्म कुंडली में नवम भाव (भाग्य भाव) के स्वामी होकर अष्टम भाव में बैठते हैं, तो इसका अर्थ है कि इस व्यक्ति को विपत्ति के समय में ईश्वरीय मदद अवश्य प्राप्त होगी। बृहस्पति की पंचम दृष्टि द्वादश भाव (व्यय और मोक्ष भाव) और नवम दृष्टि चौथे घर (सुख और लग्जरी) पर पड़ने से व्यक्ति को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कंफर्ट्स प्राप्त होते हैं। अष्टम भाव ज्योतिष विद्या से भी जुड़ा होता है, इसलिए नवम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में बैठना इस बात का संकेत है कि यदि व्यक्ति ज्योतिष का अध्ययन करता है, तो उसे बृहस्पति की कृपा और कठिन समय में ईश्वरीय सहायता प्राप्त होती है। साथ ही, उसका भाग्य भी प्रबल होता है। अतः बृहस्पति के अष्टम भाव में होने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि व्यक्ति ज्योतिष का अध्ययन करे, जिससे उसके भाग्य में वृद्धि हो सकती है।