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Karam Puja । Visarjan 🍀🌸Part 10 | Munda Tribe of Jharkhand 2 недели назад


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Karam Puja । Visarjan 🍀🌸Part 10 | Munda Tribe of Jharkhand

करम उत्सव की सुबह महिलाओं द्वारा चावल का आटा प्राप्त करने के लिए लकड़ी की यंत्र ढेकी में चावल कूटने के साथ शुरू होती है। इस चावल के आटे का उपयोग स्थानीय व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है जो मीठा भी हो सकता है और नमकीन भी। इस व्यंजन को करम उत्सव की सुबह खाने के लिए पकाया जाता है, और पूरे मोहल्ले में बांटा जाता है। करम कथा सुनते लोग अनुष्ठान में, लोग ढोल-नगाड़ों और मांदर वादकों के समूह के साथ जंगल में नाचते जाते हैं और पूजा करने के बाद करम के पेड़ की एक या एक से अधिक शाखाओं को काटते हैं। शाखाओं को आमतौर पर अविवाहित, युवा लड़कियों द्वारा गाँव में लाया जाता है और गांव के अखाड़ा (कभी-कभी मैदान में) के बीच में शाखा को लगाया जाता है। जिसे गाय के गोबर से लीपा जाता है और फूलों से सजाया जाता है। एक ग्राम पुजारी (क्षेत्र के अनुसार पाहन या देहुरी) धन और संतान देने वाले देवता (करम देवता) के लिए अंकुरित अनाज और हंड़िया को प्रसाद में चढ़ाता है। करम देवता की पूजा करने के पश्चात, करम देवता (प्रकृति देवता) की कथा सुनाई जाती है। फिर लोग अपने कान के पीछे पीले रंग के फूल के साथ अनुष्ठान नृत्य शुरू करते हैं। सभी पुरुष और महिलाएं चावल से बनी पेय-पदार्थ 'हंड़िया' पीते हैं और पूरी रात गायन और नृत्य में बिताते हैं; दोनों त्योहार के आवश्यक भाग हैं, जिसे करम नाच के नाम से जाना जाता है। करम नाच करते महिला-पुरूष ढोल-नगाड़ों और मांदर की थाप और लोकगीतों पर महिलाएं एवं पुरुष नृत्य करती हैं। पूजा के बाद एक सामुदायिक दावत और हंड़िया पीने का आयोजन किया जाता है। अगले दिन करम की डाली नृत्य करते हुए नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। और इस तरह से करम नाचते गाते आता है और हमें खुशियां दे चला जाता है! करमा पर्व आदिवासी समुदाय में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है।

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