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गर्मी मे मूंग की फसल मे सिचाई केसे करे | 2023 मे मुंंग की खेती केसे करे | agriculture videos

गर्मी मे मूंग की फसल मे सिचाई केसे करे| 2023 मे मुंंग की खेती केसे करे | किसान भाई | farming videos गर्मी मे मूंग की फसल मे सिचाई केसे करे | 2023 मे मुंंग की खेती केसे करे | agriculture videos #किसानभाई #kishanbhai #मुंंगकीखेती #agriculture मध्यप्रदेश में मूंग ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। इसके दाने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल के लिये किया जाता हैजिसमें 24-26% प्रोटीन,55-60% कार्बोहाइड्रेट एवं 1.3%वसा होता है। दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ो में गठाने पाई जाती है जो कि वायुमण्डलीय नत्रजन का मृदा में स्थिरीकरण (38-40 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टयर) एवं फसल की खेत से कटाई उपरांत जड़ो एवं पत्तियो के रूप में प्रति हैक्टयर 1.5टन जैविक पदार्थ भूमि में छोड़ा जाता है जिससे भूमि में जैविक कार्बन का अनुरक्षण होता है एवंमृदा की उर्वराशक्ति बढाती है। मध्यप्रदेश में मूंग की फसल हरदा, होशंगाबाद, जवलपुर, ग्वालियर, भिण्ड, मुरेना, श्योपुर एवं शिवपुरी जिले में अधिक मात्रा में उगाया जाता है।मध्यप्रदेश की औसत उत्पादकता लगभग 350किलोग्राम प्रति हैक्टयर है जो कि बहुत कम है,जिसके बढने की प्रवल सम्भावनायें है। अतः कृषक भाई उन्नत प्रजातियो एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक को अपनाकर पैदावार को 8-10 क्विंटल प्रति हैक्टयर तक प्राप्त कर सकते है। प्रायः वर्षा ऋतु में मूंग की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं पडती है फिर भी इस मौसम में एक वर्षा के बाद दूसरी वर्षा होने के बीच लम्बा अन्तराल होने पर अथवा नमी की कमी होने पर फलियाँ बनते समय एक हल्की सिंचाई आवश्यक होती है। बसंत एवं ग्रीष्म ऋतु में 10-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल पकने के 15 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर देना चाहिये। वर्षा के मौसम में अधिक वर्षा होने पर अथवा खेत में पानी का भराव होने पर फालतू पानी को खेत से निकालते रहना चाहिये, जिससे

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