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महन्त मोटनाथ जी महाराज द्वारा अर्थावणा ब्रह्मा ज्ञान पेदा हुआ लालनाथ जी को आपने ऐसा पर्सा शायद ही 2 года назад


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महन्त मोटनाथ जी महाराज द्वारा अर्थावणा ब्रह्मा ज्ञान पेदा हुआ लालनाथ जी को आपने ऐसा पर्सा शायद ही

Jasnath dham leelsar#जसनाथ धाम लीलसर# श्री गुरु जसनाथ जी महाराज संबंध जसनाथी संप्रदाय प्रमुख पंथ केंद्र कतरियासर,बम्बलू,लिखमादेसर, पुनरासर, पांचला सिद्धा, लीलसर,सऊ(नागौर)आदि। मंत्र "फते फते" पशु सभी तरह के वन्यजीव जंतु पशु पक्षी प्रतीक [हरी जाळ] माता-पिता हमीर जी जाणी और माता रूपादे क्षेत्र राजस्थान , भारत समुदाय हिन्दू त्यौहार जसनाथी महाराज का मेला आश्विन शुक्ल सप्तमी और चैत्र सुदी सप्तमी को भरता है [2]जसनाथी सम्प्रदाय जसनाथ जी महाराज जसनाथी संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जसनाथ जी के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने विक्रम संवत 1551 में जसनाथी पंथ की स्थापना की। जसनाथजी महाराज ने समाधि लेते समय हरोजी को धर्म (सम्प्रदाय) के प्रचार, धर्मपीठ की स्थापना करने की आज्ञा दी. सती कालो की बहन प्यारल देवी को मालासर भेजा विक्रम संवत 1551 में जसनाथजी ने चुरू में ज[3]सनाथी संप्रदाय की स्थापना कर दी थी दस वर्ष पश्चात विक्रम संवत 1561 में लालदेसर गाँव (बीकानेर) के चौधरी रामू सारण ने प्रथम उपदेश लिया. उन्हें 36 धर्मों की आंकड़ी नियमावली सुनाई, चुलू दी और उनके धागा बांधा. यहीं से विधिवत शुरूआत मानी जाती है। इनका जन्म राजस्थान के बीकानेर परगने के कतरियासर गांव में सन् 1482 में (विक्रम संवत 1539 कार्तिक सुदी एकादशी शनिवार) हुआ था। जसनाथ जी का अवतार जसनाथ जी के चमत्कारों की ख्याति जसनाथ जी की सगाई जसनाथजी की जीवित समाधि जसनाथ जी के 36 नियमजसनाथजी ने लालमदेसर के रामू सारण को समाज के मार्गदर्शन हेतु 36 धर्म नियम बताए। ये नियम आगे चलकर नवीन सिद्ध धर्म की आधारशिला बने। इनके बारे में कहा जाता है कि – “नेम छत्तीस ही धर्म के कहे गुरु जसनाथ, या विध धर्म सुधारसी, भव सागर तिर जात।” इन नियमों के जरिए जसनाथजी महाराज थोड़े शब्दों में ही वेदों और शास्त्रों का सार कह गए। सबसे अच्छी बात यह थी कि ये नियम जनसाधारण की मायड़ भाषा में थे। ये ३६ नियम निम्नलिखित हैं- 1. जो कोई सिद्ध धर्म धरासी 2. उत्तम करणी राखो आछी 3. राह चलो, धर्म अपना रखो 4. भूख मरो पण जीव ना भखो 5. शील स्नान सांवरी सूरत 6. जोत पाठ परमेश्वर मूरत 7. होम जाप अग्नीश्वर पूजा 8. अन्य देव मत मानो दूजा 9. ऐंठे मुख पर फूंक ना दीजो 10. निकम्मी बात काल मत कीजो 11. मुख से राम नाम गुण लीजो 12. शिव शंकर को ध्यान धरीजो 13. कन्या दाम कदै नहीं लीजो 14. ब्याज बसेवो दूर करीजो 15. गुरु की आज्ञा विश्वंत बांटो 16. काया लगे नहीं अग्नि कांटो 17. हुक्को, तमाखू पीजे नाहीं 18. लसन अर भांग दूर हटाई 19. साटियो सौदा वर्जित ताई 20. बैल बढ़ावन पावे नाहीं 21. मृगां बन में रखत कराई 22. घेटा बकरा थाट सवाई 23. दया धर्म सदा ही मन भाई 24. घर आयां सत्कार सदा ही 25. भूरी जटा सिर पर रखीजे 26. गुरु मंत्र हृदय में धरीजे 27. देही भोम समाधि लीजे 28. दूध नीर नित्य छान रखीजे 29. निंद्या, कूड़, कपट नहीं कीजे 30. चोरी जारी पर हर ना दीजे 31. राजश्वला नारी दूर करीजे 32. हाथ उसी का जल नहीं लीजे 33. काला पानी पीजे नाहीं 34. नाम उसी का लीजे नाहीं 35. दस दिन सूतक पालो भाई 36. कुल की काट करीजे नाहीं

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