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ॐ रां रामाय नमः । Om Raang Ramaya Namah 1 день назад


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ॐ रां रामाय नमः । Om Raang Ramaya Namah

ॐ रां रामाय नमः । Om Raang Ramaya Namah 'ॐ रां रामाय नमः' यह षडक्षर राम मन्त्र बहुत ही प्रसिद्ध है। शास्त्रों में इसे चिन्तामणि नाम से कहा गया है। इसके जप से भगवान् राम प्रसन्न होते हैं, सकाम साधकों की सम्पूर्ण कामनाएं पूर्ण कर देते हैं। निष्काम साधकों को यथाधिकार भागवत्प्रेम या ज्ञान दे देते हैं। इस मन्त्र के ब्रह्मा ऋषि हैं, गायत्री छन्द है और राम देवता हैं। ब्रह्मर्षि पराशर ने भगवान श्रीराम के 'षडक्षर' मन्त्र (रां रामाय नमः अथवा ॐ रामाय नमः) का उपदेश अपने पुत्र महर्षि वेदव्यास श्री कृष्णद्वैपायन जी को दिया था। • श्रीपराशरषट्कम स्तोत्र के अनुसार - राममन्त्रप्रदं श्रीमद्राममन्त्रार्थ कोविदम्। वन्दे पराशराचार्य शक्तिपुत्रं जगद्गुरुम् ॥१॥ अर्थ - जो 'राम' नाम का (षडक्षर) मन्त्र (श्रीराम-मन्त्र 'रां रामाय नमः') प्रदान करने वाले हैं, जो ज्ञान के समुद्र तथा श्री राम-मन्त्रार्थ (राम-मन्त्र के अर्थ) का बोध कराने वाले प्रकाण्ड विद्वान हैं ऐसे मुनि शक्ति के पुत्र और समस्त संसार के गुरु आचार्य पराशर को मैं वन्दन करता हूँ। रामसेवारतं शश्वद् वेदव्यासस्य सद्गुरुम् । वन्दे पराशराचार्यं शक्तिपुत्रं जगद्गुरुम् ॥२॥ अर्थ - जो भगवान श्रीराम की सेवा में रत रहने वाला है, जो चिरस्थायी भगवान वेदव्यास के सद्गुरु हैं ऐसे मुनि शक्ति के पुत्र और विश्वगुरु आचार्य पराशर को मैं वन्दन करता हूँ। • श्रीमैथिलीमहोपनिषद् के अनुसार • प्रकृत उपनिषद् में लाट्यायन प्रभृति महर्षियों को विशिष्ट तत्वोपदेशान्तर श्रीराम महामन्त्रराज की परम्परा के विषय में सर्वेश्वरी श्रीसीताजी कहती हैं इममेव मनुं पूर्वं साकेतपतिर्मामवोचत् । अहं हनुमते मम प्रियाय प्रियतराय। स वेद वेदिने ब्रह्मणे। स वशिष्ठाय। स पराशराय । स व्यासाय। स शुकाय । इत्येषोपनिषत् । इत्येषाब्रह्मविद्या । अर्थ - यहीं षडक्षर श्रीराम महामन्त्र को दिव्यलोक में श्रीसाकेताधिनायक सर्वेश्वर श्रीरामचन्द्र जी ने मुझे कहा अर्थात सविधि उपदेश दिया। मैंने मेरे प्रियातिप्रिय सेवक मरुतनन्दन श्रीहनुमान जी को यथाशास्त्र विधि विधान से उपदेश दिया। श्री हनुमान जी ने भी शास्त्रीय विधान से वेद के ज्ञाता श्रीब्रह्मा जी को उपदेश दिया। श्री ब्रह्माजी ने भी शास्त्र विधान के अनुसार ही स्वमानस पुत्र श्री वशिष्ठ जी को उपदेश दिया। श्री वशिष्ठ जी ने शास्त्रीय विधि से श्री पराशर जी को उपदेश दिया। श्री पराशर जी ने शास्त्र विधान के अनुसार श्री व्यास (कृष्णद्वैपायन) को उपदेश दिया। श्री