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Raag Ki Tasveer | Morning Raags | Bhairav & others | Dr. Ashwini Bhide Deshpande 4 месяца назад


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Raag Ki Tasveer | Morning Raags | Bhairav & others | Dr. Ashwini Bhide Deshpande

'बतियाँ दौरावत' के सुननेवालोंका आजके 'राग की तस्वीर' के आख्यान में प्यार भरा स्वागत । आज हम प्रभात समय के कुछ रागों की तस्वीर उतारनेकी कोशिश करेंगे। ये राग हैं, भैरव , अहिर भैरव , रामकली, जोगिया तथा गुणकरी। इन सभी रागोंका गानसमय करीब करीब समान ही है। राग भैरव मेरी धारणा के अनुसार भैरव राग की तस्वीर है प्रभातसमय की शुद्ध, सात्विक, पवित्र, धुली हुई, सुस्नात बेला! अंतर्बाह्य शुचिता ! साधक भी है शुचिर्भूत, परिसर भी है प्रसन्न! जैसे स्वयं भी शंभुमहादेव स्नान कर, भस्मचर्चित होकर, ध्यानमग्न होकर साधना में बैठ गए हों! राग अहिर भैरव इस राग को कर्नाटकी संगीत में 'चक्रवाकम्' नाम से जाना जाता है। इसी राग की लोकप्रिय बंदिश 'अलबेला सजन आयो रे' सभी को परिचित है । सुजान श्रोताओं को मन्ना डे का गाया हुआ सुंदर लोकप्रिय गीत भी याद आएगा- ‘पूछो ना कैसे मैंने रैन बिताई.... जहाँ भैरव राग का रुझान 'स्व' के अंदर, गहराई में उतरने की तरफ होता है, वहींपर अहिरभैरव की प्रवृत्ति इर्दगिर्द फैलनेकी है, न कि गहराई में उतरने की ! इसीलिए भैरव की आत्ममग्नता की अपेक्षा अहिरभैरव की कहन 'देखिए, मेरे आत्ममग्न होने से मुझे आनंद की प्राप्ति हो रही है’ इसतरह का प्रदर्शन करने की तरफ है। राग रामकली यह रागिनी मानो भैरव की स्त्री है- भैरव के पद‌चिन्हों पर ही अपनी मार्गक्रमणा करनेवाली, पती का धीरगंभीर स्वभाव जिसे स्वीकृत है, और इस स्वभाव को धारण करने का प्रयास करनेवाली पतिव्रता स्त्री ! परंतु उसका मूल स्वभाव बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है। भैरव की तरह वह विचारमग्न, गहरी सोच में खोई हुई नहीं, बल्कि जब कभी उसकी स्त्रीसुलभ सौंदर्यासक्ती तथा जिज्ञासा उजागर होती है | राग जोगिया! भैरव-रामकली के साथही जिसकी गणना कर सकते है वह राग है जोगिया! परंतु यह राग है बिल्कुल करुणरस- प्रधान। यह राग खुद के गम में डूबा है। इसे दुनिया की कोई फ़िक्र नहीं। किसी अन्य व्यक्ति का आनंद तो उसे दिखाई नहीं देता, परंतु औरों की दुख-दर्द-पीडा की तरफ भी वह असंवेदनशील है। एकदम स्वकेंद्री| राग गुणकरी भैरव के संपूर्ण सप्तक में से जब ग और नि की जोड़ी को हटा देंगे तब हमें जो ओडव राग प्राप्त होगा, वो है गुणकरी या गुणकली। रात की नींद के बाद प्रभातकाल की सुखनिद्रा को त्यागकर निर्धार और दृढनिश्चय के साथ ध्यान में बैठे हुए योगी की तरह मुझे गुणकरी राग प्रतीत होता है। इस योगी के वैराग्य समान इस राग के स्वर अनावृत्त हैं, खडे और नुकीले हैं। Credits: Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande Creative Ideation: Amol Mategaonkar Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar Video Recording, Color Grading: Kannan Reddy Video Editing: Amol Mategaonkar Special Thanks: Dr. Vinay Kumar Mishra, Raja Deshpande Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar #BatiyanDaurawat, #hindustaniclassicalmusic, #musicalmusings, #raagbhairav, #morningraag

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