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आबादियां हुसैन के सदक़े में हैं बहुत, हैं इमाम बाड़े रौनक़े एैवाने लखनऊ | Imambara Mir Baqar| Lucknow | 5 лет назад


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आबादियां हुसैन के सदक़े में हैं बहुत, हैं इमाम बाड़े रौनक़े एैवाने लखनऊ | Imambara Mir Baqar| Lucknow |

Channel- Sunil Batta Films Documentary- Imambara Mir Baqar Saudagar , Lucknow Produced & Directed by Sunil Batta, Voice- Navneet Mishra, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Production- Dhruv Prakesh, Camera Asst.- Runak Pal, Kuldeep Shukla, Synopsis- हैं मेज़बानियों की अदायें वह दिलनशीं ता उम्र याद रखता है मेहमानो लखनऊ ज़र्रो से यां के कहकशाँ मे है रौशनी शम्सो क़मर हैं यहां बाजगुज़ाराने लखनऊ देखे हैं हमने सैकड़ों गुलशन जहान में लेकिन नहीं जवाब गुलिस्ताने लखनऊ आबादियां हुसैन के सदक़े में हैं बहुत हैं इमाम बाड़े रौनक़े एैवाने लखनऊ ज़मानए शाही में लखनऊ का शायद ही कोई हिस्सा एैसा रहा हो जहां दो चार क़ाबिले ज़िक्र इमाम बाड़े मौजूद न हों मगर अफसोस यह है कि उनमें बेशतर इमाम बाड़े मौजूदा वक़त में बाक़ी रह गए उनके देखने से अंदाज़ा होता है कि शाहाने अवध को अज़ादारी से कितना गहरा लगाओ था। इन्ही मशहूरो मारूफ इमाम बाड़ों में एक इमाम बाड़ा मीर बाकर सौदागर का है। यह इमाम बाड़ा जौहरी मोहल्ले में वाके़ है। गोल दरवाजे़ से जाते हुए बायीं जानिब एक क़दीम फ़ाटक मिलता है जो घड़ियाली मुहल्ला के फाटक के नाम से मशहूर है। यहां से इमाम बाड़े का सीधा रास्ता चला गया है। इस इमाम बाड़े को बाक़र सौदागर ने अपने रिहायशी मकान से मुत्तसिल एक वसी ज़मीन पर तामीर कराया था। तंग गलियों के दरमियान में इतना वसी इमाम बाड़ा एक मज़बूत क़िला की हैसियत रखता है। इतनी मुददत गुज़र जाने के बाद भी अपनी क़दीमी शक्ल में आन बान शान के साथ क़ायमोंदायम है और अपनी ज़बानी नवाबीने अवध की कहानियां सुना रहा है। मीर बाक़र सौदागर, ग़ाज़ीयुददीन हैदर और उनके बाद के बादशाहो के अहद मे जवाहिरात और शीशओ आलात के नामी गिरामी सौदागर थे। इसी वजह से उन की उर्फियत सौदागर पड़ गयीं थी। उन्होंने मुख़तलिफ शहरों में महाजनी कोठियां भी क़ायम की थीं जिनमें बड़े पैमाने पर हुनडी व पुरजे़ का कारोबार होता था। 1883 ईस्वी में इंतिक़ाल के बाद अपनी वसीयत के मुताबिक़ इमाम बाड़े के बैरूनी फाटक के दरमियान इस जगह पर दफन हुए जहां से मोमीनान और ज़ायरीन की आम्दो रफ्त होती है और लोग उन की कब्र से होकर गुज़रते हैं। सेहन में क़दम रखते ही फर्श से मिली एक पुखता क़ब्र नज़र आती है जिसके कुतबे से मालूम होता है कि यह मीर बाक़र सौदागर के ख़ानदान की नामवर श़ख्सियत हकीम नज़ीर हुसैन ख़ां की आराम गाह है जिनकी वफात 1348 हिजरी मुताबिक़ 1929 ईस्वी को हुई थी। #Lucknow #ImambaraMirBaqarSaudagar #LucknowBaraImambara #AsafiImambara #BhoolBhulaiyaLucknow #LucknowKeImambare

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