व्यास जी ने शास्त्र विधानानुसार श्री शकदेव जी को उपदेश दिया। यहीं उपनिषद् श्रीरामचन्द्र जी के दिव्यधाम श्रीसाकेत में जाने का साधन है यानी शास्त्रीय विधि से श्रीगुरुमुख से प्राप्त तारक श्रीराम महामन्त्र के अनुष्ठान से ही सायुज्य मुक्ति या श्रीराम प्राप्ति की जा सकती है अन्य साधनों से नहीं। यहीं ब्रह्मविद्या है। श्रीमैथिलीमहोपनिषद् • अगस्त्य संहिता के अनुसार ब्रह्माददौ वशिष्ठाय स्वसुताय मनुं ततः। वशिष्ठोऽपि स्वपौत्राय दत्त्वान् मन्त्रमुत्तमम् ॥२॥ पराशराय रामस्य मन्त्रं मुक्तिप्रदायकम्। स वेदव्यासमुनये ददावित्थं गुरुक्रमः ॥३॥ वेदव्यासमुखेनात्र मन्त्रो भूमौ प्रकाशितः। वेदव्यासो महातेजः शिष्येभ्यः समुपादिशत् ॥४॥ अर्थात - तब श्री ब्रह्मा जी ने यह (षडक्षर राम मंत्र) अपने मनस्वी पुत्र श्री वशिष्ठ जी को दिया। और वशिष्ठ जी ने भी इस अति उत्तम मन्त्र को अपने पौत्र श्री पराशर जी को दिया। ॥२॥ • पराशर मुनि का (यह षडक्षर) राम मंत्र मुक्ति को प्रदान करने वाला है, जो (बाद में) श्री वेद व्यास को गुरु परंपरा के माध्यम से (अपने पिता श्री पराशर जी से) मिला था। ॥३॥ वेदव्यास के मुख से निकला यह मन्त्र सम्पूर्ण पृथ्वी को प्रकाशित करने वाला है। तेजस्वी वेदव्यास ने इस मन्त्र का उपदेश अपने शिष्यों को दिया। ॥४॥ अगस्त्य संहिता, अध्याय ८ • भगवान श्रीराम के कल्पवृक्ष रूपी षडक्षर मन्त्र के ऋषियों (ब्रह्मर्षि पराशर) तथा इष्टदेवता (भगवान श्रीराम) का वर्णन - षड्वर्णः सुमहामन्त्रः स एव कल्प भूरुहः। ब्रह्मागस्त्यावृषी प्रोक्ता विश्वामित्र वशिष्ठ कौ ॥५२८॥ नारदो वामदेवश्व भरद्वाज पराशरौ । वाल्मीकिऋषयः प्रोक्ताः देवः तस्य रघूद्वहः ॥ ५२९॥ अर्थ - श्रीराम का यह षडक्षर महामन्त्र (रां रामाय नमः) है, यही महान् कल्पवृक्ष है। इसके ब्रह्मा, अगस्त्य, विश्वामित्र, वशिष्ठ, नारद, वामदेव, भरद्वाज, पराशर तथा वाल्मीकि आदि ऋषि हैं। इस मन्त्र के तथा इन ऋषियों के इष्ट देवता श्री रघुनन्दन राम ही हैं। ॥ ५२८-५२९॥ • भगवान श्रीराम के षडक्षर मन्त्र की महिमा का वर्णन - षडक्षरं दाशरथेस्तारकब्रह्म कथ्यते। सर्वैश्वर्यप्रदं नृणां सर्वकामफलप्रदम् । ॥६१७॥ एतमेव परं मन्त्रं ब्रह्मरुद्रादिदेवताः। ऋषयश्च महात्मानो मुक्ता जप्त्वा भवाम्बुधौ ॥ ६१८॥ अर्थ - श्री दशरथनन्दन परब्रह्म श्रीराम का "रां रामाय नमः" यही षडक्षर मन्त्र तारक ब्रह्म कहाता है। जो मनुष्यों को सम्पूर्ण ऐश्वर्य प्रदान करने वाला तथा सभी कामनायें सुफल करने वाला है। इसी परम मन्त्र का जप कर ब्रह्मा, रुद्र आदि देवगण, ऋषि तथा महात्मा मुक्त होकर भवसागर से तर गए हैं। यहीं मन्त्र सभी लोकों को परमऐश्वर्य प्रदान करने वाला है। ॥ 33

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